
kalbelia dance: राजस्थान अपनी रंग-बिरंगी संस्कृति और समृद्ध विरासत के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां की हर चीज में एक अलग जादू है, जिसकी वजह से हर साल हजारों विदेशी पर्यटक भारत आते हैं और रेतीले टीलों में घूमते हैं और यहां की संस्कृति और विरासत को निहारते हैं. इस विरासत में एक ऐसा डांस फार्म हो जो विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ देशी पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. यह है "कालबेलिया नृत्य". यह नृत्य कला सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि राजस्थान की आत्मा है, जिसे कालबेलिया जनजाति की महिलाएं बेहद मनमोहक अंदाज में पेश करती हैं.
कालबेलिया नृत्य क्या है?
कालबेलिया नृत्य राजस्थान की कालबेलिया जनजाति के जरिए किया जाने वाला एक पारंपरिक नृत्य है. इस नृत्य में महिलाएं लचीले और मोहक अंदाज़ में नागिन की तरह नाचती और घूमती हैं. इनकी वेशभूषा अधिकतर काले रंग का लहंगा और चोली होती है, जिस पर चमकीले धागे और शीशे लगे होते हैं, जो नृत्य के दौरान एक अद्भुत दृश्य उत्पन्न करते हैं. वहीं, नृत्य में उनका साथ देने वाले उनके पुरुष साथी कलाकार पुंगी और ढोलक जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाकर दृश्य को और भी जीवंत बना देते हैं. इस नृत्य के आकर्षक होने के कारण इसे यूनेस्को द्वारा भी मान्यता दी गई है.
Kalbelia Folk Songs and Dances: An Emblem of Rajasthan's Cultural Opulence!
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) April 16, 2024
🔷Step into the captivating realm of #Kalbelia, a nomadic community from Rajasthan, where graceful dance and soulful folk songs are the essence of their rich tradition.
🔷Inscribed on @UNESCO's… pic.twitter.com/49vvcCB8Ci
यूनेस्को की मान्यता
2010 में, कालबेलिया नृत्य को यूनेस्को की "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" की सूची में शामिल किया गया. यह मान्यता इस नृत्य की सांस्कृतिक महत्व और अद्वितीयता को दर्शाती है. यूनेस्को ने इसे इसलिए शामिल किया क्योंकि यह नृत्य कालबेलिया समुदाय की जीवनशैली और संस्कृति को दर्शाता है, और इसे संरक्षित करना ज़रूरी है.
कालबेलिया नृत्य की खासियतें :
सांप की तरह लचक: इस नृत्य में महिलाओं की लचक और गति सांप की तरह होती है, जो इसे बेहद आकर्षक बनाती है.
पारंपरिक वेशभूषा: महिलाओं की वेशभूषा में काले रंग का लहंगा और चोली शामिल होती है, जिस पर रंगीन धागे और दर्पण लगे होते हैं.
पारंपरिक वाद्ययंत्र: पुंगी और ढोलक जैसे वाद्ययंत्र इस नृत्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
सामाजिक महत्व: यह नृत्य कालबेलिया समुदाय की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है.