विज्ञापन

राजस्थान में बाल विवाह पर कड़ी निगरानी, ​​दो साल में 1196 शादियां रुकवाई

राजस्थान सरकार ने इस कुप्रथा को रोकने के लिए कुछ प्रयास किए हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों (2022-2024) में राज्यभर में 1196 बाल विवाहों को सफलतापूर्वक रोका गया.

राजस्थान में बाल विवाह पर कड़ी निगरानी, ​​दो साल में 1196 शादियां रुकवाई
प्रतीकात्मक तस्वीर

Child Marriage In Rajasthan:  बाल विवाह को लेकर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) ने  कुछ आकंडे जारी किए है. जिनके  अनुसार, 2019-21 में 20 से 24 वर्ष की आयु की 28.3% महिलाओं का विवाह 18 साल की कानूनी उम्र से पहले ही कर दिया गया था. यह चिंताजनक आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्रों में और भी अधिक गंभीर है, क्योंकि यहां सामाजिक दबाव ज्यादा असर डालते हैं.

राज्यभर में 1196 बाल विवाह रोके

हालांकि, राजस्थान सरकार ने इस कुप्रथा को रोकने के लिए कुछ प्रयास किए हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों (2022-2024) में राज्यभर में 1196 बाल विवाहों को सफलतापूर्वक रोका गया. इनमें से ज्यादातर मामले अक्षय तृतीया, गणगौर और बसंत पंचमी जैसे त्योहारों के दौरान सामने आए, जब बड़ी संख्या में बाल विवाह होने की आशंका रहती है.

 इन क्षेत्रों में अभी भी बना संकट

राज्य के कुछ जिले, जैसे भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, टोंक, नागौर, चूरू और झालावाड़, बाल विवाह के मामले में राज्य के औसत से भी आगे हैं, जो इन क्षेत्रों में इस समस्या की गहराई को दर्शाता है.

 हाईकोर्ट ने अपनाया सख्त रुख

इस स्थिति को देखते हुए, मई 2024 में राजस्थान हाईकोर्ट ने बाल विवाह पर सख्त रुख अपनाया था. कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि राज्य में कहीं भी बाल विवाह होता है, तो उस क्षेत्र के ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य और जिला प्रशासन को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना जाएगा. यह महत्वपूर्ण आदेश 10 मई 2024 को अक्षय तृतीया से ठीक पहले जारी किया गया था, ताकि इस पर्व पर होने वाले बाल विवाहों को रोका जा सके.

1098 चाइल्ड हेल्पलाइन की जारी

उच्च न्यायालय ने इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया था कि बाल विवाह कानून का सीधा उल्लंघन है. इसकी अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक जिले में बाल विवाह की निगरानी प्रत्येक जिले में निगरानी तंत्र मजबूत किया जाए. इसके साथ ही, बाल विवाह निषेध अधिकारियों, पुलिस और बाल कल्याण समितियों को भी मौके पर सक्रिय रहने का आदेश दिए गए.कोर्ट ने 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन और स्थानीय प्रशासन को बाल विवाह की सूचना मिलते ही तत्काल कार्रवाई करने के लिए भी कहा है.

अभी भी एक बड़ी चुनौती  बनी हुई है

हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, राजस्थान में बाल विवाह को पूरी तरह से समाप्त करना अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. सामाजिक दबाव, अशिक्षा और गरीबी जैसे कारक इस कुप्रथा को बढ़ावा देते हैं. आज भी, 'अबूझ सावा' जैसे पर्वों पर परंपरा के नाम पर चोरी-छिपे बाल विवाह कराए जाते हैं, जो प्रशासन और समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है.

यह भी पढ़ें: Video: गाय ने महिला को बाइक उठाकर पटका, फिर घसीटते हुए ले गई बीच सड़क और लगी पैरों से कुचलने

यह वीडियो भी देखें

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close