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गांव की अंदरूनी लड़ाई, फौजी के परिवार पर शामत आई, गवाही देने वाले 2 युवकों का भी हुक्का-पानी बंद

पीड़ित परिवार कलेक्टर के समक्ष अपनी समस्या लेकर पहुंचे हैं. उनका कहना है कि गांव में पंचों ने मनमानी से आंतक फैला रखा है और परिवारों को बहिष्कार कर जुर्माने की मांग करते हैं. इसीलिए इन पर कार्रवाई की जाए और हमें न्याय दिलाया जाए.

गांव की अंदरूनी लड़ाई, फौजी के परिवार पर शामत आई, गवाही देने वाले 2 युवकों का भी हुक्का-पानी बंद
कलेक्टर ऑफिस पहुंचे पीड़ित परिवार.

Rajasthan News: राजस्थान के नागौर जिले में डेहरु गांव की अंदरूनी लड़ाई के कारण एक पूर्व फौजी के परिवार पर शामत आ गई है. पंचों ने मिलकर फौजी के पूरे परिवार को गांव से बहिष्कृत कर दिया है. इतना ही नहीं, जिस परिवार के दो सदस्यों ने मिलकर फौजी के बचाव में पुलिस के सामने गवाही दी थी, उनका हुक्का-पानी बंद करने का भी पंचों ने ऐलान कर दिया है. अब दोनों पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लेकर नागौर कलेक्टर और एसपी से मिले हैं.

क्या है पूरा मामला?

कुछ समय पहले खींवसर के डेहरु गांव में पूर्व फौजी बुद्धाराम को गांव के पंचों ने गांव से बाहर कर दिया था. जब इस मामले की पुलिस ने जांच की तो गांव में शांति देवी और महेंद्र ने मामले को लेकर अपना बयान दिया. जिसके बाद गांव से पांचों की ओर से लगातार महिला को धमकाकर दोनों पर दबाव बनाया गया कि वह अपना बयान वापस लें. जब महिला ने पूर्व में दिए बयानों को बदलने से मना कर दिया तो पंचों ने उसके परिवार को भी गांव से बाहर निकलने का फैसला सुना दिया. साथ ही गांव में उनके परिचित व्यक्ति के मृत्यु के 12 दिन के कार्यक्रम में भी उन्हें नहीं आने दिया गया.

2 शर्त मानने पर एंट्री

भोपालराम के परिवार में मौत के 12 दिन पर हुए कार्यक्रम में जब शांति देवी को नहीं बुलाया गया तो उनके बेटे सहदेव ने भोपालराम को फोन किया. तब उन्हें बताया गया कि गांव के पंचों ने फैसला सुनाया है कि आपने फौजी के पक्ष में जो बयान दिए हैं अगर उनको चेंज करोगे और जुर्माना दोगे तो आप गांव में हर कार्यक्रम में शामिल हो सकते हो. अगर मैं आपको बुलाऊंगा तो मेरे परिवार को भी गांव से बहिष्कृत कर दिया जाएगा. इसीलिए मैं आपको नहीं बुला सकता. इसी तरह गांव के एक और व्यक्ति महेंद्र के परिवार को भी समाज से बाहर कर देने का ऐलान किया गया है. उस पर भी दबाव बनाकर पूर्व फौजी के पक्ष में पुलिस को दिए गए बयानों को चेंज कर गांव के पक्ष में बयान दे और जुर्माना देकर वापस गांव में सम्मिलित होने की शर्त रखी गई है.

सरपंच आरोपों से पलटे

अब दोनों पीड़ित परिवार कलेक्टर के समक्ष अपनी समस्या लेकर पहुंचे हैं. उनका कहना है कि गांव में पंचों ने मनमानी से आंतक फैला रखा है और परिवारों को बहिष्कार कर जुर्माने की मांग करते हैं. इसीलिए इन पर कार्रवाई की जाए और हमें न्याय दिलाया जाए. जब डेहरू गांव के वर्तमान सरपंच उग्राराम से NDTV संवाददाता ने फोन पर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि हमारे गांव में इस तरीके का कोई मामला नहीं है. किसी को भी गांव से बहिष्कृत नहीं किया गया है. किसी के निजी कार्यक्रम में कौन जाता या कौन नहीं, यह मुझे नहीं मालूम. उनको क्यों नहीं बुलाया गया, ये जानकारी में नहीं है. अगर वह लोग कलेक्टर एसपी के समक्ष पेश हुए हैं, तो गलत है. क्योंकि किसी ने किसी को भी गांव से बहिष्कृत नहीं किया है.

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