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Navratri 2025: राजस्थान के इस मंदिर में लकवा ठीक होने की मांगते हैं मन्नत, पूरी होने पर चढ़ाते हैं लकड़ी के हाथ-पैर

डूंगरपुर जिले के मोदपुर गांव में स्थित जगदंबा स्वरूपा विजवा माता में न केवल स्थानीय लोगों की गहरी आस्था  है, बल्कि अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है.

Navratri 2025: राजस्थान के इस मंदिर में लकवा ठीक होने की मांगते हैं मन्नत, पूरी होने पर चढ़ाते हैं लकड़ी के हाथ-पैर
विजवा माता मंदिर, डूंगरपुर

Vijya Mata Temple: राजस्थान के डूंगरपुर जिले के मोदपुर गांव में स्थित जगदंबा स्वरूपा विजवा माता में न केवल स्थानीय लोगों की गहरी आस्था  है, बल्कि अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. लोक मान्यताओं के साथ-साथ जमीनी हकीकत भी इस बात की गवाही देती है कि विजवा माता की कृपा से लकवा सहित कई असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है.

लकवा व अन्य गंभीर बीमारियों से राहत पाने के लिए आते हैं लोग

मंदिर परिसर और आसपास का क्षेत्र लकवा और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों और उनके परिजनों से भरा हुआ है. यहां राजस्थान समेत  महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात के कोने-कोने से लोग यहां अपनी पीड़ा लेकर पहुंचे थे और माता के चरणों में स्वस्थ जीवन की प्रार्थना कर रहे थे.

लकड़ी से बने छोटे-छोटे हाथ के हथेलियां

लकड़ी से बने छोटे-छोटे हाथ के हथेलियां
Photo Credit: NDTV

स्वस्थ होने पर मरीज चढ़ाते है  छोटी-छोटी हथेली और पंजे 

मंदिर के पुजारी महेंद्र भाई ने बताया कि यह मंदिर एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है. मान्यता है कि असाध्य रोगों, खासकर लकवा से पीड़ित लोग यहां आते हैं और पूरी तरह ठीक होकर जाते हैं. उन्होंने आगे बताया कि अपनी आस्था और विश्वास को व्यक्त करने के लिए मरीज ठीक होने के बाद लकड़ी से बने छोटे-छोटे हाथ के हथेलियां और पंजे देवी मां को चढ़ाते हैं.

सुविधाएं और सेवा

मंदिर परिसर के चारों ओर धर्मशालाएं बनी हुई हैं, जहां मरीजों और उनके परिजनों के रहने की निःशुल्क व्यवस्था है। केवल भोजन के लिए मामूली शुल्क दस रुपये प्रति व्यक्ति सहयोग राशि के रूप में लिए जाते हैं, ताकि भोजन जूठन बनकर परिसर में न फैले और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जा सके.

मेलों का आयोजन:

विजवा माता मंदिर में प्रति रविवार मेला भरता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इसके अतिरिक्त, चैत्र और शारदीय नवरात्रि में भी मंदिर में विशेष मेले का आयोजन होता है, जो एक बड़े उत्सव का रूप ले लेता है.

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