राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आज दो दिन में मालानी क्षेत्र का गुरूवार को दूसरा दौरा करने वाली है. इस दौरान उन्होंने जसोल में रावल मल्लीनाथ और रूपादे मंदिरों के साथ-साथ कल्याणपुर स्थित नागाणाधाम के दर्शन करेंगी. राजे के इस दौरे को लेकर स्थानीय बीजेपी में हलचल शुरू हो गई है.
नागाणाधाम में आज दर्शन करेंगी राजे
बालोतरा दौरे के दौरान जसोल मंदिर दर्शन के दौरान समय जसोल राजघराने से जुड़े हुए रावल किशनसिंह ने रूपादे मंदिर के दर्शन की बात कही थी. मुलाकात के दौरान कल्याणपुर पंचायत समिति प्रधान उम्मेदसिंह अराबा भी साथ थे. अराबा राठौड़ की कुलदेवी नागणेच्या मंदिर के ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं. उन्होंने भी नागाणाधाम दर्शन करने का न्योता दिया.
राजे की इस मुलाकात के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि बताया जा रहा है कि दो दिन पहले समय अभाव के कारण इन मंदिरों में दर्शन नहीं हो पाए थे इसलिए प्रधानमंत्री के जोधपुर सभा के बाद वो जसोल व नागाणाधाम में आज दर्शन करेंगी.
2014 में टिकट काटने का लगा था आरोप
चर्चा यह भी है कि बीजेपी के कद्दावर नेता स्व जसवंतसिंह जसोल के पुश्तेनी गांव में वसुंधरा का लगाव भी राजनीतिक हलचल पैदा कर रहा है. 2014 लोकसभा चुनाव में बागी हुए जसवंत सिंह ने खुलेआम वसुंधरा गुट पर लोकसभा में टिकट काटने के आरोप लगाए थे. बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा में उस समय बीजेपी ने जाट नेता कर्नल सोनाराम को टिकट दिया था.हालांकि जसवंतसिंह वो चुनाव हार गए. उसके बाद वो कभी सक्रिय राजनीति में सामने नहीं आए.
नाराज राजपूतों को एकजुट करने की कोशिश
माना जा रहा है कि अब वसुंधरा राजे का मालानी क्षेत्र का दौरा जसवंतसिंह मामले से नाराज चल रहे राजपूतों को वापस एकजुट करने की कवायद भर है. आज के इस दौरे में देखने वाली बात यह होगी कि इस दौरे में कितने स्थानीय राजपूत समाज के लोग मौजूद रहते हैं और चुनाव को लेकर क्या रणनीति बनती है.
राजे के दौरे से बीजेपी में बढ़ी हलचल
वसुंधरा राजे के इस दौरे को लेकर बीजेपी में भी हलचल शुरू हो गई है. सूत्रों की मानें तो इस दौरे को लेकर कई सियासी अटकलें लगाई जा रहे हैं. कुछ लोग इसे वसुंधरा राजे की सियासी वापसी के रूप में देख रहे हैं. वहीं, कुछ लोग इसे पार्टी में गुटबाजी की ओर इशारा कर रहे हैं.
आगामी चुनाव को लेकर क्या है राजे की रणनीति
आज के दौरे में देखने वाली बात होगी कि वसुंधरा राजे चुनाव को लेकर क्या रणनीति बनाती हैं. क्या वे इस दौरे के जरिए राजपूतों को एकजुट करने के साथ-साथ पार्टी में अपनी स्थिति को मजबूत करने कर पाएंगी या नहीं.
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