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Kargil Vijay Diwas: दुश्मन की गोली लगने के बाद भी 30 सैनिकों को मार गिराया, पढ़ें कर्नल राठौर की कहानी

Indian Army: कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया और कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया.

Kargil Vijay Diwas: दुश्मन की गोली लगने के बाद भी 30 सैनिकों को मार गिराया, पढ़ें कर्नल राठौर की कहानी

Jodhpur News: कारगिल विजय दिवस के 25 वर्ष पूरे हो गए हैं. यह ऐतिहासिक दिन भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक है. जब भी 1999 के कारगिल युद्ध को याद किया जाता है तो टाइगर हिल की चर्चा होना स्वाभाविक है. इस युद्ध में भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया और कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया. इस कार्य में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय सेना की 8 सिख रेजिमेंट के कंपनी कमांडर कर्नल जयदीप सिंह राठौर ने कारगिल युद्ध की कहानी की यादें ताजा कीं.

दादा से बेटे तक भारतीय सेना से हैं गहरा नाता

दादा से बेटे तक भारतीय सेना से हैं गहरा नाता

पांच पीढ़ियां भारतीय सेना से हैं जुड़ी

कारगिल युद्ध के दौरान कर्नल जयदीप सिंह राठौर अपनी पूरी टीम के साथ कंपनी कमांडर के तौर पर टाइगर हिल पर विजय पाने के लिए लगे हुए थे. दुश्मन की गोलियों से गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी उन्होंने पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया. उस पल को याद करते हुए कर्नल जयदीप सिंह राठौर ने बताया कि जब उन्हें कारगिल विजय की खबर मिली तो वे गंभीर रूप से घायल थे और अस्पताल में भर्ती थे. उन्होंने आगे बताया कि उनकी पांच पीढ़ियां भारतीय सेना से जुड़ी हुई हैं. राठौर के पिता और दादा भी भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं. 1999 में कर्नल जयदेव सिंह राठौर ने भी कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को हराया था. वर्तमान में कर्नल राठौर का बेटा भारतीय सेना में कैप्टन है, जो इस समय लद्दाख में तैनात है. उन्होंने अपने घर में बने मंदिर में कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों की तस्वीरें रखी हैं.

 परिया का तालाब का रोका था रास्ता

'परिया का तालाब का रोका था रास्ता

 8 सिख रेजिमेंट में कैप्टन पद पर थे तैनात  कर्नल जयदेव राठौर

जयदेव राठौर उस समय भारतीय सेना में 8 सिख रेजिमेंट में कैप्टन के पद पर थे. उन्होंने बताया कि मई 1999 में कारगिल युद्ध के शुरुआती दौर में उन्होंने प्वाइंट 4195 और 4460 पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद उन्होंने टाइगर हिल युद्ध के दौरान सबसे महत्वपूर्ण चोटी 'परिया का तालाब' मार्ग को अवरुद्ध करने में सफलता हासिल की और वहां इंडिया गेट और हेलमेट इलाकों पर कब्जा कर लिया. जिसके कारण उन्होंने दुश्मन के जवाबी हमलों को 3 बार सफलतापूर्वक विफल किया. इस दौरान उनके 18 बहादुर जवान शहीद हो गए. उनकी बटालियन ने पाकिस्तानी सेना के 2 अधिकारियों सहित लगभग 30 सैनिकों को मार गिराया. अपनी बेहतर रणनीति के तहत, कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल परिसर को घेरने की योजना के तहत, प्वाइंट 4460 से उनकी गश्ती टीम ने कुछ दुश्मन ठिकानों का पता लगाया. उनकी उनसे झड़प हुई जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए.  उनकी बहादुरी के लिए उन्हें मेंशन इन डिस्पैच (एम-आईडी) से भी सम्मानित किया गया है.

 दुश्मन को तीनों दिशाओं से था घेरा

दुश्मन को तीनों दिशाओं से था घेरा

पच्चास से अधिक दिनों तक चला था युद्ध

टाइगर हिल एक लंबी पर्वत श्रृंखला है और विभिन्न चोटियों का एक समूह है. 8 सिख रेजिमेंट के वीर सैनिकों को टाइगर हिल पर बैठे दुश्मन की रसद तोड़ने, टाइगर हिल को तीनों दिशाओं से दुश्मन के संपर्क से दूर रखने, एक 'पक्का बेस' बनाने और हेलमेट तथा इंडिया गेट, जो कि टाइगर हिल के मुख्य द्वार हैं, पर विजय प्राप्त करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी .पचास से अधिक दिनों तक चले युद्ध में कई वीर सैनिक शहीद हो गए लेकिन 8 सिख के सैनिकों ने अपना स्थान नहीं छोड़ा. 8 टाइगर हिल की जीत में सिखों की प्रमुख भूमिका रही है.

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