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This Article is From Oct 05, 2023

वसुंधरा राजे का देव दर्शन अभियान जारी, पहली बार मां रूपादे और रावल मल्लीनाथ जी के मंदिर पहुंचीं पूर्व CM

राजे ने कहा कि,राणी रूपादे जी और रावल मल्लीनाथ जी के दर्शनों की लम्बे समय से इच्छा थी, जो आज पूरी हुई. यहां के साक्षात् दर्शन मन को मालाणी क्षेत्र के प्रति जोड़ रहा हैं.

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वसुंधरा राजे का देव दर्शन अभियान जारी, पहली बार मां रूपादे और रावल मल्लीनाथ जी के मंदिर पहुंचीं पूर्व CM
दर्शन के दौरान महिलाओं से मिलतीं वसुंधरा राजे.
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राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का देव दर्शन अभियान जारी है. गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मालाणी संस्थापक और राठौड़ वंश के आदि पुरुष संत शिरोमणि रावल मल्लीनाथ और राणी रूपादे के दर्शन करने के लिए तिलवाड़ा पहुंचीं .जहां वसुंधरा राजे ने राणी रूपादे और रावल मल्लीनाथ जी के मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धोक लगाई. इस दौरान राजे ने मन्नत का नारियल माता की चौखट पर अर्पित किया और देश-प्रदेश में खुशहाली की कामना की. 

राजे ने यहां रुपसरोवर तालाब पर कुरजां के मनोरम दृश्य को देखा. इस दौरान राजे ने कहा कि,राणी रूपादे जी और रावल मल्लीनाथ जी के दर्शनों की लम्बे समय से इच्छा थी, जो आज पूरी हुई. यहां के साक्षात् दर्शन मन को मालाणी क्षेत्र के प्रति जोड़ रहा हैं. लुणी नदी के किनारे बने धाम की सुंदरता, सम्पन्नता, आनन्द और उल्लास नई ऊंचाइयो को छूने के लिए भी अब प्रेरित कर रही है.

पूर्व सीएम ने कहा कि मनुष्य जीवन और मौसम हमेशा स्थिर नहीं रहते हैं महान संतों के बताए गए मार्ग पर चलने से हमेशा सर्व कार्य सिद्ध होते है. सुख-दुख जिंदगी में आते रहते हैं, लेकिन मनुष्य को कभी हौसला नहीं खोना चाहिए.

उन्होंने कहा कि लोगों का यही प्यार, यही आशीर्वाद और यही साथ ही हमारी सबसे बड़ी दौलत है. इसके बिना हम अधूरे है. मेरी माता राजमाता साहिबा ने भी मुझे यही सिखाया है. राजे ने कहा कि,पश्चिमी राजस्थान का इतिहास संजोए हुए मालाणी क्षेत्र अपनी एक अलग ही पहचान रखता है.

यहां रावल मल्लीनाथ जी और राणी रूपादे जी ने जो आदर्श स्थापित किए हैं, वे हम सभी के लिए प्रेरणादायक हैं. ये भूमि वीर योद्धाओं व महान तपस्वी संतों की है. यहां रावल मल्लीनाथजी ने 700 वर्षों पूर्व सन्तों का समागम करवाया. जिसमें श्री राणी रूपादे जी के गुरु श्री उगमसी भाटी, गुरु भाई मेघधारूजी, संत शासक महाराणा कुंभा व उनकी रानी (मेवाड़), बाबा रामदेव जी रामदेवरा (पोखरण), जैसल धाड़वी व उनकी रानी तोरल (गुजरात) सहित अन्य समकालीन संतो ने भाग लिया और समरसता,धर्म व सत्य मार्ग की जोत जगाई जो उनके भजनों के माध्यम से राजस्थान व गुजरात में बसे उनके अनन्य भक्तों में मन में प्रज्वलित है.

लूणी नदी के किनारे श्री रावल मल्लीनाथ जी मंदिर (मालाजाल) में जो संत समागम की शुरुआत हुई, उसका अब विश्व विश्विख्यात पशु मेले के रूप में प्रतिवर्ष आयोजन लूणी नदी के किनारे निरंतर होता आ रहा है. उन्होंने कहा कि राणी रूपादे के भजनों में बताये गए उपदेश और सत्य के मार्ग पर चले तो मनुष्य के हर कार्य सिद्ध होते हैं.

राणी रूपादे जी का मन्दिर (पालिया) तिलवाड़ा छत्तीस कौम के लिए प्रमुख आस्था का केन्द्र है. यहां पर हर रोज सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन लाभ लेते हैं. प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष बीज (द्वितीया) तथा मार्गशीष शुक्ल पक्ष पंचमी (पाटोत्सव) में भव्य मेलों का आयोजन (भव्य रात्रि जागरण, महाप्रसादी) संस्थान द्वारा करवाया जाता है जिसमें श्री रावल मल्लीनाथजी व श्री राणी रूपादे जी के अनन्य भक्त हाजरी लगाकर दर्शन लाभ लेते है.

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