राजस्थान सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री मदन दिलावर आज एकदिवसीय दौरे पर अजमेर में हैं. दिलावर रीट परीक्षा को लेकर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सभागार में शिक्षा विभाग और बोर्ड के अधिकारियों के साथ एक बैठक लेंगे. उससे पहले एनडीटीवी से खास बातचीत में मंत्री दिलावर ने कहा कि लोकल लैंग्वेज बारे में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 नीति लागू की थी, उसमें भी यह प्रावधान है.
दिलावर ने यह भी कहा कि प्रारंभिक शिक्षा के बारे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह है कि स्थानीय बोली या मातृभाषा में पढ़ाया जाए, क्योंकि बच्चा जब पैदा होने के बाद मां की गोदी में रहता है, मां के साथ रहता है, परिवार में रहता है. बिना कुछ लिखे- पढ़े वह सब बात सीखता है और जब बच्चा स्कूल में जाता है, तब बच्चे को स्कूल में दूसरा वातावरण दिखाई देता है.
''बच्चा बोलचाल की भाषा जल्दी सीखता है''
वहां दूसरी भाषा यानी हिंदी भाषा. हिंदी भाषा की अपेक्षा बच्चा बोलचाल की भाषा जल्दी सीखता है. इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कहा गया है कि प्रारंभिक शिक्षा बच्चों की लोकल भाषा में होनी चाहिए. दिलावर ने हाड़ोती की भाषा में उदाहरण देते हुए कहा कि मैं जा रहा हूं को हाड़ोती में 'मैं जारिया छु' बोलते हैं. लोकल लैंग्वेज में पढ़ाई के फायदों के बताते हुए दिलावर ने कह कि बच्चा उसकी स्थानीय, घर की भाषा जल्दी सीखेगा. उन्होंने यह भी कहा कि अभिमन्यु उनकी मां के पेट में ही सब कुछ सीख गए थे.
गौरतलब है कि राजस्थान के इलाकों में कई तरह की बोलियां बोलीं जाती हैं, मारवाड़ में मारवाड़ी, मेवाड़ में मेवाड़ी, शेखावाटी में शेखावाटी और जयपुर और उसके आसपास के जिलों में ढूंढाड़ी बोलियां बोली जाती हैं.
पहले इन 9 जिलों में होगा इम्प्लीमेंट
बीजेपी मंत्री ने बताया कि वर्तमान में सिरोही और डूंगरपुर जिलों में एक मल्टीलिंग्वल लैंग्वेज प्रोग्राम चलाया जा रहा है. अगले सत्र से इस कार्यक्रम का विस्तार 9 जिलों तक हो जाएगा, जिसके बाद जयपुर, उदयपुर, पाली, राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, सिरोही, डुंगरपुर में स्थानीय भाषा में पढ़ाई शुरू हो जाएगी. 2026 शैक्षणिक सत्र तक इसे 25 जिलों तक विस्तारित करने की योजना है.
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