
NGT Team at Kota Chambal River Front: कोचिंग सिटी कोटा को राजस्थान सरकार पर्यटन नगरी के रूप में विकसित कर रही है. इस कड़ी में कोटा में चंबल नदी के किनारे 1500 करोड़ की लागत से चंबल रिवर फ्रंट बनाया गया है. लेकिन इस रिवर फ्रंट के निर्माण में कई तरह की अनियमितता और नियमों की अनदेखी का आरोप भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गूंजन ने बीते दिनों लगाया था. जिसके बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (NGT) ने मामले की जांच शुरू कर दी है. बुधवार को एनजीटी की चार सदस्यीय टीम चंबल रिवर फ्रंट की जांच के लिए कोटा पहुंची.
दरअसल चंबल नदी के किनारे पर अवैध कॉमर्शियल एक्टिविटी की जांच करने के लिए एनजीटी के निर्देश पर गठित चार सदस्य टीम आज कोटा पहुंची और रिवर फ्रंट का निरीक्षण किया. टीम दो दिवसीय दौरे पर कोटा पहुंची है, जो आज और कल कोटा में रहकर रिवर फ्रंट का अवलोकन कर अपनी रिपोर्ट NGT में पेश करेगी.
एनजीटी द्वारा गठित की गई चार सदस्य टीम आज सुबह सबसे पहले जिला कलेक्ट्रेट पहुंची और जिला कलेक्टर से मुलाकात के बाद टीम कुन्हाड़ी स्थित रिवर फ्रंट के वेस्ट साइड पहुंची. जहां से UIT के सेक्रेटरी और इंजीनियर्स के साथ चर्चा कर रिवर फ्रंट का अवलोकन किया.
15 सौ करोड़ की लागत से तैयार हुआ है रिवर फ्रंट
दो दिनों के अवलोकन के बाद टीम निरीक्षण रिपोर्ट NGT में पेश करेगी. टीम में जयपुर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर जैव विविधता बोर्ड के मेंबर कोटा ADM सिटी और इरिगेशन विभाग के SE को शामिल किया गया है. गौरतलब है कि कोटा कॉंग्रेस के UDH मंत्री शांति धारीवाल के ड्रीम प्रोजेक्ट चम्बल रिवर फ्रंट को कोटा UIT ने 15 सौ करोड़ की लागत से तैयार किया है.
अवैध निर्माण का आरोप
दरअसल अजमेर निवासी अशोक मलिक और द्रुपद मलिक ने एक याचिका NGT में दायर करते हुए आरोप लगाया था कि रिवर फ्रंट का कंस्ट्रक्शन घड़ियाल अभ्यारण इलाके में हुआ है. साथ ही नदी के किनारों पर कॉमर्शियल एक्टिविटी की जा रही है जो पूर्णतः अवैध है. और इसके लिए कोटा UIT द्वारा कोई परमिशन नहीं ली गई है, ना ही पर्यावरण स्वीकृति हासिल की गई है.
याचिकाकर्ता का आरोप है कि ये पूर्णतः वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट का उल्लंघन है. वहीं इस मामले को लेकर भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने भी आरोप लगाया था कि रिवर फ्रंट पर किया गया निर्माण गैर कानूनी है.
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