Kota Coaching Industry: चंबल नदी के किनारे बसा राजस्थान का शहर कोटा (Kota) बीते कुछ सालों में कोचिंग सिटी (Coaching City) के रूप में पूरे देश में मशहूर हुआ. बिहार, झारखंड, UP, MP सहित कई राज्यों से लाखों की संख्या में बच्चे हर साल कोटा में डॉक्टर, इंजीनियर बनने का सपना लिए आते थे. इन बच्चों में कई NEET, IIT और JEE मेंस में सफलता भी हासिल करते थे. कोटा में रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों की सफलता से दूसरे लोग भी उत्साहित होते थे. फिर वो अपने बच्चों को कोटा में पढ़ने के लिए भेजते थे. कोटा में बच्चों को पढ़ाना बिहार-यूपी में अभिभावकों के लिए बड़े गर्व की बात होती थी. लेकिन छात्रों से गुलजार रहने वाला कोटा अब वीरान हुआ जा रहा है.
कोचिंग सिटी कोटा का खस्ताहाल
कोचिंग सिटी में जगह-जगह TO-LET के बोर्ड लटके दिख रहे हैं. NEET और IIT-JEE की तैयारी करने वाले छात्रों के रहने के लिए बने कई हॉस्टल और पीजी खाली पड़े हैं. कोटा की कमाई का सबसे बड़ा जरिया यहां की कोचिंग में पढ़ने आने वाले छात्र ही हैं, जिनकी संख्या में इस बार 40 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. इससे कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री का खस्ताहाल हो गया है.
कोटा सांसद ओम बिरला ने भी जताई चिंता
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने देशवासियों से अपने बेटे-बेटियों को कोटा में पढ़ाने की अपील की है. नये साल के मौके पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला मीडिया से मुखातिब हुए. उन्होंने डगमगाए कोचिंग इंडस्ट्रीज यहां की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की.
जब ओम बिरला से सवाल किया गया कि कोचिंग बंद होती है तो विकल्प क्या होगा? उन्होंने जवाब दिया कि यहां पढ़ाई के लिए अच्छा वातावरण है. कोटा में पढ़ने वाले बेटे-बेटी आज देश-दुनिया में नेतृत्व कर रहे हैं. कोचिंग इंडस्ट्री और एजुकेशन में जो भी संभावना है, वह तलाशी जा रही है. कुछ समय बाद बेहतर परिणाम सामने आएंगे.
समय का चक्र कैसे घूमता है, एक समय वो था जब कोटा में बच्चों का हुजूम उमड़ रहा था, कोचिंग संस्थान लबालब थे, लगातार बच्चे मौत को गले लगा रहे थे... और अब वर्तमान में हालातों का खेल ये है कि स्पीकर ओम बिरला देशवासियों से बच्चों को कोटा भेजने की अपील कर रहे हैं!#Rajasthan pic.twitter.com/NifzJteQD2
— Avdhesh Pareek (@Zinda_Avdhesh) January 1, 2025
कुछ गलत निर्णय और अफवाह के कारण कोटा की छवि बिगड़ीः ओम बिरला
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि कुछ गलत निर्णयों, अफवाहों की वजह से यहां का वातावरण खराब किया था. लेकिन, कोटा का हर एक परिवार कोचिंग स्टूडेंट्स को अपने बेटे-बेटियों की तरह उनकी परवरिश करेगा. लोकसभा स्पीकर ने कहा कि मेरा देशवासियों से आह्वान है कि यहां पर अपने बेटे-बेटियों को भेजे. यहां पर अच्छे संस्कार मिलेंगे. कोटा में अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी. यहां पढ़ने वाला बेटा-बेटी देश दुनिया में नेतृत्व करेगा.
कलेक्टर और एसपी ने भी किया था अपील
इससे पहले कोटा कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी और कोटा सिटी एसपी डॉ अमृता दुहन ने कोचिंग स्टूडेंटस के पेरेंट्स से कोटा में अपने बच्चों को पढाने की अपील की थी. कोटा कलेक्टर ने अभिभावकों के नाम एक पत्र भी लिखा था वही एसपी ने भी सुरक्षा मापदंड को लेकर आश्वस्त किया.
कोटा कलेक्टर ने अभिभावकों के नाम लिखा था पत्र
कामयाब कोटा अभियान के तहत कोटा कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने अभिभावकों को एक पत्र लिखा था. पत्र में जिला कलक्टर ने अभिभावकों को विश्वास दिलाया कि समस्त कोटावासी यहां आने वाले कोचिंग विद्यार्थियों की देखभाल अपने बच्चों की तरह करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.
उन्होंने लिखा है कि हाल ही में कोटा महोत्सव के माध्यम से शिक्षा की काशी कोटा को देश में एक नई पहचान देने का प्रयास किया गया है. इसके अलावा कोचिंग विद्यार्थियों की सुरक्षा की दृष्टि से गेटकीपर ट्रेनिंग, कालिका स्क्वाड द्वारा पैट्रोलिंग एवं छात्र-छात्राओं से निरंतर संवाद किया जा रहा है.
डॉ. गोस्वामी ने पत्र में लिखा है कि डिनर विद कलक्टर जैसे कार्यक्रम के माध्यम से कोचिंग विद्यार्थियों से संवाद कर उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा है. जिला प्रशासन के प्रयासों से कोचिंग विद्यार्थियों में सकारात्मक सोच विकसित हुई है. पत्र में उन्होंने शिक्षा की काशी कोटा में विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों को आमंत्रित करते हुए भरोसा दिलाया कि कोटा यहां आने वाले सभी छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए कृत संकल्पित है.
अब जानिए कोटा कोचिंग इंड्रस्टी का ये हाल क्यों हुआ
सालों तक छात्रों से गुलजार रहने वाले कोटा का खस्ताहाल के कई कारण है. जिसमें निम्न महत्वपूर्ण हैं.
- बड़े कोचिंग संस्थानों का यूपी, बिहार में सेंटर शुरू करना. ऐलन, आकाश जैसे कई संस्थान अब पटना, लखनऊ जैसे शहरों में भी चल रहे हैं. ऐसे में बिहार-यूपी के अभिभावक अपने बच्चों को कोटा भेजने से बेहतर पटना-लखनऊ में पढ़ाना पंसद करते हैं.
- कोटा में छात्रों के सुसाइड की बढ़ती घटनाओं से पेरेंट्स का बच्चों को कोटा भेजने से कतरा रहे हैं. मालूम हो कि 2023 में कोटा में दो दर्जन से अधिक छात्रों से सुसाइड किया था. 2024 में यह संख्या 16 के करीब पहुंची थी.
- 16 साल से कम उम्र के विद्यार्थी को कोचिंग में एडमिशन नहीं देने का नियम भी कोटा को वीरान कर रहा है. अब इस आयु वर्ग के बच्चों का दाखिला भी नहीं हो सकता है. ऐसे में इस आयु वर्ग वाले बड़ी संख्या में छात्र कोटा नहीं पहुंच रहे हैं.
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