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Rajasthan: अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, प्रार्थना पत्र कंसीडर करने के आदेश

मुस्लिम कानून में गोद लेने-देने का प्रावधान नहीं होने का कहकर माध्यमिक शिक्षा विभाग, राजस्थान, बीकानेर ने अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद मोहम्मद अलीम की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने केस की पैरवी की.

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Rajasthan: अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, प्रार्थना पत्र कंसीडर करने के आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट (फाइल फोटो).

Rajasthan News: राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायाधीश पीएस भाटी ने शनिवार को एक आदेश जारी कर माध्यमिक शिक्षा विभाग बीकानेर को अनुकंपा पर नियुक्ति देने के आदेश दिए है. दरअसल नागौर निवासी मोहम्मद अलीम की ओर से एडवोकेट यशपाल खिलेरी ने रिट याचिका दायर कर बताया कि याची के प्राकृतिक पिता मुंशी खान माध्यमिक शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य पद पर रहते हुए दिनांक 21.01.2015 को निधन हो जाने पर याची अलीम ने अनुकंपा नियुक्ति हेतू आवेदन किया.

'मुस्लिम कानून में गोद लेने का प्रावधान नहीं'

जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक शिक्षा), नागौर ने भी अनुकंपा नियुक्ति नियम 1996 के अनुरूप अनुकंपा नियुक्ति हेतू अनुशंषा कर दी. बावजूद इसके, माध्यमिक शिक्षा विभाग, बीकानेर ने आदेश दिनांक 07.05.2018 जारी कर अनुकंपा आवेदन पत्र यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मुस्लिम विधि में दत्तक लेने/ जाने जैसी व्यवस्था का प्रावधान नही होने के कारण याची अनुकंपा नियुक्ति नियम 1996 के अंतर्गत नियुक्ति का पात्र नहीं है.

याची की ओर से अधिवक्ता खिलेरी ने बताया कि अगर समाज मे दत्तक (Adopted) लेने एवं दत्तक जाने की प्रथा या रिवाज है तो मुस्लिम भी दत्तक ग्रहण कर सकता है. तदनुसार ही मृत्यु से 10 साल पूर्व उप पंजीयक कार्यालय में पंजीकृत गोदनामा में यह अंकित किया गया था कि समाज मे निकटतम वंशज को गोद में लेने की प्रथा है. इसी सन्दर्भ में हाइकोर्ट, जोधपुर ने 03 दिसम्बर 2013 के मुख्तयार अहमद प्रकरण में दिए पूर्व निर्णय में मुस्लिम धर्म मे प्रथा/रिवाज अनुसार दत्तक लिए/ दिए जाने को उचित ठहराया गया है.

'किसी भी धर्म में गोद लेने-देने पर मनाही नहीं'

याची के अधिवक्ता ने कोर्ट का ध्यान इस ओर भी दिलाया कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2000 भी एक सेक्युलर कानून है, जिसके तहत भी किसी भी धर्म, जाति या पंथ के व्यक्ति द्वारा किसी भी बच्चे के गोद में लेने या देने पर मनाही नहीं है. अनुकंपा नियुक्ति नियम 1996 में भी मृतक राज्य कर्मचारी के आश्रित की परिभाषा में भी किसी धर्म, जाति या पंथ विशेष के आश्रित का उल्लेख नहीं किया गया है. याची की ओर से आक्षेपित आदेश को निरस्त कर अनुकंपा नियुक्ति दिलाये जाने की गुहार लगाई गई.

प्रार्थना पत्र दोबारा कंसीडर करने के आदेश

रिकॉर्ड पर आए तथ्यों एवं पूर्व न्यायिक निर्णयों का परिशीलन कर, एवं याची के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायाधीश डॉ पी एस भाटी ने रिट याचिका स्वीकार करते हुए निदेशक माध्यमिक शिक्षा के आक्षेपित आदेश को निरस्त कर पूर्व न्यायिक निर्णय की रोशनी में अनुकंपा नियुक्ति हेतु पुनः कंसीडर करने के आदेश दिए.

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