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राजस्थान में टूटा 50 साल के बारिश का रिकॉर्ड, लोग हुए रोटी, कपड़ा, मकान के मोहताज

भरतपूर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गृह जिला है और जिले से करीब 40किलोमीटर की दूरी पर बने इन गांवों में ये हालात है. यहां सिस्टम पूरी तरह फेल नजर आ रहा है. अधिकारी केवल कागजी कार्रवाई कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं.

राजस्थान में टूटा 50 साल के बारिश का रिकॉर्ड, लोग हुए रोटी, कपड़ा, मकान के मोहताज
Rajasthan Flood

Rajasthan Flood News: राजस्थान में इस बार बरसात ने 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. मॉनसून की बारिश इस बार कई जिलों के लिए बड़ी आपदा लेकर आयी है. ख़ास तौर पर मॉनसून में पूर्वी राजस्थान में हुई तेज बरसात से धौलपुर, भरतपुर और सवाईमाधोपुर के जिले पूरी तरह से प्रभावित हुए हैं. बारिश से इन जिलों के कई गांव पानी में अब तक डूबे हुए हैं. भरतपुर संभाग की 1, लाख हेक्टेयर से अधिक की फसल नष्ट हो चुकी है. किसान पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. गंदा पानी जमा होने से बीमारियां फैलने की आशंका बनी हुई है.

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गांवों में लोगों के पास राशन खत्म हो गया है. सरकारी सिस्टम की उदासीनता के चलते जीवन-यापन मुश्किल हो गया है. ऐसे समय में NDTV की टीम ने कई गांवों का दौरा कर जमीनी हकीकत का जायजा लिया है. 

भारी बारिश के बीच बदहाल हुई जिंदगी

भरतपुर ज़िले के बयाना में 30 से अधिक गांव जलमग्न की हालत में है. कई गांव ऐसे हैं जहां जिला मुख्यालय का संपर्क टूट गया है. पानी से लबालब सड़कों को पार करने में ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही है.स्थानीय महिलाओं का कहना है कि कोई सुनने वाला नहीं है. इस भयानक बारिश में सब कुछ बर्बाद हो गया, घर मकान झोपड़ी सब डूब गए हैं. अब सरकार भी कोई ध्यान नहीं दे रही है.

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माड़ापुरा गांव में पानी अब थोड़ा कम हुआ है तो लोग बचा-खुचा सामान घरों से बाहर निकालने की जद्दोजहद कर रहे हैं. मकान के बाहर जहां मवेशी जाते हैं. वहीं झोपड़ी बनाकर जानवरों के साथ रहना पड़ रहा है. पानी के लिए जो नल लगा हुआ था वो भी बरसाती पानी में डूब गया है. राशन भी नहीं है बच्चों को क्या खिलाए.

बर्बाद फसलों का नहीं हुआ सर्वे

वहीं कंजौली गांव के दोनों ओर कई एकड़ में फैली बाजरे की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. इस फसल को सींचने में किसान ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. उम्मीद थी फसल होगी तो कुछ अच्छे दिन आएंगे. लेकिन अपनी आंखों के सामने इस बर्बाद फसल को देखकर किसान आंसू रो रहा है. यहां के किसानों का कहना है कि मुआवज़ा मिलना तो दूर की बात अभी तक किसी पटवारी गिरदावर में आकर सर्वे तक नहीं किया है.

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दूसरों से मांगकर खाने को मजबूर

इस इलाके के कई घर करीब एक महीने से पानी में डूबे हुए हैं. लोगों ने कुछ दिन तो डूबे हुए घर में जीवन यापन किया. लेकिन जब पानी निकलने का कोई आसार नहीं दिख रहा है तो लोग राजीव सेवा केन्द्र में जाकर शरण ले चुके हैं. हालांकि खाने की समस्या फिर भी बनी हुई है. घर में छोटे बच्चे हैं बुजुर्ग हैं, महिलाएं सुबह से शाम तक गांव वालों से ही कुछ मांग कर लाती है. क्योंकि भूख से बड़ा कुछ भी नहीं है.

खंदे पानी से बीमार पड़ने लगे हैं बच्चे

सबकुछ पानी में डूबने के बाद जह बाहर निकलेंगे तो गंदे पानी से होकर ही गुज़रना पड़ेगा. गंदे पानी में बच्चे खेलने से बच्चे बीमार पड़ने लगे हैं. गांव के लोगों की भी स्किन खराब होने लगी है. लेकिन गंदा पानी कब निकलेगा, ये कहना मुश्किल है. स्थानीय प्रशासन के आदेशों पर स्कूल को बंद कर दिए गए हैं.

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