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Roop Chaudas 2025: रूप चौदस की धूम, अजमेर के पार्लर हुए हाउसफुल, महिलाएं में दिखा स्किन हाइलाइटिंग और नेल आर्ट का क्रेज

Rajasthan News: रूप चौदस पर महिलाएं परंपरागत रूप से इस दिन स्नान, उबटन और श्रृंगार कर देवी लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी करती हैं. माना जाता है कि रूप चौदस पर शरीर और मन दोनों की शुद्धि से घर में सकारात्मकता और समृद्धि आती है. 

Roop Chaudas 2025: रूप चौदस की धूम, अजमेर के पार्लर हुए हाउसफुल, महिलाएं में दिखा स्किन हाइलाइटिंग और नेल आर्ट का क्रेज
प्रतीकात्मक तस्वीर ( Meta AI)

Rajasthan News: दीपावली से एक दिन पहले आने वाली रूप चौदस, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, सौंदर्य का पर्व है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर संसार को भयमुक्त किया था. तभी से यह दिन बुराइयों के नाश और नई ऊर्जा का प्रतीक बन गया.इसके अलावा रूप चौदस पर महिलाएं परंपरागत रूप से इस दिन स्नान, उबटन और श्रृंगार कर देवी लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी करती हैं. माना जाता है कि रूप चौदस पर शरीर और मन दोनों की शुद्धि से घर में सकारात्मकता और समृद्धि आती है. 

अजमेर में ब्यूटी पार्लरों में एडवांस बुकिंग और बढ़ता ट्रेंड

वहीं राजस्थान के अजमेर में इस बार रूप चौदस (Roop Chaudas 2025) का उत्साह अलग ही नजर आया. शहर के लगभग सभी ब्यूटी पार्लरों में हफ्तेभर पहले से ही ऑनलाइन एडवांस बुकिंग पूरी हो चुकी थी. इसके चलते दोपहर बाद से पार्लरों में महिलाओं की भीड़ उमड़ने लगी.

पार्लर में तैयार हो रही महिलाएं

पार्लर में तैयार हो रही महिलाएं
Photo Credit: NDTV

पारंपरिक मेकअप के अलाव ट्रेंड को कर रही है फॉलो

पार्लर संचालकों के अनुसार,  कोई हेयर स्पा करवा रही थी, तो कोई नेल आर्ट या फेशियल. इस बार सजने-संवरने के तौर-तरीकों में भी बदलाव आया है. अब महिलाएं सिर्फ पारंपरिक मेकअप तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि आधुनिक ट्रेंड जैसे ग्लो ट्रीटमेंट, स्किन हाइलाइटिंग, नेल आर्ट और हेयर एक्सटेंशन का भी चलन बढ़ा है. 

रूप चौदस आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का दिन

इसके अलावा पुष्कर के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य दिनेश शर्मा के अनुसार, रूप चौदस केवल बाहरी सुंदरता का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मविश्वास और आंतरिक रोशनी जगाने का अवसर भी है. इस दिन सूर्योदय से पहले तेल स्नान और उबटन करने से नकारात्मकता दूर होती है और मन प्रसन्न रहता है. उन्होंने कहा - “जब व्यक्ति खुद को संवारता है, तो वह केवल चेहरा नहीं, बल्कि अपनी सोच और आत्मबल को भी नया रूप देता है.” इस तरह रूप चौदस सिर्फ श्रृंगार का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और आत्मविश्वास बढ़ाने का पर्व भी है.

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