
Bedla mata mandir Udaipur: उदयपुर के बेदला में माताजी का मंदिर क्षेत्र में आस्था का अहम केंद्र है. बेदला माता को सुख की देवी के नाम से भी पुकारा जाता है. इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्तों को रोग दूर हो जाते हैं. कहा तो यह भी जाता है कि निसंतान दंपति की संतान की इच्छा भी पूरी कर देती हैं. इसी कारण मंदिर में मोली बांध कर अपनी मन्नत मागते हैं और मन्नत पूरी होने पर श्रद्धानुसार प्रसादी या सुख देवी माता को चांदी के छत्र और आभूषण भी चढाते हैं.
शहर से 8 किमी दूर स्थित है मंदिर
शहर से 8 किलोमीटर दूर बेदला गांव में स्थित सुखदेवी माता उदयपुर की स्थापना के पहले से ही विराजित हैं. यहां सामान्य दिनों में भी भक्तों की काफी भीड़ होती है. इतिहासकार बताते है कि आठवीं सदी में वर्तमान मंदिर के सामने स्थित पहाड़ी पर माता का मंदिर था. इनके पास ही अंबा माता का मंदिर भी था. नवरात्र के पहले दिन से लेकर नौ दिनों में खास तौर पर मेवाड़ क्षेत्र से बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं.
मेवाड़ के बेदला ठिकाने की इष्टदेवी भी है माता
इस मंदिर में विराजित माता मेवाड़ रियासत के प्रमुख ठिकानों में रहे बेदला की इष्ट देवी भी हैं. आज भी पूर्व ठिकानेदार की ट्रस्ट ही मंदिरों का संचालन करती है. वहीं, मंदिर में पूजा का काम गमेती परिवार द्वारा किया जाता है. पूर्व ठिकाना परिवार के हिम्मतसिंह बेदला बताते हैं कि बेदला माताजी मंदिर की स्थापना करीब 1500वीं सदी में राव चंद्रभान सिंह ने करवाई थी. इसके बाद महाराणा फतेहसिंह ने भी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था.
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