
Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कहा कि किसी भी कर्मचारी के सर्विस पीरियड में रविवार और सवेतन छुट्टी (लीव विद पे) को शामिल करते हुए उसके वर्किंग डे की गणना की जाएगी. हाईकोर्ट ने लेबर कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप ढंड की बेंच ने लालचंद जिंदल की याचिका पर आदेश दिया. याचिकाकर्ता के वकील सुरेश कश्यम ने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने लालचंद जिंदल को अंतिम कार्य वर्ष में सिर्फ 227 दिन की सेवा देने का हवाला देते हुए निकाल दिया था. उन्होंने लेबर कोर्ट में अपील की थी. वहां उनके खिलाफ फैसला आया तो हाईकोर्ट पहुंचे.
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे जिंंदल
वकील ने बताया कि लालचंद जिंदल बैंक ऑफ बड़ौदा में दैनिक वेतनभोगी के रूप में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर कार्यरत थे. बैंक ने उनके अंतिम कार्य वर्ष में काम के दिनों की गणना 227 दिन की. नियमों के तहत कर्मचारी के काम के दिनों की गणना 240 दिन होनी चाहिए. ऐसे में बैंक ने उन्हें नौकरी से हटा दिया. लेबर कोर्ट ने भी उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.
हाईकोर्ट ने लेबर कोर्ट के आदेश को रद्द किया
वकील सुरेश कश्यप ने मीडिया को बताया कि हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के कामों की गणना में रविवार और सवेतन अवकाश को शामिल नहीं किया गया. लेबर कोर्ट ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. लेबर कोर्ट का आदेश कानून की नजर में चलने योग्य नहीं है, इसलिए इसे रद्द किया जाता है.
हाईकोर्ट ने मामले को दोबारा लेबर कोर्ट में भेजा
हाईकोर्ट ने मामले को दोबारा लेबर कोर्ट में भेज दिया. दोनों पार्टियों को सुनने के बाद एक साल में आदेश देने के लिए कहा है. हाईकोर्ट ने दोनों पार्टियों को लेबर कोर्ट के सामने 17 अप्रैल से पहले उपस्थिति देने के भी निर्देश दिए.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया. कोर्ट ने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1994 की धारा 25-बी (2) के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में निर्धारित किया है कि कर्मचारी की निरंतर सेवाके रूप में रविवार और अन्य सवेतन छुट्टियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.
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