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This Article is From Sep 07, 2024

NDTV Ground Report: राजस्थान के बारां में सैकड़ों आदिवासी बच्चे कुपोषित, 1 बेड पर चल रहा 3 का इलाज, डॉक्टर्स की कमी

अनुमान है कि शाहाबाद-किशनगंज क्षेत्र में सहरिया जनजाति के 40 हजार परिवार रहते हैं. शाहाबाद खंड के प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी शेख आरिफ इकबाल ने बताया कि सर्वेक्षण के माध्यम से कुपोषित बच्चों की पहचान की गई थी और अब इनकी संख्या घटकर एक या दो रह गई हैं जो दिखाते हैं कि स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण में आ रही है.

NDTV Ground Report: राजस्थान के बारां में सैकड़ों आदिवासी बच्चे कुपोषित, 1 बेड पर चल रहा 3 का इलाज, डॉक्टर्स की कमी

Rajasthan News: राजस्थान के बारां जिले में दो सप्ताह के भीतर सहरिया जनजाति के 172 बच्चों के कुपोषण से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई है. अधिकारियों ने बताया कि शाहाबाद-किशनगंज क्षेत्र के बच्चों को कुपोषण उपचार केंद्रों (MTC) में भर्ती कराया गया है, जिनमें से 25 को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है. जबकि शेष बच्चों को डॉक्टर्स की निगरानी में इलाज हो रहा है. कुपोषण के मामलों में हुई इस वृद्धि ने सरकारी स्वास्थ्य तंत्र और जिले के समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

पिछले सप्ताह सहरिया जनजाति के एक बच्चे में कुपोषण की पुष्टि हुई थी. इसके बाद बारां के जिलाधिकारी रोहिताश्व सिंह तोमर ने अगस्त में शाहाबाद-किशनगंज क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण कराया, जिसमें काफी संख्या में बच्चे कुपोषण से ग्रस्त पाए गए. जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने का सिलसिला शुरू हुआ. 

22 बेड पर 53 बच्चों का इलाज जारी

आलम यह है कि बारां जिले के सभी एमटीसी केंद्र और शिशु वार्ड फुल हो गए हैं. वहां एक बेड पर दो-तीन बच्चों को रखा गया है. कुछ का बेंच पर उपचार हो रहा है. 22 बेड पर 53 बच्चे भर्ती हैं. शाहाबाद में 20 बेड पर 74 बच्चे व समरानिया में अतिरिक्त एमटीसी वार्ड बनाकर 37 बेड पर 36 बच्चों का उपचार किया जा रहा है. जिला अस्पताल में 20 बेड का एमटीसी स्वीकृत है, लेकिन इसे वर्तमान में एमसीएच के एक हॉल में चलाया जा रहा है. इसमें जगह की कमी से 18 बेड ही लग रहे हैं.

इलाज के लिए MTC नहीं भेज रहे परिजन

जिला प्रशासन के आदेश पर 29 अगस्त से कुपोषित बच्चों को चिन्हित करने के लिए सर्वे शुरू किया गया था. इसके बाद 1 सितंबर से महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से पोषण माह शुरू किया गया. इसके तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी आदि ने सर्वे कर दो दिनों में लगभग 300 कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया. इसमें से अतिगंभीर 153 बच्चों को एमटीसी के लिए रेफर किया गया है. इसमें से 46 बच्चों को तो अति गंभीर होने के बाद भी परिजन अस्पतालों की एमटीसी में भर्ती करने को तैयार नहीं हुए.

अस्पताल में बेड और डॉक्टर की कमी

शाहाबाद के ब्लॉक सीएमएचओ डॉक्टर आरिफ खान ने बताया कि, 'मॉनिटरिंग की जा रही है. बच्चों की संख्या अधिक होने की वजह से दो अन्य डॉक्टर्स को लगाया गया है. 24 घंटे उनका उपचार कर रहे हैं. उसके अलावा इनके पलायन की बड़ी समस्या होती है. अपने खेत में काम करती है. समरानिया में 40 बेड का अतिरिक्त एमटीसी वार्ड बनाया गया है. शाहाबाद सीएचसी पर 20 बेड का एमटीसी वार्ड चल रहा है, जो कम पड़ रहा है. इसके लिए समरानिया सीएचसी पर अतिरिक्त 20 बेड का वार्ड बनाया है, जहां 30 बच्चे भर्ती हैं. बाहर से दो डॉक्टर लगाए गए हैं, जो 24 घंटे उनका उपचार और मॉनिटर कर रहे हैं. 

माताओं को प्रतिदिन दिए जा रहे 225 रुपए

बारां जिला चिकित्सालय के पीएमओ नीरज शर्मा ने बताया कि, 'अति कुपोषित बच्चों को आदिवासी क्षेत्र से बारां जिला चिकित्सालय लाया जा रहा है. हमारे पास अभी एमटीसी में 20 बेड हैं. 54 बच्चे एडमिट हो चुके हैं.  कोटेज वार्ड में बेड लगा दिए गए हैं. बारां के 100 बेड के अस्पताल में ही अन्य बेडों की व्यवस्था की गई है. आज की तारीख में 54 बच्चे अस्पताल में भर्ती है. यहां पर आति कुपोषित बच्चों को लाया जा रहा है. उनका समुचित उपचार किया जा रहा है. परिजनों के रुकने, खाने पीने की व्यवस्था नि:शुल्क की जा रही है. 225 रुपए प्रतिदिन माताओं को दिए जा रहे हैं. पुराने बेड कम पढ़ रहे थे, बच्चे ज्यादा हो रहे थे, इसलिए हमने एक्सटेंशन वार्ड की व्यवस्था की है.'

'412 बच्चे कुपोषित, 198 MTC में भर्ती'

बारां जिले में बाल विकास परियोजना की उपनिदेशक नीरू सांखला ने बताया कि, 'आंगनवाड़ी कार्यकर्ता फील्ड में जा रही हैं. जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार, लगातार 29 अगस्त से हम लोग सर्वे कर रहे हैं और कुपोषित बच्चों को चिन्हित करके एमटीसी में भर्ती करा रहे हैं. अब तक 151 बच्चों को एमटीसी में रेफर किया जा चुका है. जांच के पश्चात यह भी पता चला है कि कुल 412 बच्चे थे. 198 को एमटीसी में भेजने की जरूरत थी, जिन्हें भर्ती करवा दिया गया है. मगर, फील्ड में यह समस्याएं आती हैं कि कुछ परिजन बच्चों को एमटीसी में ले जाना उचित नहीं समझते. ऐसे में उनके लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की जाती है.'

'बारिश और पलायन कुपोषण के मुख्य कारण'

बारां जिला कलेक्टर रोहिताश्व सिंह तोमर ने बताया कि, 'सरकार लगातार कुपोषण को मिटाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं चला रही है, जो सिर्फ सहरिया जाति के लिए चल रही हैं. यहां के लोगों को दोगुना पोषाहार मिलता है. बावजूद इसके, कुपोषण के मामले जुलाई महीने से बढ़ना शुरू होते हैं. इसका पहला मुख्य कारण बारिश (Rain) है. मानसून आते ही वाटर रिसोर्सेज दूषित हो जाते हैं, जिस कारण डायरिया व अन्य मौसमी बीमारियां बच्चों को पकड़ने लगती हैं. दूसरे कारण की बात करें तो वह पलायन (Exodus) है. इस समय बच्चों पर कम ध्यान दिया जाता है और उन्हें प्रोपर फूड भी नहीं मिल पाता है.'

'MTC में इलाज के बाद 15 बच्चे हुए डिस्चार्ज'

कलेक्टर ने बताया कि, 'इस बार हमने अगस्त महीने में अभियान चलाकर कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया है. यही कारण है कि बच्चे इतने अधिक संख्या में कुपोषण के अलावा अन्य बीमारियों से भी ग्रसित मिले हैं. इन बच्चों का कुपोषण उपचार केंद्रों (MTC) में लाकर इलाज किया जाता है. वर्तमान में हमारे पास एक ही MTC था. लेकिन केस बढ़ने पर जिला अस्पताल और समरानिया में भी अलग से एमटीसी वार्ड की व्यवस्था की है. हमारी कोशिश है कि बच्चों को कम समय में जल्दी से जल्दी ठीक किया जा सके. लगभग 25 बच्चों को पोषित होकर डिस्चार्ज कर दिया गया है.'

'कुपोषित बच्चों के लिए नए प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग'

बारां डीएम ने बताया कि, 'हम जल्द ही कुपोषित बच्चों के लिए नया प्रोजेक्ट लॉन्च करेंगे, ताकि बच्चे बार-बार कुपोषित ना हो. सरकारी सुविधाओं का उपयोग करते हुए पोषाहार है. अन्य जो भी कार्य हैं, उसको अच्छा बनाने के लिए कार्य किया जाएगा. जल्दी ही माता-पिता को जागरूक करने के लिए कार्य किया जाएगा. शाहाबाद किशनगंज में महिला व बाल विकास विभाग में कर्मचारियों की बहुत कमी है और इसी कारण से मॉनिटरिंग में थोड़ी कमी देखने की मिली है. जो लापरवाही मिलती है वहां से हम कार्रवाई करते हैं. अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं. ग्राउंड आधार पर उन्होंने माना कि कर्मचारियों की कमी होने की वजह से हमारे साथ यह मजबूरी सामने आती है, लेकिन हम फिर भी और भी अच्छा प्रयास करेंगे और पोषाहार दिया जा रहा है. उसका इनको अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए.

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