दशहरा का त्योहार भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. इस त्योहार पर रावण के पुतलों का दहन किया जाता है. दशहरा का पर्व आते ही रावण के पुतले बनाने वाले परिवारों की व्यस्तता बढ़ जाती है. लेकिन इन दिनों इन परिवारों की चिंताएं भी बढ़ी हुई हैं. क्योंकि महंगाई के कारण रावण के पुतले बनाने का काम अब घाटे का सौदा बन गया है. इन पुतलों को बनाने वाले परिवारों के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनमें से प्रमुख हैं महंगाई, दशहरा से पहले मौसम की स्थिति और सरकारी मदद की कमी.
महंगाई: रावण के पुतले बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, जैसे लकड़ी, कपड़ा, और आतिशबाजी, की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. इससे इन पुतलों की कीमत भी बढ़ जाती है, जिससे इनकी मांग कम हो जाती है.
दशहरा से पहले मौसम की स्थिति: दशहरा से पहले बारिश होने पर रावण के पुतले भीग जाते हैं, जिससे इनकी बिक्री प्रभावित होती है.
सरकारी मदद की कमी: रावण के पुतले बनाने वाले परिवारों को सरकार से कोई भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है. इससे इन परिवारों को अपनी आजीविका चलाने में मुश्किल होती है.
इन समस्याओं के कारण, रावण के पुतले बनाने वाले परिवारों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. कई बार, इन परिवारों को घाटे में काम करना पड़ता है. इससे इन परिवारों का जीवन स्तर बहुत कम हो गया है.
रावण के पुतले बनाने का काम करने वाले राजू बताते हैं कि वह अपने परिवार के साथ पिछले एक महीने से रावण के पुतले बना रहे हैं. राजू ने बताया कि पहले वह 5 फीट के रावण के पुतले को 1 हजार रुपये में बेचते थे, लेकिन अब उन्हें 1500 रुपये में बेचना पड़ रहा है. इसी तरह 10 फीट के रावण के पुतले की कीमत 2 हजार रुपये से बढ़ाकर 3 हजार रुपये करनी पड़ी है. राजू ने बताया कि महंगाई के कारण रावण के पुतलों की मांग में भी कमी आई है. पहले उन्हें कई जगहों से ऑर्डर मिलते थे, लेकिन अब उन्हें ऑर्डर मिलने में दिक्कत हो रही है.
राजू के अलावा लालाराम भी रावण के पुतले बनाने का काम करते हैं. लालाराम ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ पिछले कई सालों से रावण के पुतले बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले वह इस काम से अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते थे, लेकिन अब उन्हें घाटे में काम करना पड़ रहा है.
लालाराम ने बताया कि वह 5 फीट से लेकर 31 फीट तक के रावण के पुतले बनाते हैं. उन्होंने बताया कि 5 फीट के रावण के पुतले की कीमत 1 हजार रुपये से शुरू होती है, जबकि 31 फीट के रावण के पुतले की कीमत 10 हजार रुपये तक जाती है. लालाराम ने बताया कि सरकार को रावण के पुतले बनाने वाले परिवारों की मदद करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि सरकार को रावण के पुतलों के निर्माण पर सब्सिडी देनी चाहिए, जिससे इन पुतलों की कीमत कम होगी और इनकी मांग बढ़ेगी. लालाराम ने बताया कि सरकार को रावण के पुतले बनाने वाले परिवारों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू करने चाहिए, जिससे इन परिवारों को अपने कौशल को विकसित करने में मदद मिलेगी.