
Rajasthan: यह ख़बर उन बेटों के लिए आईना है, जो मां-बाप का सहारा बनने की बजाय उन्हें अकेला और बेसहारा छोड़ देते हैं. जिन मां-बाप ने पाल-पोसकर बेटों को काबिल बनाया, उन्हीं बेटों ने बुढ़ापे में उन्हें बेसहारा कर दिया. लेकिन अब ऐसे बेटों को कानून ने उनकी जिम्मेदारी का अहसास दिलाया है.
हर महीने 6 हजार देने होंगे
नसीराबाद के मजिस्ट्रेट देवीलाल यादव की अदालत ने एक ऐसे ही बेटे को आदेश दिया है कि वह अपने बुजुर्ग मां-बाप को हर महीने 6 हजार रुपये भरण-पोषण के तौर पर दें. बेटा अपने बुजुर्ग माता-पिता को अकेला नहीं छोड़ सकते हैं.
बेटा पा रहा लाखों की सैलरी
तेली कुम्हार मोहल्ला निवासी श्यामलाल प्रजापत और उनकी पत्नी सीता देवी ने बताया कि उनके दो बेटे मनोज और सर्वेश हैं. उन्हें पढ़ा-लिखकर काबिल बनाया, और शादी के बाद उन्हें छोड़कर चले गए. श्यामलाल को मजबूरी में पान की छोटी सी दुकान लगाकर पेट पालना पड़ रहा है.
बड़ा बेटा महाराष्ट्र में इंजीनियर
छोटे बेटे ने 1700 रुपये देने का वादा तो किया, लेकिन निभाया नहीं. वहीं बड़ा बेटा मनोज, जो महाराष्ट्र में इंजीनियर है, लाखों की तनख्वाह के बावजूद मां-बाप की सुध तक नहीं लेता. अदालत में भी वह मामले को टालता रहा, लेकिन अब न्यायालय ने सख्ती दिखाते हुए हर महीने 6 हजार रुपये देने का आदेश पारित किया है. यह फैसला उन सभी के लिए चेतावनी है जो मां-बाप की ममता तो ले लेते हैं, लेकिन बुढ़ापे में उन्हें अकेला छोड़ देते हैं.
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