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This Article is From Nov 23, 2023

जब पहली बार विधानसभा में किसी भी पार्टी को नहीं मिला था बहुमत तो राजस्थान में लग गया था राष्ट्रपति शासन

President's rule in Rajasthan: राजस्थान में सबसे पहले सबसे कम दिन मात्र 44 दिन का  राष्ट्रपति शासन लगा और सबसे अधिक समय 354 दिन का रहा. बाकी के दोनों राष्ट्रपति शासन की अवधि 53 एवं 110 दिन रही.

जब पहली बार विधानसभा में किसी भी पार्टी को नहीं मिला था बहुमत तो राजस्थान में लग गया था राष्ट्रपति शासन

Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा चुनावों के बाद जहां प्रदेश को 14 मुख्यमंत्री मिले, वहीं 4 बार राष्ट्रपति शासन भी लगा. राजस्थान विधानसभा के चौथे आम चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण 13 मार्च 1967 से 26 अप्रैल 1967 तक पहली बार राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. 44 दिनों के इस राष्ट्रपति शासन में विधानसभा निलंबित रही. विधानसभा को भंग नहीं किया गया. राष्ट्रपति शासन में निर्वाचित सरकार नहीं रहती है. कार्यपालिका के समस्त अधिकार राज्यपाल के पास होते हैं.

राजस्थान में पहली बार राष्ट्रपति शासन के दौरान प्रदेश में डॉ. सम्पूर्णानंद राज्यपाल के पद पर आसीन थे. राज्य के शासन को संभालने में राज्यपाल की सहायता के लिए केन्द्र सरकार द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा के दो वरिष्ठ अधिकारी सदानंद वामन व आर. प्रसाद को राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त कर जयपुर भेजा गया था. इस समय राज्य में के. पी. यू. मेमन मुख्य सचिव थे. राष्ट्रपति शासन की इस अवधि के दौरान ही 15 अप्रैल 1967 को महामहिम राज्यपाल डॉ. सम्पूर्णानंद का कार्यकाल समाप्त हो गया. राजस्थान के नये राज्यपाल सरदार हुकुम सिंह ने 16 अप्रैल 1967 को अपना कार्यभार संभाला और राष्ट्रपति शासन की अवधि में प्रतिपक्ष के कुछ विधायक टूट कर कांग्रेस में शामिल हो गए. इस पर मोहनलाल सुखाडिया ने नये राज्यपाल के समक्ष अपना बहुमत साबित किया और 26 अप्रैल 1967 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस प्रकार राजस्थान में 26 अप्रैल 1967 को 44 दिन में पहला राष्ट्रपति शासन समाप्त हुआ.

राजस्थान में दूसरा राष्ट्रपति शासन

मार्च 1977 में केन्द्र में प्रथम बार बनी गैर कांग्रेस सरकार के आते ही हरिदेव जोशी की सरकार बर्खास्त कर दिया गया. उसके बाद 29 अप्रैल 1977 को राज्य में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ जो 22 जून 1977 तक रहा. इस अवधि के दौरान राजस्थान में दो राज्यपाल रहे. तत्कालीन राज्यपाल जोगेन्द्र सिंह ने अपने पद से 14 फरवरी 1977 को इस्तीफा दे दिया. उनके स्थान पर तात्कालीक व्यवस्था के लिए मुख्य न्यायाधीश वेदपाल त्यागी ने 15 फरवरी से 11 मई 1977 तक कार्यभार संभाला. 12 मई 1977 को रघुकुल तिलक राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया. उनकी सलाह के लिए केन्द्र सरकार द्वारा दो सलाहकारों को नियुक्ति की गई. इस अवधि में आर.डी थापर राज्य के मुख्य सचिव थे. जनवरी 1980 में लोकसभा के मध्यावधि चुनावों के पश्चात केन्द्र में कांग्रेस की सरकार पुन: सत्तारूढ़ हुई.

राजस्थान में तीसरा राष्ट्रपति शासन

सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने 17 फरवरी 1980 को भैरोसिंह शेखावत सरकार को बर्खास्त कर विधानसभा भंग कर के राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया, जो 5 जून 1980 तक रहा. इस समय राजस्थान के राज्यपाल रघुकुल तिलक थे. इस दौरान राज्यपाल की सहायता के लिए राज्य के ही दो अवकाश प्राप्त मुख्य सचिव एस.एल. खुराना तथा मोहन मुखर्जी को सलाहकार नियुक्त किया गया. गोपालकृष्ण भनोत उस समय मुख्य सचिव थे. 

राजस्थान में चौथा राष्ट्रपति शासन

दिसम्बर 1992 को अयोध्या में घटी घटनाओं के पश्चात केन्द्र सरकार ने 15 दिसम्बर 1992 को भैरोसिंह शेखावत सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया तथा उसी दिन विधानसभा भंग कर दी गई और राष्ट्रपति शासन लगा दिया. यह राष्ट्रपति शासन 3 दिसम्बर 1993 तक जारी रहा. इस अवधि में डॉ. एम. चन्ना रेड्डी एवं धनिकलाल मंडल राज्यपाल (कार्यवाहक) रहे. इस समय राज्य में दो मुख्य सचिव टी.वी. रमणन तथा गोविन्द मिश्रा रहे. राष्ट्रपति शासनकाल में केन्द्र सरकार ने राज्य के पूर्व मुख्य सचिव वी.बी.एल. माथुर, पूर्व गृह आयुक्त एल.एन. गुप्ता एवं राज्य अन्वेषण ब्यूरो के पूर्व महानिदेशक ओ.पी. टंडन को राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया. 12 जुलाई 1993 को एल.एन. गुप्ता ने अपने निजी कारणों से त्यागपत्र दे दिया. इनके स्थान पर 29 अगस्त 1993 को आ.जे. मजीठिया को राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया. 

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