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This Article is From Oct 15, 2023

Rajasthan Election 2023: '#केसरी_का_इस्तीफा_लो' ट्विटर पर कर रहा ट्रेंड, राजेंद्र राठौड़ को भी ट्रोल कर रही जनता

केसरी सिंह को आरपीएससी का सदस्य बनाए जाने के बाद से ही राजस्थान की राजनीति में सियासी भूचाल आया हुआ है, जो करीब 1 हफ्ते बाद भी शांत नहीं हो पाया है. विशेष समाज के लोग इस नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं और केसरी का इस्तीफा लेने की मांग कर रहे हैं.

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Rajasthan Election 2023: '#केसरी_का_इस्तीफा_लो' ट्विटर पर कर रहा ट्रेंड, राजेंद्र राठौड़ को भी ट्रोल कर रही जनता

Rajasthan News: आचार संहिता लागू होने से पहले राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के सदस्य बनाए गए कर्नल केसरी सिंह राठौड़ (Kesari Singh) को सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरह से ट्रोल किया जा रहा है. बीते 4 दिन में ये दूसरी बार है जब ट्विटर पर (#केसरी_का_इस्तीफा_लो) टॉप ट्रेंड में नजर आ रहा है. लेकिन इस बार राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) को भी जनता ने अपने निशाने पर ले लिया है, और केसरी सिंह से कनेक्शन में उनकी भी ट्रोलिंग शुरू हो गई है.

क्यों ट्रोल हो रहे राजेंद्र राठौड़?

राजेंद्र राठौड़ की सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का कारण उन्हीं के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से की गई एक पोस्ट है, जिसमें वे राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार कर रहे हैं. अपनी इस पोस्ट में बीजेपी नेता लिखते हैं, 'हर गलती सजा मांगती है. आखिरकार कब तक गलतियों पर गलतियां करोगे मुख्यमंत्री जी. अशोक गहलोत जी, आपने महाभ्रष्ट आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा की नियुक्ति करके गलती की. इसी प्रकार डीपी जारोली की नियुक्ति करके गलती की, जिसे आपको बर्खास्त करना पड़ा. एक तरफ आदर्श आचार संहिता लग रही थी, वहीं दूसरी तरफ आप राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संवैधानिक तंत्रों का बेजा इस्तेमाल कर नियुक्तियों की रेवडियां बांट रहे थे. पूछता है राजस्थान, ऐसी भी क्या मजबूरी थी?' इस पोस्ट में केसरी सिंह का नाम न होना जनता को रास नहीं आया और उन्होंने राठौड़ की ट्रोलिंग शुरू कर दी.

'शायद आप एक नाम भूल गए'

राजेंद्र राठौड़ की इस सोशल मीडिया पोस्ट पर जनता ने कमेंट्स करते हुए लिखा, 'शायद आप एक नाम भूल गए'. वहीं, सिंह साहब द ग्रेट नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, 'केसरी सिंह नहीं लिखा. ये आपकी जातीय मानसिकता और जातिवाद को जीता जागता उदाहरण हैं. आप भी जातिवादी हो, सत्ता तुम्हें देना, अन्य तबकों का क्या भला करोगें. जाति का जहर नश-नश में हैं.' वहीं बलराम गोठवाल नाम के एक यूजर ने लिखा, 'अरे केसरी का नाम लेने से डर लग रहा है क्या?? चुरू विधानसभा के मतदाताओं आप भी राजेंद्र राठौड़ को नानी याद दिला देना.' एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा, 'समाज का दबाव क्या होता हैं वो इस पोस्ट से समझ सकते हो. विरोध तो कर रहे हैं, लेकिन नाम नहीं ले पा रहें हैं.' जाट यूनिटी नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, 'अब समझ आया राजेंद्र राठौर और BJP चुप क्यों है. बीजेपी के इशारे पर RPSC सदस्य की नियुक्ति की गई है. केसरी सिंह, राजेंद्र राठौर का खास आदमी है. भरी सभा में मंच से जो जूता उठाता दूसरे समाजों को धमकाता हो, गहलोत-बीजेपी की मिलीभगत है ये.'

सीएम ने क्या गलती की थी?

सीएम अशोक गहलोत ने प्रदेश में आचार संहिता लगने से ठीक पहले केसरी सिंह को RPSC का सदस्य नियुक्त करने के लिए सिफारिश की थी, जिसे मंजूर कर लिया गया था. लेकिन जिस दिन से केसरी आरपीएससी मेंबर बने, वे 'गायब' हो गए. पद मिलने के बाद शिष्टाचार भेंट तक नहीं की. जब सीएम ने बुलाया तो इनकार कर दिया. इसी बीच सोशल मीडिया पर उनके कुछ पुराने बयान वायरल होने लगे, जिसमें वे जाट, गुर्जर और अन्य जातियों के बारे में अशोभनीय टिप्पणियां करते नजर आए. इसके बाद समाज के लोग केसरी की नियुक्ति पर सवाल उठाने लगे और उसका इस्तीफा मांगने लगे. विवाद बढ़ने पर सीएम को खुद जनता के सामने आकर माफी मांगनी पड़ी थी. सीएम ने कहा था कि 'हमने तो आर्मी का बैकग्राउंड देखकर कर्नल केसरी सिंह को RPSC मेंबर बनाया था, लेकिन उनके पुराने बयान देखकर मुझे बहुत दुख हुआ. यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो गई और मेरे से हो गई. मैंने ही आर्मी के बैकग्राउंड को देखते हुए बनाया. मुझे दुख है कि मैंने उनके नाम की सिफारिश की.'

कौन हैं कर्नल केसरी सिंह राठौड़?

कर्नल केसरी सिंह राठौड़ नागौर जिले में मकराना विधानसभा के गांव शिवरासी के रहने वाले हैं. केसरी ने भारतीय सेना में 21 वर्षों तक सेवाएं देकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी. इसके बाद वह राजनीति और सामजिक कार्यों में सक्रिय हो गए. कुछ समय पहले तक मकराना सीट से केसरी सिंह के चुनाव लड़ने की उनकी चर्चाएं तूल पकड़ रही थी, लेकिन सीएम गहलोत की सिफारिश पर उन्हें आरपीएससी का सदस्य बना दिया गया. यहां ध्यान देने वाली बात है कि केसरी सिंह ने इस पद के लिए न दो आवेदन दिया था, न ही किसी ने सीएम से सिफारिश की थी, सिर्फ इनकी 37 साल और 20 साल की सैन्य सेवाओं को देखते हुए इनको नियुक्त किया गया था.

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