विज्ञापन
Story ProgressBack

जानें कितना खास है जैसलमेर का ये गणगौर पूजन, रियासत काल में भी धूमधाम से निकलती थी सवारी

पूर्व महारावल चैतन्यराज सिंह और राजपरिवार ने राजशाही गवर माता का पूजन किया. गवर दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी. जानिए क्यों जैसलमेर में चतुर्थी पर मनाया जाता है, साथ ही जानिए यह पर्व कितना खास है?

Read Time: 3 min
जानें कितना खास है जैसलमेर का ये गणगौर पूजन, रियासत काल में भी धूमधाम से निकलती थी सवारी
राजशाही गवर माता की तस्वीर

Jaisalmer Gangaur Pujan: इस बार तीज और चतुर्थी एक ही दिन होने के चलते जैसलमेर सहित प्रदेशभर में शाही गणगौर की पूजा एक ही दिन की गई. चैत्र शुक्ल चतुर्थी को जैसलमेर राजपरिवार गणगौर की पूजा और शाही सवारी निकालता है. शोक संताप के चलते इस बार भी शाही गणगौर की सवारी नहीं निकाली गई. हालांकि उस परम्परा को लोगों ने आज याद किया. सोनारदुर्ग के त्रिपोलिया कक्ष में गौर माता का पूर्व महारावल चेतन्यराज सिंह द्वारा विधि विधान से पूजन किया गया. गणगौर पूजन के समय महारावल द्वारा मां गणगौर की आरती की गई.

माता के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ 

इस दौरान राज परिवार के ठाकुर विक्रम सिंह नाचना और उनकी धर्मपत्नी मेघनासिंह के साथ ही राजपरिवार के सदस्यों सहित समाज के प्रबुद्ध जन भी मौजूद रहें. वहीं पूजन के बाद गणगौर को दुर्ग स्थित दशहरा चौक के चामुंडा माता मंदिर के पास लाया गया. जहां जिलेवासियों ने माता के दर्शन कर कुशलक्षेम की प्रार्थना कर आशीर्वाद लिया. जैसलमेर शहर में गणगौर के तीज और चौथ पर्व की धूम देखने को मिली. सोनार दुर्ग के राजमहल में पूर्व महारावल चैतन्यराज सिंह द्वारा शाही गवर का पूजन के पश्चात गवर माता के दर्शन के लिए भीड़ लग गई. 

गवर माता को उठाया सिर पर

एक महिला सिर पर गवर माता को उठाकर राजमहल से बाहर लेकर आई, यह भी एक अनूठी परम्परा है. पहले पूरे रास्ते में महिला माता की प्रतिमा को लेकर चलती थी. जिसके बाद दुर्ग के दशहरा चौक में गवर माता का दरबार सजाया गया. गवर माता का दर्शन करने के लिए महिलाओं बालिकाओं की भीड़ उमड़ पड़ी. 

जैसलमेर में होती थी लूटपाट

कई वर्षो पूर्व रियासत कालीन समय से ही जैसलमेर में गणगौर की सवारी बड़े धूमधाम दुर्ग से निकलती थी. इतिहासकारों का कहना है कि रियासतकाल में राजपूताना कई रजवाड़ों में बंटा हुआ था. लोग परस्पर अहम ईर्ष्या भाव भी रखते थे. इसी भाव के चलते एक दूसरे के राज्यों में लूटपाट करते थे. इसी बीच इतिहास की कुछ घटनाओं के अनुसार बीकानेर के शासकों ने जैसलमेर पर धावा बोलने की फिराक में रहे और जैसलमेर क्षेत्र को लूटने लगे. जैसलमेर के लोग भी बीकानेर के पशुओं का चुराकर लाने की लूटपाट होती रहती थी.

बिना ईसर के ही निकलती है सवारी

एक बार जैसलमेर के राज परिवार में विवाह के अवसर पर शादी के बाद दूल्हे पर स्वर्ण मुद्राओं की घोल कर उसे चंवरी में उछाला गया था. यह बीकानेर के शासकों को अच्छा नहीं लगा. उस समय तो वह कुछ नहीं बोलें लेकिन जब बीकानेर के लोगों को पता चला कि जैसलमेर की गणगौर की सवारी सबसे बेहतरीन है, तब उन्होंने ईश्वर व गवर की विशाल प्रतिमा को लूटने का प्रयास किया. बीकानेर के लोगों ने गणगौर मेले के अवसर पर गड़ीसर जाती गवर ईसर की सवारी पर अचानक धावा बोल दिया. जैसलमेर के लोग लड़े उन्होंने गवर को तो बचा लिया.

लेकिन ईसर की प्रतिमा को ले जाने में बीकानेर के लोग सफल हो गए. तब से जैसलमेर की गवर आज तक बिना ईसर के अकेली है और गणगौर पर शोभायात्रा में गवर की सवारी बिना ईसर के ही निकलती है. हालांकि राजपरिवार में शोक संताप के चलते लम्बे वक्त से यह सवारी नहीं निकली है.

ये भी पढ़ें- Gangaur 2024: आज भी अपने ईशर के बिना अकेली है जैसाण की गवर, बिना पलक झपकाए कर रही है इंतजार

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Close