
Jhalawar News: एक तरफ राजस्थान की भजनलाल सरकार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का वादा कर रही है.वहीं दूसरी तरफ झालावाड़ जिले के मोतीपुरा सरकारी स्कूल की खस्ताहालत की तस्वीरें शिक्षा विभाग की सुविधाओं पर सवाल खड़े कर रही हैं. यहां बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बिल्डिंग की हालत इतनी खस्ता है कि छत से पानी कमरों में टपकता है. जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.हालात ये हैं कि स्कूल की पूरी बिल्डिंग ही जर्जर हो चुकी है जिसकी वजह से छात्र खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
4 सालों से जर्जर अवस्था में है स्कूल
प्राप्त जानकारी की मानें तो स्कूल की बिल्डिंग पिछले 4 सालों से जर्जर अवस्था में है. स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. छत में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं. स्कूल के अंदर जान का खतरा होने के कारण शिक्षकों ने बच्चों को खुले में पढ़ाना शुरू कर दिया है. हालात ये हैं कि बारिश के मौसम में बच्चों को गीली जगहों पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है.

जर्जर हालत में है बिल्डिंग
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
स्कूल की हालत देखकर बच्चों के अभिभावक अब अपने बच्चों को पढ़ने भेजने से कतराने लगे हैं. इसके बाद भी क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है. फिलहाल वे सिर्फ आश्वासन देकर औपचारिकता पूरी कर रहे हैं. स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल भवन की छत जर्जर हो चुकी है और कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है. इस बारे में कई बार अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है लेकिन फिर भी कोई पहल नहीं की गई है. उन्होंने यह भी बताया कि छात्रों को स्कूल के सामने खुले आसमान के नीचे बैठाकर पढ़ाया जा रहा है.

30 साल पुराना भवन
30 साल पुराना भवन, हादसों को दे रहा न्योता
इस बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि 30 साल पुराने इस स्कूल की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है. इस कारण यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. छत का प्लास्टर निकल जाता है और भवन के अंदर कमरों में सीमेंट के टुकड़े गिरते हैं.छत और दीवारों में दरारें पड़ गई हैं. यहां बच्चों को भेजना खतरे से खाली नहीं है. स्कूल की हालत इतनी खराब है कि शिक्षक बाहर कक्षाएं लगाते हैं. प्राथमिक विद्यालय होने के कारण यहां छोटे बच्चे ही आते हैं. शिक्षा विभाग के अधिकारी हों या अन्य कोई जिम्मेदार, कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. प्राथमिक विद्यालय के जर्जर भवन के कारण कभी भी कोई हादसा हो सकता है, जिसका खामियाजा जर्जर भवन की छत के नीचे पढ़ाई कर रहे मासूम छात्रों को उठाना पड़ सकता है. लेकिन, झालावाड़ जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है.
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