
Rajasthan: राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में स्थित रामदेवरा में हर साल भादवा माह में राजस्थान और देश-दुनिया से बाबा रामदेव के श्रद्धालु मेले के लिए जुटते हैं. आस-पास और दूरदराज़ से श्रद्धालु मुख्य रूप से बीकानेर आते हैं और वहाँ से रामदेवरा में बाबा के समाधि स्थल जाते हैं. आस-पास के इलाकों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु बीकानेर से पैदल ही रामदेवरा तक का 180 किलोमीटर तक की लंबी यात्रा कर बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं. बीकानेर के एक परिवार से लगभग 50 साल पहले इसी तरह से प्रदीप सूद अपने दोस्तों के साथ रामदेवरा की यात्रा पर निकले और इस दौरान हुई एक घटना ने उनकी ज़िंदगी बदल दी.
प्रदीप सूद पिछले 45 साल से लंदन में एक सफल कारोबारी हैं. लेकिन, वह हर साल मेले के समय बाबा की समाधि पर आते हैं और भक्तों की सेवा करते हैं. उन्हें आज भी 1976 का वह दिन, और वह रात याद है जब उन्होंने सेवा का संकल्प लिया था.
सेवादार की चुभी बात
एनडीटीवी के साथ एक विशेष बातचीत में प्रदीप सूद ने बताया कि उनके माता-पिता बाबा रामदेव को बहुत मानते थे. प्रदीप 16-17 साल के थे, जब वह अपने दोस्तों के साथ पैदल रामदेवरा की यात्रा पर निकले. रास्ते में एक जगह श्रद्धालुओं के खाने के लिए एक भंडारा लगा था. मगर खाने में मिर्च तेज़ थी. लेकिन इसके बारे में जब उन्होंने सेवादार से कहा तो उसने कह दिया कि यहां तो ऐसा ही खाना मिलता है. प्रदीप कहते हैं,"मैंने उसी समय मन में ध्यान किया कि अगले साल मुझे इस बारे में कुछ करना है."

राजस्थान के लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि पर उनकी मूर्ति
Photo Credit: Baba Ramdev Mandir, Ramdevra
बाबा से मुलाक़ात
प्रदीप बताते हैं कि उसके बाद 20-25 किलोमीटर जाने के बाद अंधेरा हो गया और वह और उनके दोस्त सड़क पर ही सो गए. रात को अचानक उन्हें किसी के कराहने की आवाज़ सुनाई दी. उन्होंने उठकर देखा तो पास में एक बूढ़ा व्यक्ति दिखा. उसने सफ़ेद पगड़ी पहनी थी और उसकी दाढ़ी सफ़ेद थी. उसने पूछने पर बताया कि उसके पैर में काँटा चुभ गया है.
प्रदीप ने सुनकर अपने दोस्त को उठाया और कहा कि टॉर्च और बैग से एक सेफ्टी पिन लेता आए. फिर उन्होंने कांटा निकाल दिया. वृद्ध व्यक्ति ने उन्हें खूब आशीर्वाद दिया. इसके बाद प्रदीप और उनके साथी अपने बैग को ठीक करने लगे और जैसे ही मुड़कर देखा तो बूढ़ा व्यक्ति कहीं नज़र नहीं आया.
प्रदीप कहते हैं,"मैं मानता हूँ कि वह स्वयं बाबा रामदेव थे जो उस रात मेरी परीक्षा लेने आए थे कि मैं सेवा करने के लायक हूँ या नहीं."

जब दूध ख़त्म ही नहीं हुआ
प्रदीप सूद ने इसके बाद अगले साल से ही श्रद्धालुओं की सेवा शुरू कर दी. इसके बाद कई बार ऐसे क्षण आए जिन्हें प्रदीप अपने जीवन में चमत्कार मानते हैं. वह बताते हैं कि शुरुआत में आस-पास के लोगों से चंदा लेकर उन्होंने सेवा शुरू की. एक बार उन्होंने श्रद्धालुओं को चीनी और दूध देने की योजना बनाई और 7 क्विंटल दूध खरीदा. लेकिन लोगों ने कहा कि यह तो बहुत कम है जिसे सुनकर वह मायूस हो गए. उन्होंने रात डेढ़ बजे से दूध बाँटना शुरू किया और सुबह 8 बजे तक देखा कि दूध ख़त्म नहीं हुआ.
बाद में जब श्रद्धालुओं की संख्या कम हो गई तो प्रदीप और उनके दोस्तों ने सोचा कि बचे दूध को बीकानेर ले जाकर आइसक्रीम बनाएँगे. लेकिन बचा दूध फट गया. प्रदीप सूद कहते हैं,"हमें समझ आ गया कि बाबा हमें संदेश दे रहे हैं कि यह दूध श्रद्धालुओं के लिए है, आइसक्रीम की मस्ती के लिए नहीं."

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ प्रदीप सूद (सबसे बाएँ) और उनके परिवार के सदस्य. बोरिस लंदन के अक्सब्रिज इलाके से सांसद रहे हैं जहां प्रदीप सूद का स्टोर है.
Photo Credit: NDTV
लंदन में कारोबार
प्रदीप सूद 1980 में लंदन गए और अब वहीं बस चुके हैं. लंदन के अक्सब्रिज इलाके में उनका एक जेनरल स्टोर है और उसी स्टोर में वह ब्रिटेन की सरकारी पोस्टल सेवा का पोस्ट ऑफ़िस भी चलाते हैं. लंदन जाने के बाद काम और नई जगह पर बसने की व्यस्तता की वजह से शुरू के 5 साल वह रामदेवरा नहीं आ सके, लेकिन फिर वह हर साल रामदेवरा आते हैं और श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं.

लंदन में अपने घर पर परिवार के साथ प्रदीप सूद
Photo Credit: NDTV
अब प्रदीप सूद अब अपनी ही तरह के बाबा रामदेव के कुछ श्रद्धालुओं के साथ मिलकर बाबा मित्रमंडल - लंदन टू बीकानेर नामक एक संस्था के ज़रिए हर वर्ष श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं. इस ट्रस्ट ने बीकानेर और रामदेवरा के मार्ग के बीच 11 बीघा की ज़मीन ली है जहाँ श्रद्धालुओं के लिए रहने, ठहरने, नहाने, खाने-पीने की व्यवस्था होती है.
इस संस्था से लंबे समय से जुड़े बीकानेर निवासी सेवादार किशन गोपाल दैया बताते हैं,"तेरस से पंचमी तक की 8 दिनों के मेले के दौरान 7 लाख श्रद्धालु बीकानेर से रामदेवरा के मार्ग से यात्रा करते हैं. मार्ग में लगभग 400 सेवा संस्थाएँ होती हैं. हमारे यहाँ रोज़ाना 10 हज़ार लोग आते हैं." वह बड़े उत्साह से बताते हैं कि अपने भंडारे में राजस्थान की मशहूर सांगरी की सब्ज़ी भी खिलाते हैं जो 1500 रुपए किलो बिकती है.
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