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मुस्लिम युवकों ने दिया बुजुर्ग हिंदू महिला की अर्थी को कंधा, मुखाग्नि भी दी

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में युवाओं ने सांप्रदायिक सद्भावना की अनोखी मिसाल पेश की है जो काफी चर्चाओं में है.

मुस्लिम युवकों ने दिया बुजुर्ग हिंदू महिला की अर्थी को कंधा, मुखाग्नि भी दी
मुस्लीम युवाओं ने किया अंतिम संस्कार

Rajasthan News: मौजूदा दौर में जहां हिंदू-मुसलमान को लेकर देश में सियासत चल रही है. राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने स्वार्थ को लेकर हिंदू-मुसलमान मुद्दा बनाते दिखते हैं. लेकिन राजस्थान में मजहबी एकता का ऐसा मिसाल पेश किया गया है, जिसके बारे में आपने शायद ही सुना होगा. राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में सांप्रदायिक सद्भावना की एक अनोखी मिसाल को युवाओं ने पेश किया है जिसकी काफी चर्चा हो रही है. दरअसल, यहां एक बुजुर्ग महिला की मौत होने के बाद उसका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था. ऐसे में मुस्लिम युवाओं ने आगे बढ़कर बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार किया है.

मुखाग्नि और हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार

दरअसल, भीलवाड़ा के गांधी नगर में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल देखने को मिली है. जहां बुजुर्ग महिला का कोई वारिस नहीं था ऐसे में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आगे आकर अंतिम संस्कार की पहल की. 67 साल की एक बुजुर्ग हिंदू महिला की मौत के बाद जब उसके परिवार में अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था तो उसे मां की तरह प्रेम करने वाले जंगी चौक गांधी नगर के मुस्लिम युवा आगे आए. उन्होंने ना सिर्फ बुजुर्ग महिला की अर्थी को कंधा देकर शमशान तक पहुंचाया. बल्कि हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार भी किया और असगर अली ने उन्हें मुखाग्नि दी.

15 साल से अकेली थी बुजुर्ग

गांधीनगर निवासी निसार सिलावट ने जानकारी देते हुए बताया कि शहर के गांधीनगर, जंगी चौक के पास गली में सलीम कुरेशी के मकान में लगभग 15 वर्षों से अकेली बुजुर्ग औरत शांति देवी (67) रह रही थी. शांति देवी काफी समय से बीमार चला रही थी और जिले के सबसे बड़े हॉस्पीटल महात्मा गांधी हॉस्पीटल में इलाजरत थी और उसकी देखभाल मुस्लिम समाज के असगर अली कर रहे थे. 14 सितम्बर 2025 को अलसुबह शांति देवी की उपचार के दौरान मौत हो गयी. ऐसे में शांति देवी की मौत के बाद सबसे बड़ी परेशानी यही थी किऊ उनकी अर्थी को कांधा कौन देगा? अंतिम संस्कार की रस्में कौन निभाएगा? 

मां की तरह प्रेम

गांधी नगर के जंगी चौक में शांति देवी को अपनी मां की तरह प्रेम करने वाले इलाके के मुस्लिम युवा अशफाक कुरैशी, शाकीस पठान, फिरोज कुरैशी कांचा, आबीद कुरैशी अजगर पठान, अशफाक, इनायत भाई जाबिद कुरैशी सहित मोहल्ले के लोग आगे आए और सभी ने मिलकर बुजुर्ग शांति देवी के लिए क्रियाकर्म की तैयारी की, फिर उनकी अंतिम यात्रा को कंधा देते हुए शमशान तक पहुंचाया. बुजुर्ग महिला का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया गया.

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