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इतिहास समेटने का अनूठा जुनून, आजादी की पहली अखबार... और नेहरू से लेकर मोदी तक भारत के पीएम की दुर्लभ तस्वीर..

राजेंद्र गहलोत पिछले 50 सालों से पत्र-पत्रिकाओं और दुर्लभ चित्रों को संग्रह कर रहे हैं. उनके इस जुनून से न केवल आम आदमी को बल्कि सरकारी महकमों को भी काफी मदद मिलती है.

इतिहास समेटने का अनूठा जुनून, आजादी की पहली अखबार... और नेहरू से लेकर मोदी तक भारत के पीएम की दुर्लभ तस्वीर..

Rajasthan News: इतिहास अपने-आप में काफी रोचक होता है. जब आप इतिहास की बात करते हैं तो ऐसी-ऐसी बातें पता चलती है जिसके बारे में आप कभी सोच नहीं पाते हैं. या फिर ऐसी जानकारियां जो शायद ही कहीं उपलब्ध होती है. हालांकि इतिहास जानने की सभी की दिलचस्पी होती है. लेकिन इतिहास संजोने का अनूठा शौक शायद ही किसी आम आदमी में होता है. राजस्थान के जोधपुर के 64 वर्षीय राजेंद्र गहलोत में कुछ ऐसी ही इतिहास संजोने का अनूठा जुनून है. वह पिछले 50 सालों से पत्र-पत्रिकाओं और दुर्लभ चित्रों को संग्रह कर रहे हैं. उनके इस जुनून से न केवल आम आदमी को बल्कि सरकारी महकमों को भी काफी मदद मिलती है.

राजेंद्र गहलोत रेलवे से सेवानिवृत होने के बाद अपने इस जुनून को और अधिक ऊर्जा के आगे बढ़ाने के लिए अपने घर में ही एक अस्थाई संग्रहालय भी बना रखा है. जिसमें पिछले 50 वर्षों से अपने इस अनूठे संकलन को जोधपुर सहित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के घटनाक्रम और रोचक जानकारियों के साथ ही दुर्लभ चित्रों को संग्रहित किया है. इसके साथ कई शोधार्थियों और विद्यार्थियों को भी अपने इस अनूठे संग्रहण के द्वारा जानकारियां भी प्रदान करते हैं. वर्तमान में भी उनके घर में प्रतिदिन 25 से अधिक दैनिक, साप्ताहिक और पाक्षिक समाचार पत्र और पत्रिकाएं वह मंगवाते है. जोधपुर के राजेंद्र गहलोत के इस अनूठे जुनून के कारण पूर्व में राज्यपाल से लेकर कहीं राज्य स्तरीय पुरस्कारों से भी इन्हें नवाजा जा चुका है.

आजाद भारत की पहले समाचार पत्र की मूल प्रति भी है संग्रहित

एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए राजेंद्र गहलोत ने बताया कि बचपन से ही उन्हें अखबार और पत्रिकाएं पढ़ने का शौक रहा है इससे उन्हें बहुत सी विभिन्नताएं भी मिलती थी देश-विदेश की जानकारी पढ़ना व सहेजना भी एक जुनून सा था. यह मेरी एक हॉबी बन गई थी. घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि घर पर समाचार पत्र आता हो तो अपने इस जुनून को पूरा करने के लिए आस पड़ोस में जाकर समाचार पत्र पढ़ता था और वक्त मिलने पर उन समाचार पत्रों को संग्रहित करना भी शुरू किया. इसी जुनून का यह परिणाम है कि आज इन 50 वर्षों के दरमियान उनके पास एक विशाल दुर्लभ संग्रह है. अगर बात करें जोधपुर की तो यहां के हर धार्मिक स्थल के दुर्लभ चित्र भी संग्रहित है जोधपुर की कही सख्शियतों व स्थलों से लेकर महात्मा गांधी से लेकर वर्तमान तक के समाचार पत्रों का मूल संग्रहण है. वही इसमें खास बात यह है कि भारत की आजादी के समय का पहला समाचार पत्र भी आज भी सुरक्षित तरीके से रखा गया है. वहीं भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक के दुर्लभ चित्र और उनके संबंध पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित खबरों का संग्रहण भी है. वहीं इसके अलावा करीब 116 विषयों का संकलन है और उनका बकाया था बायोग्राफी की तरह तैयार किया है. ताकि किसी रिसर्च करने वाले शोधार्थी के लिए यह जानकारी उपयोग में आ सके और उनका अध्ययन के साथ ही आने वाले समय में एक प्रामाणिकता के साथ में तथ्य उपलब्ध हो सके.

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64 वर्षीय राजेंद्र गहलोत बताते हैं कि उनको यह प्रेरणा तो ईश्वर की देन है. लोग भगवान से संत संपदा मांगते हैं मैं ईश्वर से बुद्धि मांगी और बात बुद्धि की आती है तो उसमें ज्ञान की बात आना भी स्वाभाविक है. मुझे जहां-जहां से ज्ञान मिलता था उसको संग्रहित करता था. आज वर्तमान में महात्मा गांधी से लेकर वर्तमान तक के प्रधानमंत्री और कहीं राष्ट्रीय नायकों और स्वतंत्रता सेनानियों के संबंध में जितनी भी खबरें पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई है. उनकी दुर्लभ चित्र है व लाखों की संख्या में उनके पास सहेजे हुए है. यह आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए संग्रह किया है. वहीं रही बात 15 अगस्त 1947 की जब भारत का जन्म हुआ उसे समय का समाचार पत्र भी उनके पास सरक्षित है. यह पत्र उन्हें उनके पिताजी के एक कबर्ड में नीचे पड़ा मिला था और मैं इस घटना को अपना अहोभाग्य समझता हूं की ईश्वर की कृपा के साथ ही उनके पिता ने भारत के जन्म की जन्म कुंडली उन्हें दे दी.

कमजोर आर्थिक स्थिति के बीच बच्चों को पढ़ा रप जुनून को किया पूरा

राजेंद्र गहलोत बताते हैं कि पहले उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह अपने इस जुनून को आगे बढ़ा सके. उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपने जुनून को पूरा किया. वह बताते हैं कि उनके पिता चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे और उनके चार भाई थे. दसवीं पढ़ाने के बाद पिता ने आगे पढ़ाने के लिए आर्थिक स्थिति का हवाला देकर असमर्थता जाहिर कर दी. ऐसी स्थिति में बच्चों का ट्यूशन किया और उनसे मिलने वाले पैसों से आगे की पढ़ाई की. इसमें से कुछ राशि बचाकर अखबार खरीद लाते. अपने जुनून के साथ ही शिक्षा में भी पीछे नहीं रहे और एमकॉम, एलएलबी सहित कई डिग्रिया भी हासिल कर ली. उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति रोवर स्काउट पदक से भी नवाजा जा चुका है.

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मारवाड़ के धरोहर की हर जानकारी को भी संजोए है

राजेंद्र गहलोत के इस दुर्लभ संग्रहण में मारवाड़ की धरोहर की जानकारी के साथ ही जोधपुरी पत्थर की जानकारी, पूर्व  के घटनाक्रम की जानकारी व शहर के कहीं प्राचीन मंदिर-मस्जिद, तालाब-कुओं, इमारतों-कार्यालयों, तीज-त्योहार आदि की चित्रों सहित हर जानकारी उपलब्ध है. राजेंद्र गहलोत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से बहुत प्रभावित रहे है जहा कलाम के राष्ट्रपति बनने  तक की यात्रा के कही दुर्लभ चित्रों को संग्रहित किया हुआ है.

मदर टेरेसा के निधन पर 10 दिन बिताए कोलकाता में

दुर्लभ संग्रहण के साथ ही रोचक जानकारियों को संग्रहित करने का ऐसा जुनून रहा कि राजेंद्र गहलोत ने मदर टेरेसा के निधन के समय उनके संबंधित जानकारी को संग्रहित करने के लिए कोलकाता चले गए. वहां  10 दिनों तक रहकर मदर टेरेसा के संबंध में पूरी जानकारी व पत्र-पत्रिकाएं संग्रहित कर लौटे. जो आज भी इन्होंने अपने अस्थाई संग्रहालय में संजोए रखी है.

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