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जन्मदिन पर पसरा मातम लेह में तैनात राजस्थान के जवान की मौत, पार्थिव शरीर आते ही गांव में छाई मायूसी

हनुमानगढ़ जिले के हमीरदेसर गांव के रहने वाले सैनिक हरीकृष्ण का सैन्य सेवा के दौरान निधन हो गया. पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा तब गांव में उदाशी छा गई. 

जन्मदिन पर पसरा मातम लेह में तैनात राजस्थान के जवान की मौत, पार्थिव शरीर आते ही गांव में छाई मायूसी
मृतक जवान की तस्वीर

Rajasthan News: राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के पल्लू क्षेत्र के गांव हमीरदेसर का माहौल उस समय गमगीन हो गया, जब गांव के सेना में कार्यरत हरिकृष्ण थोरी के निधन  का समाचार गांव में पहुंचा. हरिकृष्ण करीब 2 हफ्ते पहले ही छुट्टी पूरी कर वापस ड्यूटी के लिए लेह में तैनात रेजिमेंट में शामिल होने के लिए गांव से गए थे. जहां कुछ दिन बाद ही तबियत बिगड़ने पर लेह से एयरलिफ्ट कर चंडीगढ़ लाया गया और वहां से दिल्ली आर्मी अस्पताल ले जाया गया. लेकिन स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो पाया और शुक्रवार 27 दिसंबर को उपचार के दौरान उनका निधन हो गया.

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जन्मदिन का दिन हुआ अंतिम दिन  

शहीद सिपाही हरिकृष्ण का लगभग 10 दिन के उपचार के बाद 27 दिसंबर को निधन हो गया. हरिकृष्ण के रिश्ते में भाई पूर्व उपसभापति हनुमानगढ़ अनिल खीचड़ ने बताया कि हरिकृष्ण का जन्मदिन भी 27 दिसंबर को ही था और कल ही उन्होंने उम्र के 25 वर्ष पूरे किए थे. लेकिन नियति के वज्रपात के आगे किसका वश चला है. उनका भाई करीब 12 दिन पहले एक माह से अधिक का वार्षिक अवकाश पूरा कर वापस ड्यूटी के लिए लेह रवाना हुआ था. लगातार बिगड़ते स्वास्थ्य के चलते कल उनका देहांत हो गया. सैनिक की शहादत क्षेत्र के लिए शौर्य है, लेकिन परिवार के लिए शौर्य के साथ ही किसी वज्रपात से कम नहीं है. 

किसान परिवार का बेटा था शहीद

सेना में सिपाही के पद पर कार्यरत रहे हरिकृष्ण का 2018 में सेना में चयन हुआ था, किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हरिकृष्ण अभी अविवाहित थे. परिवार में पिता बुधराम किसान है और माता गुड्डीदेवी गृहिणी है. वहीं एक सबसे बड़ी बहन सुनीता विवाहित है और एक बड़ा भाई ओमप्रकाश भी पिता के साथ खेती में हाथ बंटाता है.

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सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

शनिवार अलसुबह शहीद हरिकृष्ण थोरी की पार्थिव देह लेकर आर्मी के जवान पैतृक गांव हमीरदेसर पहुंचे. जहां हजारों की संख्या में ग्रामीण शव को श्रद्धांजलि देने के लिए मौजूद रहें. अंतिम यात्रा में भारत माता की जय और शहीद हरिकृष्ण अमर रहे के नारे आसमान में गूंजते रहे.

शहीद को गांव में शोक धुन के बीच सैनिकों ने सलामी देकर शहीद को अंतिम विदाई दी. शहीद की अंतिम यात्रा में सेना के अधिकारियों के अलावा क्षेत्र के सभी दलों के जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल रहे.

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