
Rajasthan News: गुजरात और जोधपुर में दुष्कर्म केस में सजा भुगत रहे आसाराम ने छह माह के लिए स्थाई जमानत की गुहार लगाई है. गुजरात हाईकोर्ट में लगाई याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. आसाराम अभी 31 मार्च तक अंतरिम जमानत पर है. फैसला 28 मार्च को आएगा. अगर वहां जमानत अवधि बढ़ती है तो आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से भी जमानत बढ़वानी होगी.
आसाराम ने जमानत बढ़ाने के लिए गुजरात कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कई तरह की मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में पेश की तो मौलिक अधिकारों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि वह 86 वर्ष के हैं और दुनिया में बहुत कम लोग 75-80 वर्ष की आयु के बाद कोई इनवेसिव सर्जरी सहन कर सकते हैं.
दोषियों को भी मिलते हैं मौलिक अधिकार
आसाराम ने आगे कहा कि कभी भी किसी शर्त का उल्लंघन नहीं हुआ है. जब आप दोषी होते हैं, तो आप भारतीय संविधान के तहत अपने सभी अधिकार नहीं खो देते. हां, आपके अधिकार सीमित हो जाते हैं क्योंकि आपको जेल में रहना पड़ता है, लेकिन मूल अधिकार बने रहते हैं. यदि कोई व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इलाज की आवश्यकता महसूस करता है, तो यह अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत आता है और दोषी भी इसे मांग सकता है.
सिर्फ इसलिए कि आरोप गंभीर है और मैं आजीवन कारावास भुगत रहा हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि यदि मृत्यु आए तो उसे जल्द लाया जाए. यदि अच्छे उपचार से इसे टाला जा सकता है, जिसकी मुझे आवश्यकता है, तो भारतीय संविधान के तहत दोषियों को भी यह अधिकार प्राप्त है.
आसाराम को हुआ कोरोनरी आर्टरी डिजीज
साथ ही गुजरात हाईकोर्ट में मंगलवार को आसाराम के वकील शालिन मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के जनवरी के आदेश का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उस समय याचिका के मेरिट पर विचार नहीं किया था, लेकिन इसे मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला माना था.
उन्होंने 8 नवंबर 2023 से 20 जनवरी 2024 तक की अस्पताल में भर्ती होने की सूची अदालत के सामने रखी और इसके अलावा एम्स जोधपुर की एक रिपोर्ट का जिक्र किया. जिसमें कहा गया था कि चूंकि मरीज को कोरोनरी आर्टरी डिजीज है, इसलिए वह "हाई रिस्क श्रेणी" में आता है.
आसाराम को पंचकर्म चिकित्सा की जरूरत
इसके बाद वकील ने फरवरी की दो मेडिकल रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि इन रिपोर्टों के अनुसार, आसाराम को विशेष नर्सिंग देखभाल, करीबी निगरानी, नियमित रूप से एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट से परामर्श की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी कहा कि "डॉक्टरों की स्पष्ट राय" है कि आसाराम को पंचकर्म चिकित्सा की जरूरत है, जो 90 दिनों का उपचार है.
141 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे आसाराम
मेहता ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि आसाराम की कई मेडिकल जांच की गई हैं और सभी विशेषज्ञों की सलाह और रिपोर्ट में कम से कम एक बात समान है कि यह एक घातक स्थिति है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आवेदक की स्थिति या स्वास्थ्य बिल्कुल भी ठीक नहीं है.
वहीं राज्य के वकील हार्दिक दवे ने तर्क दिया कि ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार दोषी के स्वास्थ्य को लेकर असंवेदनशील है. उन्होंने कहा कि नवंबर से जनवरी तक उनकी 141 दिनों तक अस्पताल में भर्ती हुई और लगभग 15 बार उन्हें आपातकालीन स्थिति में ले जाना पड़ा. यह वही स्थिति थी जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 31 मार्च तक मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी थी.
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