विज्ञापन

Rajasthan: अब रेगिस्तान में फैलेगी चंदन की खुशबू, बाड़मेर के जोगेश चौधरी ने किया क्रांतिकारी नवाचार

डॉ. जोगेश बताते हैं, “हमारे बागान में 400 चंदन के पौधे 5-6 फीट की ऊंचाई तक पहुंच चुके हैं. यह देखकर गर्व होता है कि रेगिस्तान में भी चंदन की खुशबू बिखरने की शुरुआत हो चुकी है.” उनके इस प्रयास में वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया गया है.

Rajasthan: अब रेगिस्तान में फैलेगी चंदन की खुशबू, बाड़मेर के जोगेश चौधरी ने किया क्रांतिकारी नवाचार
एक चंदन का पौधा 14 साल बाद बेचने लायक होता है और इसकी कीमत 4-5 लाख रुपये तक हो सकती है.

Barmer News: रेगिस्तान की रेतीली धरती, जहां पानी की कमी और तपती धूप हर कदम पर चुनौती पेश करती है, वहां बाड़मेर जिले के भीमडा में एक अनोखी कृषि क्रांति जन्म ले रही है. अनार, खजूर और अंजीर की खेती के बाद अब रेगिस्तानी किसान सफेद चंदन की खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, जिसे दुनिया की सबसे कीमती लकड़ियों में से एक माना जाता है.

इस अभिनव और प्रेरणादायक पहल के पीछे हैं बाटाडू सीएससी में कार्यरत डॉ. जोगेश चौधरी, जिन्होंने अपने पिता भगवानाराम सारण के मार्गदर्शन और प्रेरणा से रतनाली नाडी के पास 18 बीघा जमीन पर 900 सफेद चंदन के पौधों का एक हरा-भरा बागान तैयार किया है. यह बागान न केवल रेगिस्तान में हरियाली का प्रतीक है, बल्कि यह भविष्य में करोड़ों रुपये की कमाई का आधार भी बन सकता है.  

सफेद चंदन: एक परजीवी पौधा और उसकी चुनौतियां

सफेद चंदन (Santalum album) एक परजीवी पौधा है, जिसे पनपने के लिए विशेष परिस्थितियों की आवश्यकता होती है. यह अपने पोषण के लिए आसपास के पौधों की जड़ों से पानी और पोषक तत्व ग्रहण करता है. इसके लिए घने जंगल या होस्ट पौधों की मौजूदगी अनिवार्य है. रेगिस्तान जैसे कठिन क्षेत्र में चंदन की खेती करना एक असाधारण चुनौती है, लेकिन डॉ. जोगेश ने इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण और कड़ी मेहनत से संभव बनाया है.  

डॉ. जोगेश चौधरी

डॉ. जोगेश चौधरी

उन्होंने अपने बागान में चंदन के 900 पौधों के साथ-साथ होस्ट पौधों का एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है. इसमें केजुरिना (Casuarina) के 500 पौधे, खेजड़ी के 100 पौधे, आंवले के 500 पौधे, नींबू के 100 पौधे, अमरूद के 50 पौधे और अंजीर के पौधे शामिल हैं. इसके अलावा, बागान की बाउंड्री को मजबूत करने और चंदन को अतिरिक्त पोषण देने के लिए 700 मालबार नीम के पौधे लगाए गए हैं, जो अब 30-35 फीट से अधिक ऊंचाई तक पहुंच चुके हैं. ये होस्ट पौधे चंदन की जड़ों को पोषण प्रदान करते हैं, जिससे यह रेगिस्तानी मिट्टी में भी फल-फूल रहा है.  

किया गया वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग

डॉ. जोगेश बताते हैं, “हमारे बागान में 400 चंदन के पौधे 5-6 फीट की ऊंचाई तक पहुंच चुके हैं. यह देखकर गर्व होता है कि रेगिस्तान में भी चंदन की खुशबू बिखरने की शुरुआत हो चुकी है.” उनके इस प्रयास में वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिसमें खेत की गहरी जुताई, ड्रिप सिंचाई व्यवस्था, खरपतवार नियंत्रण और समय पर रोपाई शामिल है. बारिश के मौसम में पौधों की रोपाई की गई, जबकि गर्मियों में हर 2-3 दिन और सर्दियों में सप्ताह में एक बार सिंचाई की जाती है.  

 20-25 साल में एक पेड़ की लकड़ी 5 से 35 लाख रुपये प्रति टन तक बिकती है. .

20-25 साल में एक पेड़ की लकड़ी 5 से 35 लाख रुपये प्रति टन तक बिकती है.

चंदन की खेती: धैर्य और समृद्धि का प्रतीक  

सफेद चंदन की खेती एक दीर्घकालिक निवेश है, जो धैर्य और समर्पण की मांग करती है. एक चंदन का पौधा 14 साल बाद बेचने लायक होता है और इसकी कीमत 4-5 लाख रुपये तक हो सकती है. 20-25 साल में एक पेड़ की लकड़ी 5 से 35 लाख रुपये प्रति टन तक बिकती है. एक किलो लकड़ी की कीमत 5,000 से 35,000 रुपये तक हो सकती है, जो इसकी सुगंध की तीव्रता पर निर्भर करती है. 5-6 साल बाद चंदन के पेड़ों से इसकी मनमोहक खुशबू आने लगेगी, जो इसे विश्व बाजार में इतना मूल्यवान बनाती है.  

चंदन की लकड़ी और जड़ों से बने उत्पादों की मांग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बहुत अधिक है. चंदन की जड़ों से महंगे परफ्यूम, तेल, साबुन, और सौंदर्य प्रसाधन तैयार किए जाते हैं, जबकि तने की लकड़ी का उपयोग धूप, अगरबत्ती, औषधियों और हस्तशिल्प में होता है. खासकर विदेशों में इन उत्पादों की आपूर्ति से यह खेती करोड़ों रुपये की कमाई का माध्यम बन सकती है. 

यह भी पढ़ें - गहलोत ने किया CM भजनलाल का समर्थन, बोले- पूरे 5 साल राज करो, हमको तो आप सूट करते हो

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close