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This Article is From Mar 04, 2024

Loksabha Eelection 2024: भाजपा के लिए आसान नहीं होगा लोकसभा चुनाव, राजस्थान में अपने ही बागी नेताओं ने घिर गई पार्टी

राजस्थान विधानसभा चुनाव में बाड़मेर जिले की 6 विधानसभा सीटों पर बागी हुए भाजपा नेताओं ने पार्टी के समीकरण को हिलाकर रख दिया था और जीतकर विधानसभा पहुंचे नेताओं को पार्टी में वापसी की उम्मीद थी, लेकिन बहुमत मिलने के बाद उन्हें झटका मिला.

Loksabha Eelection 2024: भाजपा के लिए आसान नहीं होगा लोकसभा चुनाव, राजस्थान में अपने ही बागी नेताओं ने घिर गई पार्टी
बागी विधायक रवींद्र भाटी और प्रियंका चौधरी ( फाइल फोटो)

Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान होना अभी बाकी है. जल्द चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान भी कर सकती है, लेकिन राजस्थान में सत्तासीन भाजपा के लिए दिन अच्छे दिन नहीं दिख रहे हैं. वजह है पार्टी के बागी नेता, जिससे लोकसभा चुनाव में पहले पार्टी जूझती हुई नजर आ रही है. 

राजस्थान विधानसभा चुनाव में बाड़मेर जिले की 6 विधानसभा सीटों पर बागी हुए भाजपा नेताओं ने पार्टी के समीकरण को हिलाकर रख दिया था और जीतकर विधानसभा पहुंचे नेताओं को पार्टी में वापसी की उम्मीद थी, लेकिन बहुमत मिलने के बाद उन्हें झटका मिला.

माना जा रहा है लोकसभा चुनाव से पहले बागी भाजपा भाजपा को झटका दे सकते है, क्योंकि चुनाव से पूर्व फिर उन्होंने भाजपा को आंख दिखानी शुरू कर दी है इसे प्रेशर पॉलिटिक्स कहें या बगावत ये आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन यह साफ है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व भाजपा बागियों से घिर गई है, जिससे भाजपा की राह मुश्किल हो गई है.

कौन है ये बागी भाजपा नेता

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से भाजपा से टिकट की मांग कर रहे रविंद्र सिंह भाटी और प्रियंका चौधरी ने टिकट नहीं मिलने के बाद बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते, लेकिन चुनाव के नतीजे आने से पहले दोनोनेताओं से पार्टी ने संपर्क कर वापसी के संकेत दिए थे, लेकिन पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भाजपा में उनकी वापसी अधर में लटक गई.

लोकसभा चुनाव से पूर्व राजस्थान विधानसभा चुनाव में बागी हुए शिव और बाड़मेर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए रवींद्र भाटी और प्रियंका चौधरी एक सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा को घेरे हुए है.

भाजपा ने एक बार फिर कैलाश चौधरी को बनाया उम्मीदवार

भाजपा में लोकसभा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट को लेकर मंथन शुरू होने के साथ ही बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी को लेकर प्रियंका चौधरी के एक पोस्टर वायरल हुए थे, लेकिन भाजपा ने एक बार फिर कैलाश चौधरी को वहां से उम्मीदवार बनाया. लिस्ट आने के बाद शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी के बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने के पोस्टर वायरल होने लगे, इसने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है.

विधानसभा चुनाव में जब्त करवा चुके हैं भाजपा की जमानत

विधानसभा चुनावों में टिकट कटने से मतदाताओं में जबरदस्त सहानुभूति की लहर देखने को मिली और चुनावों दोनों नेताओं के साथ बड़ा समर्थन मिलने के बाद दोनों नेताओं ने चुनावी मैदान में निर्दलीय ताल ठोकी.नतीजा बाड़मेर से प्रियंका चौधरी और शिव सीट से रविंद्र सिंह भाटी जीत गए और भाजपा के प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई.

प्रियंका चौधरी की टिकट कटने से जाट समाज हुआ नाराज

प्रियंका चौधरी की भाजपा से टिकट करने के बाद बाड़मेर जिले की 6 विधानसभा सीटों पर जबरदस्त असर देखने को मिला था. प्रियंका चौधरी की टिकट कटने से जाट समाज में जबरदस्त नाराजगी देखने को मिली थी.भाजपा ने इस सीट से पूर्व विधायक व दिग्गज जाट नेता तगाराम चौधरी के पोते दीपक कड़वासरा को टिकट देते हुए डेमेज कंट्रोल करने की कोशिश की थी, लेकिन यहां भाजपा के प्रत्याशी को महज 5 हजार वोट ही मिले थे.

जाट समाज का बाड़मेर जिले की चौहटन गुड़ामालानी बायतु और शिव विधानसभा सीटों पर बड़ा असर माना जाता है और इन सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों को जाट समाज की नाराजगी देखने को मिली और विधानसभा चुनाव में उन्हें हारकर मुंह की खानी पड़ी थी.

युवाओं में लोकप्रिय है शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी 

रविंद्र सिंह भाटी 2019 में जेएनवीयू जोधपुर से छात्रसंघ चुनाव जीतने के बाद युवाओं में खासे लोकप्रिय है. चुनाव से पहले भाटी भाजपा में शामिल हो गए थे और शिव विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने ऐनवक्त पर भाजपा जिला अध्यक्ष स्वरूप सिंह खारा को प्रत्याशी बनाया, जिससे नाराज होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे भाटी ने भाजपा प्रत्याशी की जमानत तक जब्त करवा दी 

बागी नेताओं को भाजपा में थी वापसी की उम्मीद

विधानसभा चुनाव में जीत के बाद दोनों ही बागी नेताओं को भाजपा में वापसी की उम्मीद थी. सूत्र बताते हैं कि परिणाम से पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी से लेकर वसुंधरा राजे और गजेंद्र सिंह शेखावत जैसे बड़े नेता उनके संपर्क में थे, लेकिन भाजपा को बहुमत से ज्यादा सीट मिल गई, तो पार्टी ने दोनों बागी दोनों नेताओं की वापसी में दिलचस्पी नहीं दिखाई.

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