Rajasthan: जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में 13 नवंबर से भर्ती मरीज ने ब्रेन डेड होने के बाद भी 3 लोगों को नया जीवन दिया. 26 साल के शुभम ब्रेन डेड होने के बाद उसके परिजन ने अंगदान की सहमति दे दी. इसके बाद शुभम की दोनों किडनियों और लिवर को दान कर दिया गया. एसएमएस हॉस्पिटल के डॉक्टर मनीष अग्रवाल और डॉ. चित्रा सिंह ने बताया कि भरतपुर जिले के गांव भैसा निवासी शुभम पुत्र स्वर्गीय महेश चंद गोयल का 13 नवंबर को सुबह एक्सीडेंट हो गया था. मॉर्निंग वॉक के दौरान हुए हादसे में शुभम बुरी तरह घायल हो गया था. अलवर में प्राथमिक इलाज के बाद जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया.
अंगदान के लिए परिवार को समझाया
डॉक्टर ने बताया, "शुभम का कई डॉक्टरों ने इलाज किया और ठीक करने का पूरा प्रयास किया. शुभम की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका. 17 नवंबर देर शाम शुभम ब्रेन डेड हो गया, इसके बाद हमारी टीम ने उनके परिजन से बात की. उनसे समझा बुझाकर अंगदान के लिए प्रेरित किया."
एसएमएस हॉस्पिटल में अगंदान करने का 33वां मामला
डॉक्टरों के समझाने के बाद शुभम की माता हेमलता ने अंगदान पर सहमति जताई. इसके बाद शुभम की दोनों किडनी एसएमएस के सुपर स्पेशिएलिटी में भर्ती दो मरीजों को लगाई गई. लिवर को जोधपुर एम्स भेजा गया. डॉक्टरों ने बताया कि एसएमएस हॉस्पिटल में अगंदान करने का ये 33वां मामला है.
दोनों किडनी पुरुष मरीज को लगाई
यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ.शिवम प्रियदर्शी ने बताया, "शाम को ट्रांसप्लांट के लिए ऑर्गन मिले हैं, जिनको ट्रांसप्लांट करने का काम शुरू कर दिया है. दान की गई दोनों किडनी पुरुष मरीज को लगाई गई, जो 30 साल से कम उम्र के हैं."
नहीं मिला हार्ट का रिसीवर
डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया, "हार्ट को दान करने के लिए हमने सोटो और नोटो दोनों प्लेटफार्म पर डिटेल उपलब्ध करवाई. इतना ही नहीं एनआरआई लेवल पर भी हार्ट के मरीज के दान किए. इस हार्ट को देने की पेशकश की, कोई भी रिसीवर नहीं मिला। इस कारण उसका हार्ट दान नहीं हो सका.डॉक्टरों के मुताबिक शुभम के पिता की मृत्यु के बाद उसी ने घर संभाल रखा था. वह प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करता था, उसके साथ उनकी मां और छोटा भाई रहते थे.
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