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Rajasthan: फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से ली नौकरी, 24 लोकसेवकों के नामों का खुलासा, 20 साल पुराना मामला भी उजागर

SOG investigation: एसओजी की जांच में केवल 5 कर्मचारियों के प्रमाण पत्र सही पाए गए. अन्य 24 दिव्यांग कर्मचारियों को मेडिकल बोर्ड ने दिव्यांग श्रेणी के लिए अयोग्य करार दिया.

Rajasthan: फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से ली नौकरी, 24 लोकसेवकों के नामों का खुलासा, 20 साल पुराना मामला भी उजागर

Rajasthan government job fraud: राजस्थान में सरकारी नौकरी पाने के लिए बड़ी जालसाजी का पर्दाफाश हुआ है. फर्जी दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के जरिए दिव्यांग कोटे में नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियो की पहचान कर ली गई है. एसओजी ने 29 लोक सेवकों का एसएमएस मेडिकल कॉलेज में मेडिकल करवाया तो इस बात का खुलासा हुआ. रिपोर्ट में केवल 5 कर्मचारियों के प्रमाण पत्र सही पाए गए. अन्य 24 दिव्यांग कर्मचारियों को मेडिकल बोर्ड ने दिव्यांग श्रेणी के लिए अयोग्य करार दिया. इनमें सभी 13 श्रव्यबाधित अयोग्य पाए गए, जबकि 8 दृष्टिबाधित में से 6 और लोकोमोटर एवं अन्य प्रकार की दिव्यांगता वाले 8 में से 5 अयोग्य मिले हैं.

RPSC को दिया चकमा

यह पूरा खेल दिव्यांग कोटे में 2 फीसदी आरक्षण के तहत नौकरी पाने के लिए हुआ. हैरानी की बात तो यह है कि इस फर्जी प्रमाण पत्र के ज़रिए RPSC जैसे संवैधानिक संस्थान को चकमा देकर अभ्यर्थियों ने सरकारी नौकरी हासिल कर ली. एसओजी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भवानी शंकर मीणा के नेतृत्व में गठित जांच दल ने मामले की जांच की. 29 लोक सेवकों का एसएमएस मेडिकल कॉलेज में पुनः मेडिकल करवाया. रिपोर्ट में केवल 5 कर्मचारियों की वास्तविक दिव्यांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक पाई गई.

अभ्यर्थी के फर्जी डॉक्यूमेंट

अभ्यर्थी के फर्जी डॉक्यूमेंट

2005 से काम कर रहे अधिकारी, अब फर्जीवाड़ा उजागर

इन मामलों में RPSC स्टेनोग्राफर अरुण शर्मा ने 2018 में 70 प्रतिशत दृष्टि दोष का फर्जी प्रमाणपत्र जमा कर नौकरी पाई थी. 2022 की पुनः मेडिकल जांच में उनकी वास्तविक दृष्टि दोष 30 प्रतिशत से भी कम पाई गई. उनकी नियुक्ति रद्द करने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया. पशु चिकित्साधिकारी शंकर लाल मीणा 2005 से विभाग में कार्यरत हैं, उन्होंने फर्जी प्रमाणपत्र का उपयोग कर नौकरी हासिल की. अब शंकरलाल मीणा के भी सेवा से बर्खास्तगी और कानूनी कार्रवाई की संभावना है.

67 लोग रडार पर, कई नौकरी छोड़ भागे

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इसके अलावा जैसलमेर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय मोहनगढ़ में अंग्रेज़ी पढ़ा रही दामिनी कंव भी फर्जी प्रमाणपत्र जमा कर चुकी थीं. भरतपुर के सरकारी कॉलेज बयाना में अंग्रेज़ी लेक्चरर सवाई सिंह गुर्जर के प्रमाणपत्र में मूक और बधिर दोनों लिखा हुआ था. दोनों मामलों में जालसाजी पकड़ में आ गई है. दरअसल, फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए सरकारी नौकरी हासिल करने वाले 67 नामों की सूची सामने आई, जिनमें 31 अभी नौकरी कर रहे हैं. इनमें शामिल अन्य लोगों ने गिरफ़्तारी के डर से नौकरी छोड़ दी. एसओजी फिलहाल शेष लोगों की तलाश में भी जुटी है.

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