Rajasthan Politics: राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. इस लिहाज से जहां बीजेपी ने अपनी 6 सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची का इंतजार किया जा रहा है. चुनाव के दौरान उम्मीदवार के चयन के वक्त परिवारवाद का मुद्दा काफी उठाया जाता है. बीजेपी परिवारवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते आती है. लेकिन बीजेपी ने उपचुनाव में टिकट वितरण में नेताओं के परिजनों को टिकट देने से कोई गुरेज नहीं किया है.
दरअसल, बीजेपी ने राजस्थान उप चुनाव में दो सीटों पर परिजनों को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. वहीं अब कांग्रेस के दिल्ली भेजे गए पैनल में तीन सीटों पर परिजनों को टिकट देने की पुरजोर सिफारिश की गई है. दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि हनुमान बेनीवाल भी खींवसर सीट पर परिजनों को टिकट देने पर विचार कर रही है.
बीजेपी ने दो सीटों पर उतारे नेताओं के परिजन
राजस्थान की सात सीटों के उपचुनाव में भाजपा ने छह सीटों पर टिकट का एलान किया है. जिसमें से दो सीटों पर परिवार के लोगों को ही टिकट दिया गया है. ख़ासतौर पर बीजेपी सरकार में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को दौसा से उम्मीदवार बनाया गया है जबकि सलूंबर सीट से दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांति मीणा को टिकट दिया गया है.
कांग्रेस इन तीन सीटों पर दिखेगा परिवारवाद
कांग्रेस के सात सीटों को लेकर भेजे गए पैनल में रामगढ़ झूंझनू और दौसा सीट से परिजनों को टिकट देने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. इन सीटों पर कांग्रेस ने रामगढ़ सीट से दिवंगत विधायक जुबेर ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान और झूंझनू सीट से विधायक से सांसद बने बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला का नाम फ़ाइनल माना जा रहा है. इसके अलावा कांग्रेस के सीनियर नेताओं की मंशा है दौसा सीट से सांसद मुरारी लाल मीणा की पत्नी और देवली उनियारा सीट से सांसद हरीश मीणा के परिवार से ही चुनाव लड़वाया जाए. हालांकि मुरारी मीणा ने परिजन को चुनाव लड़वाने की बात से इनकार किया है और हरीश मीणा ने इसका फैसला पार्टी पर छोड़ा है.
इसी तरह इस बात की भी प्रबल संभावना है कि आरएलपी प्रमुख हनुमान बैनीवाल खींवसर सीट पर अपने किले को बचाने के लिए अपने भाई और पत्नी को चुनावी मैदान में उतार सकती है.
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