Rajasthan News: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने शुक्रवार को प्रदेश के सभी 41 जिलों में ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और नई पंचायतों के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है. इस बड़े फैसले के बाद पंचायती राज का प्रशासनिक और राजनीतिक नक्शा पूरी तरह बदल गया है. बाड़मेर, जैसलमेर जैसे रेगिस्तानी जिलों में विशेष छूट के चलते सबसे अधिक नई पंचायतों का गठन हुआ है, जिससे स्थानीय लोगों को अब घर के पास ही पंचायत स्तर की सुविधाएं मिलेंगी.
41 जिलों में एक साथ नई पंचायतों का ऐलान
पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया राजस्थान में पिछले एक साल से चल रही थी. सरकार ने इसके लिए जिलों से प्रस्ताव मंगवाए थे और राजनीतिक स्तर पर भी व्यापक विचार-विमर्श किया गया था. अब जाकर ये काम पूरा हुआ है. आज ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने प्रदेश के सभी 41 जिलों में ग्राम पंचायतों के पुनर्सीमांकन (Redemarcation) और नवसृजन की अधिसूचना जारी कर दी है.
रेगिस्तानी जिलों में सबसे बड़ा फायदा: क्यों बढ़ी संख्या?
नई पंचायतों के गठन में सबसे अधिक वृद्धि रेगिस्तानी जिलों में देखी गई है. बाड़मेर, जैसलमेर, फलोदी, बीकानेर और चूरू जैसे जिलों को पुनर्गठन के मापदंडों में विशेष छूट दी गई थी, जिसके कारण यहां बड़ी संख्या में नई ग्राम पंचायतों का गठन हुआ है.
प्रमुख जिलों में नई पंचायतों की स्थिति:-
- बाड़मेर: 12 पंचायत समितियों और आंशिक बायतु क्षेत्र में 270 नई ग्राम पंचायतें बनाई गईं.
- जोधपुर: जिले में 241 नई ग्राम पंचायतें जुड़ने से अब कुल पंचायतों की संख्या 527 हो गई है.
- दौसा: जिले में 85 नई ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है.
- अजमेर: पुनर्गठन के बाद 84 नई पंचायतें अस्तित्व में आई हैं.
- जैसलमेर: यहां अधिसूचना के अनुसार 51 नई ग्राम पंचायतें बनाई गई हैं.
- उदयपुर: पुनर्गठन के बाद कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 349 हो गई है.
बदल जाएगी ग्रामीण राजनीति, अब नए सिरे से चुनाव
सरकार के इस फैसले से ग्रामीण राजनीति और चुनाव की पूरी संरचना बदल जाएगी. नई पंचायतों के गठन से सरपंच, उपसरपंच और वार्ड पंचों के पदों की संख्या में भारी वृद्धि होगी. भविष्य में होने वाले पंचायत चुनाव इन्हीं नई सीमाओं और प्रशासनिक संरचना के आधार पर कराए जाएंगे, जिससे ग्रामीण स्तर पर राजनीतिक प्रतिनिधित्व का विस्तार होगा.
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जनता को सीधा लाभ, आसान होगी प्रशासनिक सुविधा
नई पंचायतों के गठन का सबसे बड़ा लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा. कई जिलों में एक ही पंचायत में तीन से चार बड़े गांव आते थे, जिससे लोगों को पंचायत मुख्यालय पहुंचने के लिए कई किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी. अब पंचायतों का क्षेत्र छोटा हो जाएगा, जिससे राशन, सरकारी दस्तावेज और अन्य प्रशासनिक कार्यों के लिए लोगों को अपने निवास के नजदीक ही पंचायत स्तर की सुविधाएँ मिलेंगी.
रोजगार के नए अवसर, बढ़ेंगे सरकारी पद
नई पंचायतों के गठन से प्रशासन को चलाने के लिए नए पदों पर भी नियुक्ति की आवश्यकता होगी. ग्राम सचिव, पंचायत सहायक और पटवारी जैसे पदों की संख्या में सीधे तौर पर वृद्धि होगी. जितनी नई पंचायतें बनी हैं, उतने ही नए पदों पर नियुक्ति की जरूरत होगी, जिससे राज्य के शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ने की प्रबल संभावना है.
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