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This Article is From Mar 07, 2024

जानें दौसा का इतिहास आखिर क्यों कहा जाता इसे देवनगरी?

महाशिवरात्रि पर लाखों की संख्या में भक्त बाबा नीलकंठ के दरबार में अपनी-अपनी अर्जी लगाने पहुंचते हैं. बाबा नीलकंठ पर लोगों की अपार आस्था है. इसी के चलते शिवरात्रि के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. 

जानें दौसा का इतिहास आखिर क्यों कहा जाता इसे देवनगरी?
नीलकंठ महादेव की तस्वीर

Mahashivratri 2024: राजस्थान के दौसा जिले को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है. इसका इतिहास बहुत पुराना और गौरवशाली है. यहां के प्रसिद्ध नीलकंठ महादेव मंदिर में शिवरात्री को भव्य मेले का आयोजन होता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते है और पूजा-अर्चना करते हैं, भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं. इसके साथ ही लोग यहां के मेले का भी खूब आनंद उठाते हैं. दौसा जिले का यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. 

देवनगरी की प्राचीन मान्यता

सबसे पहले यह समझिए कि आखिर दौसा को देवनागरी क्यों कहा जाता है. दरअसल दौसा शहर मे पंच महादेव विराजमान हैं. सोमनाथ महादेव, गुप्तेश्वर महादेव, बैजनाथ महादेव, सहजनाथ महादेव और इन सब का राजा बाबा नीलकंठ जो पहाड़ी पर विराजमान हैं. राजा महाराजाओं के समय के ये 5 मंदिर दौसा को देवनगरी बनाते हैं.

दौसा नाम की मान्यता

अब समझिए दौसा नाम के पीछे क्या किवदंती है. दरअसल नीलकंठ की पहाड़ी के नीचे खड़े होने पर यह पहाड़ गणित के 2 अंक के जैसा दिखाई देता है. इसलिए इसका नाम दौसा पड़ा. 2 की जैसी आकृति में यह पहाड़ बना हुआ है.

7वीं सदी में बना दौसा

कल महाशिवरात्रि है और नीलकंठ महादेव मंदिर नीलगिरि पहाड़ी पर करीब 350 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. दौसा के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि 7 वीं सदी में कच्छावा राज्य वंश के राजा सोढ़देव ने बनाया था. मंदिर में नीलकंठ महाकाल (भूतनाथ) के शिवलिंग स्थापित किए गए. नीलकंठ महादेव, दौसा के प्राचीन मंदिरों में से एक महादेव शिव का मंदिर है. इसलिए दौसा का राजा भी कहा जाता है. पंच महादेव के रूप में लोकप्रिय यह मंदिर अरावली पर्वत शृंखला की नीलगिरि पहाड़ी पर स्थित है.

मंदिर में एक बड़े पत्थर का शिवलिंग है. मंदिर में जाने के लिए दौसा शहर के पूर्वी हिस्से बने सूप आकार के विशाल किले के हाथीपोल दरवाजे में होकर साढ़े 365 सीढियां बनीं हुई हैं. इस मंदिर के समीप ही प्राचीन किला है, जो कि वर्तमान में देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त हो चुका है. 

बाबा नीलकंठ पूरी करते हैं मनोकामना

मंदिर समिति के अध्यक्ष रोशन जोशी ने बताया कि जन-जन की आस्था के केन्द्र नीलकंठ महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है. फूल बंगला झांकियों से सजाया गया है. साथ ही रात्रि जागरण का आयोजन भी होगा. जिसके बाद महाशिवरात्रि पर लाखों की संख्या में भक्त बाबा नीलकंठ के दरबार में अपनी-अपनी अर्जी लगाने पहुंचेंगे. कहा तो यह भी जाता है कि बाबा नीलकंठ के दरबार में जो भक्त सच्चे मन से प्रार्थना करके आता है, बाबा नीलकंठ मनोकामना पूरी करते हैं.

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