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Rajasthan: पेपर लीक केस में ED का एक्शन, आज सीज हो सकती है पूर्व RPSC बाबूलाल कटारा की संपत्ति

बाबू लाल कटारा को कांग्रेस शासन में आरपीएससी सदस्य बनाया गया था. कटारा आरपीएससी लॉकर रुम से पेपर निकालकर अपने सरकारी आवास में लाया था. जहां पर उसके भतीजे ने पेपर को कॉपी कर पेपर माफिया को बेच दिया था. इसमें शेर सिंह सहित कई अन्य आरोपी पर कार्रवाई की जा चुकी है.

Rajasthan: पेपर लीक केस में ED का एक्शन, आज सीज हो सकती है पूर्व RPSC बाबूलाल कटारा की संपत्ति
फाइल फोटो.

Rajasthan News: राजस्थान पेपर लीक मामले (Paper Leak Case) में बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम आज राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के पूर्व सदस्य बाबूलाल कटारा (Babulal Katara) की संपत्ति जब्त करने वाली है. इसकी कार्रवाई की गाज उसके बेटे दीपेश पर भी गिर सकती है, क्योंकि प्रतापनगर में दोनों की करोड़ों रुपये की संपत्ति है. कुछ ही देर में ईडी की टीम यहां पहुंचकर कार्रवाई शुरू करेगी.

जानकारी के मुताबिक, सबसे पहले ईडी की टीम सुभाष नगर स्थित आवास पर कटारा के परिवारजनों के बयानक्रम बद्ध करेगी. इसके बाद प्रतापनगर में ही स्थित उसकी दुकान और कॉम्प्लेक्स को अटैच किया जाएगा. इसके बाद स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में मौजूद आवासीय जमीन को भी सीज करते हुए अग्रीम कार्रवाई शुरू की जाएगी.

मालपुरा का रहने वाला है कटारा

बाबूलाल कटारा डूंगरपुर जिले के भाटपुर ग्राम पंचायत के मालपुर गांव का रहने वाला है. 2 नवंबर 1987 को वह तृतीय श्रेणी शिक्षक बना था. करीब 2 साल बाद 1990 में वह अर्थशास्त्र के व्याख्याता बन गया था. अगले ही साल 1991 में बाबूलाल कटारा जिला सांख्यिकी अधिकारी बन गया था. इस दौरान उदयपुर संभाग में विभिन्न जगह पर कटारा ने सेवाएं दी. वर्ष 1994 से लेकर 2005 तक विकास अधिकारी के रूप में काम किया. फिर संयुक्त निदेशक सांख्यिकी सचिवालय में सेवाएं दी. वर्ष 2013 से वीआरएस लेने तक उदयपुर के माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान में निदेशक का पद संभाला.

गहलोत ने राज्यपाल से की थी सिफारिश

अक्टूबर 2020 में गहलोत सरकार ने बाबूलाल कटारा को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बनने के लिए की सिफारिश की थी. राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने कटारा को आरपीएससी के सदस्य के रूप में नियुक्ति प्रदान की. इस नियुक्ति के पीछे गहलोत सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग को खुश करना था. दरअसल वर्ष 2020 में डूंगरपुर क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति और आदिवासी समुदाय के लोगों ने बड़ा आंदोलन किया था. डूंगरपुर बांसवाड़ा में अनुसूचित जनजाति के हजारों लोगों ने शिक्षक भर्ती 2018 में सामान्य श्रेणी के 1167 पदों पर अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को नियुक्त देने की मांग की थी. उस आंदोलन के दौरान भारी हिंसा हुई जिसने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. हिंसा के दौरान दो लोगों की मौत भी हुई. उन दिनों अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को खुश करने के लिए गहलोत सरकार ने बाबूलाल कटारा की नियुक्ति RPSC के सदस्य के रूप में करने की सिफारिश की थी.

ऐसे सामने आया था कटारा का नाम

दिसंबर 2022 में जब वरिष्ठ अध्यापक पेपर लीक प्रकरण सामने आया तो इस मामले की जांच उदयपुर पुलिस के साथ एसओजी को सौंपी गई थी. एसओजी ने अपनी जांच के दौरान कड़ी से कड़ी जोड़ते हुई पेपर लीक माफियाओं को गिरफ्तार किया. पिछले दिनों सरकारी स्कूल का एक वाइस प्रिंसिपल शेर सिंह मीणा एसओजी की गिरफ्त में आया. शेर सिंह से हुई पूछताछ में यह पता चला कि उसे यह पेपर आरपीएससी के सदस्य बाबूलाल कटारा ने दिया था. इसके बाद एसओजी ने बाबूलाल कटारा, उसके ड्राइवर गोपाल सिंह और भांजे विजय डामोर को पेपर लीक प्रकरण में गिरफ्तार कर लिया.

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