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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में रहीम, कबीर, खुसरो और मजाज को किया गया याद, दिग्गजों ने दोहे और शेर से कही अपनी बात

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कई वक्ताओं ने दोहे, शेर, कविता के जरिए अपनी बात कहने की कोशिश की.

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में रहीम, कबीर, खुसरो और मजाज को किया गया याद, दिग्गजों ने दोहे और शेर से कही अपनी बात

Jaipur Literature Festival: "शब्द सम्हारे बोलिए, शब्द के हाथ न पांव. एक शब्द औषधि करे, एक शब्द करे घाव" गीतकार जावेद अख्तर ने कबीर के इस दोहे के जरिए शब्द के महत्व पर बात की. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में कई वक्ताओं ने दोहे, शेर, कविता के जरिए अपनी बात कहने की कोशिश की. हम उन खास शब्दों को आपके लिए संकलित कर लाए हैं. 

आज 30 जनवरी है. यह गांधी को याद करने का दिन है. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल ने भी गांधी को याद किया. लोगों ने मौन रखा, श्रद्धांजलि दी. गांधी द मैन एंड द महात्मा सत्र में प्रज्ञा तिवारी ने गांधी को मजाज़ के इस शेर के सहारे याद किया. 

"हिन्दू चला गया, न मुसलमां चला गया
इंसां की जुस्‍तुजू में इक इंसां चला गया"

गीतकार जावेद अख्तर ने अतुल तिवारी से बातचीत में रहीम के दोहे के सहारे कहा कि राम सच्चाई के प्रतीक हैं. ईमानदारी के प्रतीक हैं. कोई झूठा है तो राम उसे नहीं मिलने वाले. 
उन्होंने पढ़ा 

"अब रहीम मुसकिल पड़ी, गाढ़े दोऊ काम
सांचे से तो जग नहीं, झुठे मिलै न राम"

इसी बातचीत के दौरान फिल्म अभिनेता अतुल तिवारी ने भी रहीम को याद किया. उन्होंने बताया कि रहीम तुलसीदास को सुनने जाते थे. एक बार अकबर ने पूछा तुमलोग कहां जाते हो, क्या सुनते हो, आखिर ऐसा है क्या? 

तो रहीम ने जवाब दिया

'रामचरित मानस विमल, संतन जीवन प्राण,
हिन्दुअन को वेदसम जमनहिं प्रगट कुरान'

जावेद अख्तर ने कहा कि अब लिबर्टी घटती जा रही है. पहले थी तभी खुसरो ने निजामुद्दीन औलिया के निधन की जानकारी मिलने के बाद लिखा, 

''गोरी सौवैं सेज पर, मुख पर डारौ केस,
 चल ख़ुसरो घर आपणे, सांझ भई चहुदेस.''

अगर खुसरो आज ऐसा लिखते तो उन पर फतवा जारी हो जाता कि निजामुद्दीन को गोरी कैसे कह दिया.

जावेद अख्तर ने कहा कि शब्द बहुत ताकतवर होते हैं. उनका इस्तेमाल सावधानी से, सोच समझकर करना चाहिए. शब्द का एक ही काम है. अर्थ बताना. किस चीज के बारे में बात हो रही है, यह बताना. मुलायम और नर्म एक ही जैसे शब्द हैं. डिक्शनरी में एक ही मतलब मिलेगा लेकिन आप जानते हैं कि दोनों के मायने अलग है. रहीम ने लिखा - 

"रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय 
टूटे फिर न जुटे, जुटे गांठ पड़ जाए"

यहां चटकाय शब्द का ही प्रयोग किया. वह बताना चाह रहे कि ऐसे झटके से मत तोड़िए. चटकाय में आवाज़ है. यही शब्द की ताकत है.

पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ ने विषय पर बातचीत से पहले ऑडियंस के लिए कहा, "यह मोहब्बतों का शहर है जनाब, यहां सवेरा सूरज से नहीं आपके दीदार से होता है."

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