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अब WhatsApp Chat भी हो सकता है बड़ा Evidence, हाईकोर्ट ने ठहराया जायज

जोधपुर हाईकोर्ट ने काली कमाई पर इनकम टैक्स द्वारा व्हाट्सऐप चैट के जरिए की गई कार्रवाई को सबूत के तौर पर सही ठहराया है.

अब WhatsApp Chat भी हो सकता है बड़ा Evidence, हाईकोर्ट ने ठहराया जायज

Rajasthan High Court: इन दिनों व्हाट्सऐप के जरिए चैट और कॉलिंग का काम किया जाता है. कई काम व्हाट्सऐप चैट के जरिए ही किए जा रहे हैं. काफी सारे बिजनेस व्हाट्सऐप चैट के जरिए किये जा रहे हैं. जबकि कई बार व्हाट्सऐप चैट के जरिए धमकियां भी दी जाती है. जबकि काली कमाई की सिक्रेट बातचीत भी होती है. लेकिन अब इस तरह के व्हाट्सऐप चैट लोगों को महंगा पड़ने वाला है. क्योंकि ऐसे चैट को हाईकोर्ट ने सबूत के तौर पर वैध करार दिया है. जोधपुर हाईकोर्ट ने काली कमाई पर इनकम टैक्स द्वारा व्हाट्सऐप चैट के जरिए की गई कार्रवाई को सबूत के तौर पर सही ठहराया है.

इनकम टैक्स के मामले में व्हाट्सऐप चैट को बनाया गया है सबूत

पांच साल पहले एक समूह पर हुई आयकर विभाग की सर्च और जब्ती के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में व्हाट्सऐप चैट पर मिले जमीनों के खरीद और अवैध कमाई के सबूतों को पेश किया गया. वहीं समूह द्वारा इनकम टैक्स द्वारा व्हाट्सऐप चैट को कार्रवाई में शामिल नहीं करने को लेकर याचिका दायर की गई थी. लेकिन इस याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. दरअसल आयकर विभाग की ओर से चैट में दी गई जानकारी विशिष्ट लेन-देन द्वारा पूरी तरह से पुष्टि की गई थी और इसलिए, उक्त चैट को धारा 153सी के तहत "अन्य दस्तावेजों" की परिभाषा के अंतर्गत माना गया था. 

जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस चंद्र प्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि धारा 153सी का दायरा धारा 153ए से उत्पन्न होने वाले 'अन्य व्यक्ति' के संबंध में कार्यवाही को प्रतिबंधित करना नहीं है, बल्कि ऐसे आह्वान को सक्षम करना है ताकि यदि कोई ऐसा साक्ष्य हो जो विशिष्ट हो और तथ्यों द्वारा पुष्टि की गई हो, तो ऐसे 'अन्य व्यक्ति' के लिए बचना संभव न हो.

क्या था पूरा मामला

न्यायालय अधिनियम की धारा 153सी के तहत कार्यवाही को चुनौती देने वाली ओम कोठारी समूह के संचालक गिरीराज पुगलिया की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिकाकर्ता ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में करीब 42 लाख रुपए की आय का रिर्टन दाखिल किया था. इसके बाद आयकर विभाग ने 13 जुलाई 2020 को जब ओम कोठारी समूह के यहां तलाशी और जब्ती की गई, तो समूह के निदेशकों और सहयोगियों के बीच कुछ व्हाट्सएप चैट पाए गए, जो संकेत देते हैं कि याचिकाकर्ता ने समूह से बेहिसाब नकदी का उपयोग करके कुछ भूखंड खरीदे थे. ऐसी चैट के आधार पर, याचिकाकर्ता को अधिनियम की धारा 153सी के तहत नोटिस दिया गया, बिना किसी अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज के. यह तर्क दिया गया कि धारा 153सी के अनुसार चूक को खातों की पुस्तकों, या जब्त किए गए दस्तावेजों या संपत्तियों में दर्शाया जाना चाहिए और यह व्हाट्सऐप चैट पर आधारित नहीं हो सकता. दूसरी ओर, राज्य द्वारा यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता को दोषी ठहराने के लिए चैट में पर्याप्त सामग्री का समर्थन किया गया था. यह तर्क दिया गया कि चैट में उल्लिखित लेनदेन वास्तव में हुए थे, जो तलाशी और जब्ती के दौरान परिलक्षित हुए, और यह स्पष्ट था कि चैट में उल्लिखित भूखंड वास्तव में याचिकाकर्ता द्वारा समूह से खरीदे गए थे.

चैट के आंकड़े खुद दे रहे थे गवाही

कोर्ट ने कहा, “…यह ऐसा मामला नहीं है, जहां यह कहा जा सके कि इस तरह से संतुष्टि केवल व्हाट्सएप चैट पर आधारित थी, क्योंकि चैट में दिखाई देने वाले आंकड़े समूह के प्रमुख व्यक्तियों और कर्मचारियों द्वारा बनाए गए बेहिसाब नकदी बही के पन्नों की छवियों में भी दिखाई दे रहे है. संपत्तियों को जमीन पर भौतिक रूप से सत्यापित किया जा सकता है और ऐसी संपत्तियों के आदान-प्रदान की भी पुष्टि की जाती है और इस प्रकार, जहां तक ​​विवादित नोटिस का संबंध है, विचाराधीन व्हाट्सएप चैट पूरी तरह से पुष्ट और परिभाषित हैं.” दलीलों को सुनने के बाद, न्यायालय ने अधिनियम की धारा 153 सी का अवलोकन किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि कानून की व्याख्या इस तरह से की जानी चाहिए कि यदि जानकारी अस्पष्ट हो, तो इसे कार्यवाही के लिए सहायक सामग्री का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता. हालांकि, वर्तमान मामले में ऐसा नहीं था.”

आयकर अधिकारियों का तर्क हुआ पुष्ट

आयकर अधिकारियों की ओर से यह रेखांकित किया गया कि समूह पर की गई तलाशी और जब्ती से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने भूखंड खरीदे थे, जिसके लिए लेखा पुस्तकों के बाहर नकद में महत्वपूर्ण राशि का भुगतान किया गया था. इसके अलावा, डिजिटल उपकरणों में छवियों को पुनर्प्राप्त करने के अलावा, कर्मचारियों में से एक का बयान भी दर्ज किया गया था, जिसमें लेनदेन के अलिखित खातों को समझना शामिल था. इस तरह के बेहिसाब नकद घटक चैट में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुए थे. कोर्ट ने इस पर कहा कि “व्हाट्सएप चैट करने वाले व्यक्ति यहां दोनों कंपनियों से जुड़े थे और लेनदेन विशिष्ट भूखंडों के संबंध में थे और नकद भुगतान का विवरण व्हाट्सएप चैट में स्पष्ट रूप से शामिल था, इसलिए ऐसे विशिष्ट इनपुट के साथ, इसे अस्पष्ट नहीं कहा जा सकता है या 1961 के अधिनियम की धारा 153 सी के सख्त मापदंडों से प्रभावित नहीं कहा जा सकता है.”

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