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राजस्थान में बदलेंगी गांवों की सीमाएं, पंचायतों के पुनर्गठन का काम जिला कलेक्टरों को सौंपा गया

New Boundaries in Rajasthan Villages: राजस्थान में ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने और जनता से आपत्तियां मांगने का अधिकार दिया है.

राजस्थान में बदलेंगी गांवों की सीमाएं, पंचायतों के पुनर्गठन का काम जिला कलेक्टरों को सौंपा गया
राजस्थान में में नवीन पंचायतो को लेकर जारी हुई सूची. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
AI Photo

Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने राज्य के ग्रामीण प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर ली है. ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन (यानी नई पंचायतों को बनाने या उनकी सीमाओं को बदलने) का महत्वपूर्ण अधिकार अब जिला कलेक्टरों को सौंप दिया गया है. यह फैसला राजस्थान राजपत्र (Rajasthan Gazette) के विशेष अंक में शुकवार को एक नोटिफिकेशन जारी कर सूचित किया गया है.

गांवों के लिए क्यों जरूरी है यह फैसला?

राज्य में अक्सर नई आबादी और शहरीकरण के कारण पंचायतों की सीमाओं को बदलने या नई पंचायत बनाने की मांग उठती है. यह पुनर्गठन गांवों के विकास के लिए बेहद जरूरी होता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि हर गांव और ढाणी तक सरकारी योजनाएं और सुविधाएं आसानी से पहुंच सकें. अब यह जिम्मेदारी सीधे तौर पर जिले के मुखिया, यानी जिला कलेक्टर को दी गई है.

जिला कलेक्टरों को क्या अधिकार मिले?

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा जारी इस अधिसूचना के अनुसार, राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 9, 10 और 101 के तहत राज्य सरकार को मिले अधिकार अब संबंधित जिले के जिला कलेक्टरों को दे दिए गए हैं. जिला कलेक्टर अब ये 3 मुख्य काम कर सकेंगे:-

  1. नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन (Redrawing Boundaries) या नवसृजन (Creation of New Units) के लिए प्रस्ताव तैयार करना.
  2. तैयार प्रस्तावों को जनता के देखने के लिए प्रसारित करना.
  3. इन प्रस्तावों पर जनता से एक महीने की अवधि के भीतर आपत्तियां मांगना और उन पर सुनवाई करना.

जनता कैसे लेगी प्रक्रिया में हिस्सा?

इस प्रक्रिया की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें जनता की भागीदारी सुनिश्चित की गई है. जिला कलेक्टर जब पुनर्गठन से जुड़े प्रस्ताव तैयार कर लेंगे, तो उन्हें सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया जाएगा. इसके बाद सभी आम नागरिक या प्रभावित पक्ष एक महीने की अवधि में अपनी आपत्तियां या सुझाव कलेक्टर के समक्ष दर्ज करा सकेंगे. कलेक्टर इन सभी आपत्तियों की सुनवाई करेंगे और उसके आधार पर अंतिम प्रस्ताव सरकार को भेजेंगे.

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