
Rajasthan News: दुनिया में ऐसी कई जिंदगियां है जो जिंदगी और मौत के बीच जूझती नजर आती है. ऐसे समय में जिंदगी और मौत से जूझने वाला भी परेशान होता है. जबकि उनके अपने पल-पल दम तोड़ते दिखते हैं. लेकिन कुछ ऐसी भी जिंदगियां है जिनके हौंसले हार के साथ भी बुलंद होते हैं और यह जिंदादिली अमर हो जाती है. कुछ ऐसी ही कहानी पीहू की है. राजस्थान के जालोर जिले के पचानवा गांव की बेटी प्रियंका कुंवर उर्फ पीहू ने कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझते हुए भी अपने चेहरे की मुस्कान और हौसले को कभी नहीं खोया.
महज 27 वर्ष की आयु में पीहू ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन अंतिम सांस तक उनकी जिंदादिली की कहानी हर किसी की आंखें नम कर गई.
केक काट कर मनाया जश्न
उदयपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान जब डॉक्टरों ने परिवार को पीहू की स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया, तो पीहू को पता चलने के बाद वह टूटी नहीं बल्कि उसने जिंदादिली की मिसाल कायम किया और उसने परिजनों से आखिरी बार एक बेहद प्यारी इच्छा जताई, उसने कहा, 'मैं केक काटना चाहती हूं'.
फिर किया था, परिवार ने उनकी इस इच्छा को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. ICU वार्ड को सजाया गया, केक मंगाया गया, और माहौल को बच्चों की तरह खुशनुमा बनाने की पूरी कोशिश की गई. मुस्कुराती हुई प्रियंका ने केक काटा और यह पल हर किसी के दिल में हमेशा के लिए दर्ज हो गया.

चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा भी की थी पास
प्रियंका कुंवर का जन्म 17 फरवरी 1998 को पाचनवा गांव जालोर में हुआ था. वह पढ़ने में काफी अच्छी थी और उसने कर्नाटक के हुबली से BBA की बढ़ाई की. इतना ही नहीं उसने चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की परीक्षा भी पास कर ली. जबकि 26 जनवरी 2023 को लक्ष्यराज सिंह भाटवास से उनका विवाह भी हुआ.
परिवार के अनुसार, पीहू बचपन से ही तेज-तर्रार, जिम्मेदार और होशियार थीं. परिवार के लिए हमेशा संबल बनी रहीं और अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभाती रहीं.
दर्द की शुरुआत और लंबी इलाज प्रक्रिया
शादी के कुछ समय बाद ही पीहू को पैरो में दर्द की समस्या हुई. शुरुआत में इसे सामान्य माना गया, लेकिन धीरे-धीरे दर्द गंभीर हो गया. फिजियोथेरेपी और दवाइयों से आराम नहीं मिलने पर जांच में स्पाइन (रीढ़ की हड्डी) में गांठ पाई गई. मार्च 2023 में पहली सर्जरी हुई और Ewing Sarcoma (Ewing Cancer) की पुष्टि हुई.
इलाज के प्रयास
- मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में एक साल तक रेडिएशन और कीमोथेरेपी
- अपोलो हॉस्पिटल में ब्रेन रेडिएशन
- स्पाइन में तीन बड़े ऑपरेशन
हर पल मुस्कुराती रही पीहू
इन तमाम कोशिशों के बावजूद कैंसर पर काबू नहीं पाया जा सका. डॉक्टर, परिजन और अस्पताल स्टाफ का कहना है कि इतनी गंभीर बीमारी के बावजूद प्रियंका कुंवर का चेहरा हमेशा मुस्कान से भरा रहा. उनके साहस और सकारात्मक ने हर किसी को प्रेरित किया. यही वजह रही कि उनके निधन पर अस्पताल का हर व्यक्ति, डॉक्टर से लेकर नर्स तक, भावुक होकर रो पड़ा.
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