Ranthambore National Park: आमतौर पर एक बाघ अपने आस-पास या अपने इलाके में किसी दूसरे बाघ की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं कर पाता. अगर गलती से कोई दूसरा बाघ उसके सामने आ जाए तो उनके बीच कभी भी वर्चस्व की लड़ाई छिड़ सकती है जिसमें वो एक-दूसरे की जान लेने पर उतारू हो सकते हैं. ऐसा उनके आनुवंशिक गुणों के कारण होता है जो प्रकृति ने उन्हें दिए हैं. लेकिन राजस्थान के सवाई माधोपुर में स्थित सबसे बड़े रणथंभौर नेशनल पार्क में एक इलाके में एक से ज्यादा बाघ रह रहे हैं. और वो भी बेहद शांति से. जो उनके बदलते स्वभाव की ओर इशारा कर रहा है.
वर्चस्व की लड़ाई में जा चुकी है कई बाघों की जान
रणथंभौर नेशनल पार्क में करीब 75 बाघ-बाघिनें मौज-मस्ती करते नजर आते हैं, लेकिन कई बार इनके बीच क्षेत्रीय लड़ाई भी देखने को मिलती है. वे किसी दूसरे बाघ को अपने इलाके में चहलकदमी करते नहीं देख पाते. इसी वजह से रणथंभौर नेशनल पार्क कई रेजों में ऐसी क्षेत्रीय लड़ाइयों में कई बाघों की जान जा चुकी है. इन लड़ाइयों में एक टाइगर दूसरे टाइगर को खदेड़कर अपने इलाके से बाहर का रास्ता दिखा देता है.
150 वर्ग KM के दायरे में रहते 10 मेल टाइगर
वहीं दूसरी ओर इस राष्ट्रीय उद्यान के खंडार रेंज में एक अजीब नजारा लगातार देखने को मिल रहा है, जिसकी लोग अक्सर कल्पना भी नहीं करते. यहां एक ही इलाके में कई बाघ आते-जाते रहते हैं. लेकिन वे आपस में लड़ते नहीं हैं. इसे देखकर न सिर्फ पर्यटक बल्कि वन्यजीव प्रेमी भी काफी उत्साहित हैं. इस रेंज में करीब 10 नर बाघ हैं, जो 150 वर्ग किलोमीटर के दायरे में आराम से रहते हैं. वे एक-दूसरे के इलाके में भी घुस जाते हैं.
टाइगर एक दूसरे की टेरिटरी को करते रहते ओवरलैप
इन बाघों की खास बात यह है कि ये सभी एक-दूसरे के इलाके में बड़ी आसानी से घुस जाते हैं. हर बाघ एक-दूसरे के इलाके में ओवरलैप करता रहता है. लेकिन इस रेंज के टाइगर्स को लड़ते हुए कम ही देखा गया है. उन्होंने आगे बताया कि आमतौर पर एक टाइगर को टेरिटरी के लिए लगभग 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल की दरकार होती है. इस लिहाज से लगभग 250 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल इन 10 टाइगर को टेरिटरी के लिए चाहिए. लेकिन स्थान का अभाव होने के चलते टाइगर ने एक दूसरे के साथ अपने आप को ढाल लिया है.
मेल के मुकाबले कम है फीमेल टाइगर
वहीं, नेचर गाइड एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रफीक मोहम्मद ने बताया कि बाघों द्वारा टेरेटरी ओवरलैप करने को 'होम टेरेटरी' भी कहा जा रहा है. खास तौर पर रणथंभौर में फिलहाल मादा बाघों की संख्या कम है. उनके मुकाबले नर बाघों की संख्या बढ़ी है. रणथंभौर के खंडार रेंज में नर बाघ भले ही एक-दूसरे की टेरेटरी ओवरलैप कर रहे हों, लेकिन उनके स्वभाव दिखाने और एक-दूसरे से लड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
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