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This Article is From Mar 22, 2025

Rajasthan: उदयपुर में श‍िक्षक ने क‍िया सुसाइड, सांसद रोत ने क‍िया ट्वीट- शिक्षित बेरोजगारों का हो रहा शोषण 

Rajasthan Teacher Suicide:  उदयपुर पुल‍िस को श‍िक्षक के पास से एक सुसाइड नोट भी म‍िला है, ज‍िसमें जीवन से मन भरने और पर‍िवार को लेकर बात ल‍िखी है. हालांक‍ि, आत्‍महत्‍या को आर्थिक तंगी से जोड़कर देखा जा रहा है. 

Rajasthan: उदयपुर में श‍िक्षक ने क‍िया सुसाइड, सांसद रोत ने क‍िया ट्वीट- शिक्षित बेरोजगारों का हो रहा शोषण 
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर.

Rajasthan Teacher Suicide: उदयपुर शहर के नजदीक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय अलसीगढ़ में कार्यरत संविदाकर्मी श‍िक्षक ने फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली. सूचना मिलते ही झाड़ोल थाना पुलिस पहुंची और मृतक मोहनलाल मीणा के शव को उतरकर झाड़ोल सीएचसी में रखवाया. शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों के सुपुर्द कर द‍िया. शव से पुलिस को सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. पुलिस आगे की जांच कर रही है. इस मामले को लेकर बांसवाड़ा राजकुमार सांसद राजकुमार रोत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की है, जिसमें  सरकार पर हमला किया है. 

सुसाइड से पहले बच्‍चों से की थी मुलाकात 

झाड़ोल थानाधिकारी फैली राम ने बताया कि सूचना मिली थी कि अलसीगढ़ के जंगल एरिया ने पेड़ पर युवक का शव लटका है. मौके पर पहुंचे और आगे की जांच की तो सामने आया कि वह संविदा पर स्कूल में कार्यरत थे. घटना स्थल के कुछ दूरी पर छात्रों का हॉस्टल है, वहां उसके बच्चे पढ़ते हैं. अंतिम बार उनसे मिलने के लिए पहुंचा था. मिलने के बाद उसने यह कदम उठाया है.

पुल‍िस को म‍िला सुसाइड नोट  

पुल‍िस उससे एक सुसाइड नोट भी मिला, जो उसकी ही हैंड राइटिंग में लिखा हुआ है. उसमें उसने लिखा है कि अब जीवन से जी भर गया है. इसके अलावा परिवार को लेकर बात लिखी है. सुसाइड नोट में उसने किसी भी प्रकार का कोई कारण नहीं लिखा है. आर्थिक तंगी का कारण हमारे सामने नहीं आया है. 

सांसद राजकुमार रोत ने क‍िया ट्वीट 

परिचितों ने आत्महत्या के पीछे आर्थिक तंगी का कारण बता रहे हैं, जिस पर सांसद रोत ने 'X' हैंडल पर सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा, "वर्तमान सरकार देश में सरकारी नौकरियों को खत्म करके शिक्षित बेरोजगारों को संविदाकर्मी और प्लसमेंट के रूप में निजीकरण में युवाओं को धकेल रही है. युवाओं का मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है.  उसी का दुष्परिणाम मोहनलाल मीणा की आत्महत्या जैसा दुःखद हादसा है. देश में कई शिक्षित बेरोज़गार संविदा और प्लेसमेंट एजेंसियों की शोषणकारी नीतियों से जीते जी रोज मर रहे हैं. उनके लिये सरकार को गंभीरता से सोचने की जरूरत है." 

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