Udaipur News: उदयपुर शहर के बीच स्थित पिछोला झील जिसकी वजह से इसे पूर्व का वेनिस भी कहा जाता है. घनी आबादी और कई होटलों के बीच पिछोला झील का विहंगम दृश्य दिखाई देता है. यह झील खूबसूरत तो है ही, साथ ही जीवनदायिनी भी है. क्योंकि इसी का पानी उदयपुर के डेढ़ से दो लाख लोग पीते हैं. कहा जाता है कि अगर पूरे साल बारिश न हो, तो भी उदयपुर के लोग प्यासे नहीं रहेंगे. इसके बावजूद इस झील के पानी में सीवरेज मिल रहा है.
NDTV ने इस झील के करीब साढ़े 8 किलोमीटर लंबे सर्कल रोड पर शहर वासियों से बात की. वहां लोगों ने कई ऐसे पॉइंट बताए जहां से सीवरेज सीधे झील में मिल रहा है और कई जगहों पर कचरे और गंदगी का अंबार लगा है.
खराब सीवरेज सिस्टम बन रही वजह
दरअसल, उदयपुर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद पूरे शहर में सीवरेज सिस्टम बनाया गया है. पिछोला झील के आसपास बेस पुराने शहर में सीवरेज चैंबर उफान मार रहे हैं. इनमें से गंदा पानी ओवरफ्लो होकर पिछोला झील में मिल रहा है.
तकनीक ख़ामियों में उलझा सीवेरज सिस्टम
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य और झीलों को बचाने के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे तेज शंकर पालीवाल बताते हैं कि पिछोला झील को प्रदूषण मुक्त करने के लिए
यही नहीं बारिश का पानी व्यर्थ न जाए, इसके लिए अलग नाले बनाए गए लेकिन उन्हीं नालों में सीवरेज मिलकर झील में जा रहा है.
भूमिगत पानी भी हुआ खराब
पिछोला झील के साढ़े 8 किलोमीटर के सर्कल एरिया में घरों के अंदर तक सीवरेज का पानी जा रहा है. जिससे भूमिगत पानी पूरी तरह खराब हो गया. वहां के निवासी फतह मोहम्मद छिपा ने बताया कि जब सीवरेज चैम्बर उफान मारता है तो पूरी गंदगी सड़क पर फैल जाती है. यहां तक कि बोरिंग का पानी भी पूरी तरह खराब हो चुका है.
पिछोला झील के आसपास सैकड़ों होटल हैं. होटल संचालक हर्षवर्धन सिंह राणावत कहते हैं कि सीवरेज का कार्य ठीक से नहीं किया गया. जब भी सरकारी नल चलता है तो सीवरेज के चैंबर से पानी निकलकर झील में चला जाता है और होटल संचालकों को दोष दिया जाता है. जब काम ही सही तरीके से नहीं हुआ, तो होटल वालों का क्या दोष?
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