Rajasthan Nikay Chunav: राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनाव काफी समय से निलंबित है और इसे लेकर राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई भी हो रही है. वहीं शुक्रवार (14 नवंबर) को हाई कोर्ट ने प्रदेश के पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर अपना फैसला सुनाया है. जिसमें राज्य सरकार को चुनाव की डेडलाइन बताई है. राजस्थान हाईकोर्ट ने पंचायत और नगर निकायों के चुनाव 15 अप्रैल 2026 तक कराए जाने के निर्देश दिए हैं. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस.पी. शर्मा की खंडपीठ ने पूर्व विधायक संयम लोढ़ा और गिरिराज सिंह देवंदा सहित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर राज्य सरकार को यह आदेश दिया.
कोर्ट ने कहा कि सरकार पंचायत व नगर निकाय दोनों के चुनाव एक साथ करवाए और 31 दिसंबर 2025 तक परिसीमन की प्रक्रिया पूरी कर ले.
450 याचिकाओं पर सुनवाई पूरी
याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार ने संविधान के प्रावधानों के विपरीत जाकर मनमाने ढंग से पंचायत और निकाय चुनाव स्थगित किए हैं. हाईकोर्ट ने पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन से जुड़ी करीब 450 याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद 12 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब तीन महीने बाद सुनाया गया है. आपको बता दें कि प्रदेश की लगभग 6,759 पंचायतों और 55 नगरपालिकाओं का कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका है.
चुनाव स्थगित करना संविधान का उल्लंघन
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने दलील दी कि 16 जनवरी 2025 को जारी अधिसूचना के जरिए चुनाव स्थगित करना संविधान के अनुच्छेद 243ई, 243के और राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 17 का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव एक दिन के लिए भी टाला नहीं जा सकता. जिन सरपंचों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, वे अब जनप्रतिनिधि नहीं हैं, इसलिए उन्हें प्रशासक के रूप में नियुक्त करना भी गलत है.
क्या दिया सरकार ने जवाब
इस पर सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि प्रदेश में ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन' की अवधारणा पर विचार किया जा रहा है, जिसके लिए उच्चस्तरीय समिति गठित की जाएगी. इसके जरिए समय, धन और संसाधनों की बचत के साथ स्थानीय संस्थाओं को सशक्त बनाने की दिशा में काम होगा.
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले कार्यकाल में नए जिलों के गठन और बाद में उनमें से कुछ के समाप्त होने से परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया अधूरी रह गई थी. यही कारण है कि चुनाव स्थगित किए गए. साथ ही, सरकार ने कहा कि उसने राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 95 के तहत प्रशासक नियुक्त किए हैं, और अधिनियम में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किसे प्रशासक बनाया जा सकता है या नहीं.