Year 2025: साल 2025 राजस्थान में सियासी लिहाज से भी बेहद खास रहने वाला है. बीते साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ताधारी दल बीजेपी को झटका दिया. वहीं, उपचुनाव में जनता ने भजनलाल सरकार के काम पर मुहर लगा दी. अब राजनीतिक दलों की निगाहें पंचायत चुनाव पर हैं. वन स्टेट-वन इलेक्शन (one state-one election) के तहत प्रदेश में एक साथ चुनाव कराने की तैयारी हैं. भजनलाल सरकार ने पंचायतों को पुनर्गठन की तैयारी भी शुरू कर दी है. पंचायतों को 3 श्रेणी में बांटते हुए इसकी गाइडलाइन जारी की जा चुकी है. पंचायतों के पुनर्गठन के बाद ही पंचायत चुनाव होंगे. ऐसे में इस साल सियासी उठापटक होने की पूरी संभावना है.
क्यों अहम हैं चुनाव?
दरअसल, सरकार की मंशा है कि प्रदेश में 291 नगर निकाय, 7 हजार पंचायत समिति में एक साथ चुनाव करवाने की है. इसमें 1 लाख से ज्यादा पंच और करीब 11 हजार सरपंच के पद शामिल हैं. जबकि 7 हजार पंचायत में समिति सदस्य, 1 हजार जिला पंचायत सदस्य और 7500 पार्षद चुने जाने हैं.
इन पदों के लिए हो सकते हैं चुनाव
- 11 नगर निगम में मेयर
- 33 नगर परिषद में सभापति
- 169 नगर पालिका में सभापति
- 7500 पार्षद
- 1 हजार जिला परिषद सदस्य
- 11 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायत
एक साथ चुनाव कराना बड़ी चुनौती
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा कई बार कह चुके हैं कि राजस्थान में हर हाल में वन स्टेट वन इलेक्शन लागू किया जाएगा. उनका कहना था, "सरकार का विचार है कि सभी निकायों में वन स्टेट वन इलेक्शन के तहत एक साथ चुनाव करवाएं जाएं. इसके लिए बाकायदा, राज्य की 49 नगर निकायों के निर्वाचित बोर्ड के कार्यकाल खत्म होने के बाद प्रशासकों की नियुक्ति भी की जा चुकी है."
हालांकि एक साथ चुनाव कराना सरकार के लिए आसान भी नहीं है, क्योंकि ऐसा होता है तो 11 नगर निगम, 33 नगर परिषद और 169 नगर पालिकाओं समेत 11 हजार ग्राम पंचायतों में भी चुनाव कराने होंगे. इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर बड़ी व्यवस्था करनी होगी. साथ ही नगर निकायों के सीमांकन पर भी सवाल बरकरार है. परिसीमन का काम 1 मार्च से पहले पूरा होना था, अब इसे बढ़ाकर 21 मार्च कर दिया गया है.
क्षेत्रीय दल एक बार फिर कराएंगे ताकत का अहसास!
पंचायत और शहरी सरकार के लिए होने वाले चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ही नहीं, बल्कि आरएलपी-बीएपी जैसे दल भी ताकत का अहसास कराएंगे. जयपुर में प्रदेश कार्यालय के उद्घाटन के साथ के ही बीएपी ने प्रदेशभर में पार्टी विस्तार की योजना पर काम करना भी शुरू कर दिया है. दक्षिण राजस्थान में पकड़ मजबूत करती जा रही भारत आदिवासी पार्टी के लिए पंचायतीराज चुनाव काफी अहम होंगे.
पंचायत चुनाव के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी है. वहीं, नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी विधानसभा में प्रतिनिधित्व खोने के बाद ग्रामीण अंचल तक अपनी पैठ बनाने की तैयारी में हैं. नागौर समेत जाटलैंड के कई इलाकों में आरएलपी के लिए बड़ा सियासी इम्तिहान होने वाला है.
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