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रेगिस्तान में अनार की फसल पर बैक्टीरियल ब्लाइट की आफत! कृषि वैज्ञानिकों ने बताया उपाय

बरसात व लम्बे समय तक बादल छाए रहने से टिकरी रोग की शुरुआत हुई और किसानों को भी इस रोग की सही जानकारी नहीं होने से बड़े पैमाने पर फसल प्रभावित हुई थी. 

रेगिस्तान में अनार की फसल पर बैक्टीरियल ब्लाइट की आफत! कृषि वैज्ञानिकों ने बताया उपाय
अनार की फसल पर बैक्टीरियल ब्लाइट की आफत

राजस्थान के बालोतरा में करीब 5 हजार हेक्टेयर में अनार की खेती की जा रही है. सैकड़ों किसानों ने परम्परागत खेती छोड़कर बागवानी के तहत अनार की खेती शुरू की. हालांकि, अब अनार की खेती पर बैक्टीरियल ब्लाइट आ गई है. लगातार दूसरे साल टिकड़ी रोग के कारण अनार की खेती करने वाले किसानों की नींद उड़ी हुई है. किसान इस बार अपनी फसल को इस रोग से बचाने की जुगत में लगे हुए हैं. किसानों की बढ़ती चिंता को देखते हुए अब कृषि विभाग भी सतर्क हो गया है. कृषि वैज्ञानिकों ने अपनी टीम के साथ जाकर सर्वे किया.

विदेशों में बालोतरा के अनार की भारी डिमांड

दरअसल, पिछले साल बुड़ीवाड़ा, जागसा, पादरू सड़क मार्ग पर सड़ी हुए अनार के ढेर लग गए थे. इसी बैक्टीरियल ब्लाइट के कारण अनार दागदार हो गया और उसकी क्वालिटी भी घटने से व्यापारियों ने खरीदने से मना कर दिया. इसके बाद फसल को ओनेपौने दाम में बेचने को मजबूर होना पड़ा. बालोतरा के अनार की मांग बांग्लादेश, श्री लंका व खाड़ी देशों तक है. वहीं महाराष्ट्र व बंगाल में भी यहां के अनार की खासी डिमांड है. यहां के किसान निजी मंडियों में इसको बेचते हैं. वहीं व्यापारी भी इनके अनार के बगीचों में निरीक्षण कर दाम तय करते हैं.

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कृषि वैज्ञानिकों ने फसल का किया सर्वे

पिछले साल बिपरजोय चक्रवात के कारण हुई बरसात व लम्बे समय तक बादल छाए रहने से टिकरी रोग की शुरुआत हुई और किसानों को भी इस रोग की सही जानकारी नहीं होने से बड़े पैमाने पर फसल प्रभावित हुई थी. पिछले साल फसल खराब होने के बाद इस बार कृषि विभाग बैक्टीरियल ब्लाइट (टिकड़ी रोग) को लेकर सतर्क है. विभाग द्वारा इन गांवों में रोग की जानकारी जुटाने के साथ इसके बचाव के भी उपाय बता रहे हैं. उद्यान विभाग और कृषि विश्विद्यालय जोधपुर के कृषि वैज्ञानिक अनार के बगीचों का लगातार निरीक्षण कर रहे हैं. निरीक्षण के दौरान अनार में टिकड़ी रोग व सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का प्रकोप पाया गया.

इन दवाओं के छिड़काव की सलाह

वैज्ञानिकों ने टिकडी रोग (बैक्टीरियल ब्लाइट) की रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 0.5 ग्राम प्रति लीटर व कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम प्रति लीटर दवा का छिड़काव करने की सलाह दी. इसके साथ-साथ पत्ती धब्बा रोग (सार्कोस्पोरा लीफ स्पॉट) की रोकथाम के लिए टेबूकोनाजोल डायाफेन कोनाजोल 1 एमएल प्रति लीटर या प्रोपिकनाजोल 1 एमएल प्रति लीटर या हेक्साकोनाजोल 1 एमएल प्रति लीटर या कार्बेंडाजिम एवं मेंकोजैब 2 ग्राम प्रति लीटर या टेब्यूकोनाजोल प्लस ट्रायफलेक्सो एस्ट्रोबिन 2 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करने की सलाह किसानों को दी गई. 

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