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सुसाइड के बढ़ते मामलों को लेकर कोटा कलेक्टर ने लिखा अभिभावकों को भावुक पत्र, कहा- 'बच्चों को मौका दें..'

कोटा के कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने कोचिंग स्टूडेंट के अभिभावक और कोचिंग स्टूडेंट के नाम एक भाव भरा पत्र लिखा है.

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सुसाइड के बढ़ते मामलों को लेकर कोटा कलेक्टर ने लिखा अभिभावकों को भावुक पत्र, कहा- 'बच्चों को मौका दें..'

Rajasthan Kota Coaching: राजस्थान के सबसे मशहूर शहरों में एक कोटा कोचिंग हब के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां सामने आ रहे लगातार छात्रों के सुसाइड मामलों ने अभिभावक, छात्र और टिचर सभी को झंकझोर दिया है. हाल ही में कोटा में कई ऐसे मामले आ चुके हैं. जिसमें बच्चे पढ़ाई के दबाव में आकर अनचाहे फैसले ले रहे हैं. जिसमें सुसाइड जैसे खतरनाक फैसले शामिल हैं. वहीं बच्चों द्वारा लिये जा रहे इस खतरनाक फैसले को लेकर कोटा के कलेक्टर ने अभिभावकों के नाम भावुक पत्र लिखा है.

कोटा के कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने कोचिंग स्टूडेंट के अभिभावक और कोचिंग स्टूडेंट के नाम एक भाव भरा पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने अभिभावकों को भी बच्चों के प्रति उनकी जिम्मेदारी के साथ उनकी गलतियों को माफ करने की अपील की है. साथ ही उन्होंने कोचिंग स्टूडेंट से डॉक्टर और इंजीनियर के अलावा अन्य विकल्पों के बारे में पत्र में चर्चा की है.

कोटा कलेक्टर ने अपने भावुक पत्र में लिखा है

प्रिय परिजन,

कुछ समय बाद NEET और JEE की परीक्षाएं होनी है. आपने अपने बच्चे को पढ़ने के लिए सब सुविधाएं भी दी होंगी, कोचिंग, कमरा और खाना, इसके अलावा भी आपने जो समर्पण किया है, अपनी संतानों के लिए, उसका दूसरा कोई समानांतर उदाहरण नहीं है.मां-बाप के लिए अपने बच्चे की खुशी से बढ़कर कोई और खुशी नहीं हो सकती. समस्या तब खड़ी होती है जब हम बच्चें की खुशी को उसके किसी परीक्षा में लाए गए नंबरों से जोड़कर देखते हैं.

क्या कोई भी परीक्षा पास करने मात्र से व्यक्ति सफल हो जाता है? शायद नहीं. सफलता तो आत्मिक अनुभूति है. जो किसी कार्य को तन्मयता से करने में प्राप्त होती है, हो सकता बच्चे ने पूरी मेहनत की हो लेकिन उस दिन उसका दिन खराब हो. हो सकता है बच्चा मेहनत करता हो लेकिन उसका लगाव उस विषय में ना हो, हो सकता है ." वो एक मछली हो और अभी वो उड़ने की दौड़ में दौड़ रहा हो, इसलिए मैं बस इतना चाहता हूं कि आप अपने बच्चे को मौका दें, गलती करके सुधारने का, जैसा मेरे माता पिता ने दिया जब मैं कोटा से वापस घर चला गया था. क्योंकि तब वो 'जो भी करेगा पूरे मन से करेगा आपके लिये करेगा और अगले कुछ दिन उस से नियमित बात करें और समझाएं कि पूरे विश्व में कोई नहीं जो फेल ना हुआ हो, कोई नहीं जिसने गलती ना की हो और हर सफल व्यक्ति डॉक्टर या इंजीनियर बनके ही सफल हो यह भी जरूरी नहीं.

मुझे कई बार बच्चे 'Dinner with Collector" में पूछते हैं कि यदि मैं फेल हुआ तो मेरे माता पिता मुझसे कभी बात नहीं करेंगे? और मैं हर बार उनको विश्वास दिलाता हूं कि वो आपके फेल-पास से दुखी और खुश नहीं होंगे. बल्कि आपकी खुशी से खुश होते हैं, आप जो भी करें मन लगाकर करें तो वो खुश रहेंगे, मैं उम्मीद करता हूं आपके प्रतिनिधि के तौर पर मेरे द्वारा कही गई इन बातों का आप मान रखेंगे और इस महान भारत की महान संतानों को वो विश्वास देंगे जिसकी उनको आज सबसे ज्यादा जरूरत है.

बहरहाल कोटा कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने इस पत्र से अभिभावकों और छात्रों को समझाने की कोशिश की है कि किसी भी तरह की असफलता का प्रेशर इतना नहीं हो जिससे किसी तरह की अनहोनी तक पहुंच जाए. इसके लिए परिवार से लेकर सभी लोगों एक साथ आना होगा, छात्रों को मौका देना होगा. वह क्या करना चाहते हैं उसे लेकर भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है. छात्रों को उनके मनपसंद करियर चुनने का मौका देना चाहिए.

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