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RGHS में पारदर्शिता पर सरकार का फैसला, योजना में धोखाधड़ी के खिलाफ काम करेगी एंटी फ्रॉड यूनिट

RGHS योजना के सुदृढ़ीकरण की दृष्टि से एक प्रभावी गाइडलाइन एवं एसओपी जल्द तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

RGHS में पारदर्शिता पर सरकार का फैसला, योजना में धोखाधड़ी के खिलाफ काम करेगी एंटी फ्रॉड यूनिट

RGHS Scheme: राजस्थान की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, वित्तीय सुदृढ़ता एवं संस्थागत पुनर्गठन के लिए प्रभावी कदम उठाएगा. इस​के लिए मानव संसाधन बढ़ाने के साथ ही योजना को तकनीकी रूप से सुदृढ़ किया जाएगा. साथ ही, एंटी फ्रॉड यूनिट का गठन किया जाएगा. चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने  स्वास्थ्य भवन में RGHS योजना की समीक्षा करते हुए इस संबंध में निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि योजना के सुचारू संचालन के लिए इससे संबंधित सभी कार्य पूर्ण पारदर्शिता एवं समयबद्धता से संपादित किए जाएं. योजना के तहत संदिग्ध पाए गए प्रकरणों एवं लंबित मामलों की शीघ्र समीक्षा कर इनका निराकरण सुनिश्चित किया जाए.

जल्द तैयार होगी नई SOP

योजना के सुदृढ़ीकरण की दृष्टि से एक प्रभावी गाइडलाइन एवं एसओपी जल्द तैयार की जाए. तय समय सीमा में यह काम पूरा किया जाए, ताकि लाभार्थियों को उपचार लेने में किसी तरह की ​कठिनाई नहीं हो. साथ ही, योजना से जुड़े अस्पताल, फार्मेसी एवं अन्य हितधारकों को भी अनावश्यक परेशानी नहीं हो और लोगों को योजना का पूरा लाभ मिले. 

मानव संसाधन के लिए प्रस्ताव भेजने के निर्देश

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि आरजीएचएस के सुचारू संचालन के लिए मानव संसाधन की कमी नहीं रहेगी. इसके लिए आवश्यक चिकित्सक, फार्मासिस्ट, प्रशासनिक एवं तकनीकी स्टाफ का आकलन कर इसका संरचनात्मक चार्ट तैयार करें और इनकी उपलब्धता के लिए प्रस्ताव तैयार कर जल्द भिजवाया जाए. 

एंटी फ्रॉड यूनिट का होगा गठन

​स्वास्थ्य से जुड़ी इस महत्वपूर्ण योजना में किसी तरह की अनियमितता या धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जा सकती. इसके लिए फुल प्रूफ सिस्टम विकसित करने के साथ ही एक एंटी फ्रॉड यूनिट का गठन किया जाए. इस यूनिट में आईटी, क्लेम ऑडिट, मेडिकल ऑडिट व निगरानी के विशेषज्ञ सम्मिलित किए जाएं. साथ ही योजना से जुड़े परिवादों के त्वरित निस्तारण के लिए ग्रिवांस रिडरेसल सेल भी गठित की जाए. राज्य स्तर पर केंद्रीकृत शिकायत समाधान केंद्र की स्थापना की जाए. शिकायत निस्तारण की ऑनलाइन ट्रैकिंग प्रणाली विकसित की जाए. जिला स्तर पर भी शिकायत निवारण प्रकोष्ठ बनाया जाए.
    
योजना के तहत अस्पतालों एवं फार्मेसी स्टोर को नियत समय में भुगतान किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि योजना में ​कुशल वित्तीय प्रबंधन सुनिश्चित किया जाए, ताकि उपचार की प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं हो.     

अस्पतालों एवं फार्मेसी स्टोर की अनियमितता पर कड़ी निगरानी

परियोजना अधिकारी शिप्रा विक्रम ने बताया कि कुछ मामलों में यह पाया गया है कि फार्मेसी और डॉक्टरों की मिलीभगत से एक संगठित गिरोह बन गया, जो लाभार्थियों के नाम पर फर्जी दवाएं, पर्चियां और बिल जनरेट कर रहे थे. ऐसे अस्पताल भी चिन्हित किए गए हैं, जहाँ लाभार्थी की बीमारी केवल ओपीडी स्तर पर उपचार योग्य होने के बावजूद 24 घंटे के लिए भर्ती दिखाया गया है. कई लाभार्थियों ने डॉक्टरों की फर्जी पर्चियों के आधार पर फार्मेसी से दवाओं के बिल उठाए हैं, जबकि वास्तविकता में न तो दवा खरीदी गई और न ही लाभार्थी ने उसका उपभोग किया. 

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