NDTV Exclusive: बाबूलाल कटारा, रामू राम राईका सहित RPSC के वो 9 चेहरे, जिनके कारण विवादों में रहा राजस्थान लोक सेवा आयोग

RPSC Paper Leak Case: RPSC के कई पदाधिकारियों पर पेपर लीक और धांधली के कई गंभीर आरोप लगे. आज हम बात करने जा रहे है कि RPSC के उन 9 चेहरों के बारे में, जिनके कारण लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठा धूमिल कर दी.

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RPSC Paper Leak Case: SI पेपर लीक केस में SOG लगातार नए-नए खुलासे कर रही है. बीते दिनों इस मामले में 5 ट्रेनी एसआई को गिरफ्तार करने के बाद जांच टीम ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य रामू राम राईका को गिरफ्तार किया. SOG के ADG वीके सिंह ने प्रेस कॉफ्रेंस में मामले की जानकारी दी. छानबीन में यह बात सामने आई कि RPSC के पूर्व सदस्य रामू राम राईका ने परीक्षा से 7 दिन पहले ही अपने बेटे-बेटी को पेपर दे दिया था. इस बात की जानकारी सामने आने के बाद एसआई परीक्षा को रद्द करने की मांग तेज हो गई है. 

रामू राम राईका की करतूत ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के दामन पर पेपर लीक का एक ऐसा दाग लगाया है, जिसे धोना संभव नहीं है. लेकिन यह पहली बार नहीं है कि जब RPSC के किसी सदस्य पर ऐसा संगीन आरोप लगा है. इससे पहले भी RPSC के कई लोगों पर पेपर लीक और धांधली के कई गंभीर आरोप लगे. आज हम बात करने जा रहे है कि RPSC के उन 9 चेहरों के बारे में, जिन्होंने लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठा धूमिल कर दी.

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1. बाबूलाल कटारा (RPSC सदस्य)

बाबूलाल कटारा RPSC के पूर्व सदस्य है. कटारा को SOG ने पेपर लीक के मामले में गिरफ्तार किया है. कटारा से पूछताछ की जा रही है. अभी एसआई पेपर लीक केस में गिरफ्तार पूर्व सदस्य रामू राम राईका को पेपर देने का आरोप भी बाबूलाल कटारा पर ही लगा है. बाबूलाल कटारा डूंगरपुर के भाटपुर ग्राम पंचायत के मालपुर गांव का रहने वाला है. तृतीय श्रेणी शिक्षक से करियर की शुरुआत करने वाला कटारा 1990 में अर्थशास्त्र का व्याख्याता बना था. अक्टूबर 2020 में गहलोत सरकार में बाबूलाल कटारा राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बना. 

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2. रामू राम राईका (RPSC सदस्य)

रामू राम राईका के बेटे देवेश और बेटी शोभा को SOG ने एसआई पेपर लीक केस में गिरफ्तार किया है. इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद राईका भी गिरफ्तार किया गया. राईका नागौर जिले के गगवाना गांव का रहने वाला है. 1982 में अर्थशास्त्र में एमए करने के बाद 1983 से 2017 के बीच गवर्नमेंट कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर रहा. शिक्षित होने के कारण उसकी समाज में अच्छी पैंठ हो गई, जिसे भुनाने के लिए नेताओं ने उसे आगे बढ़ाना शुरू किया. भाजपा की पिछली सरकार में आरपीएसी का सदस्य बना. 
     
3. हबीब खान गौराण- (RPSC चेयरमैन)

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हबीब खान गौराण अगस्त 2012 से सितंबर 2014 तक आयोग के चेयरमैन थे. इस दौरान उन पर काफी गंभीर आरोप लगे थे. 2013 में राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा का पेपर लीक हुआ था. SOG ने उन पर पेपर चोरी करने का मामला दर्ज किया था. SOG के मुताबिक हबीब खान गौराण की बेटी उस परीक्षा में शामिल हो रही थी.

हबीब खान गौराण- (RPSC चेयरमैन)

बेटी को प्रश्न पत्र दिलाने के लिए गौराण अहमदाबाद गए और वहां उन्होंने प्रूफ रीडिंग के बहाने प्रश्न पत्र ले लिया. जबकि वे मार्च 2013 में खुद को उस परीक्षा से अलग कर चुके थे. इस गम्भीर मामले के सामने आने के बाद गौराण पर मामला दर्ज हुआ था. बाद में उन्होंने आत्मसमर्पण किया था.

4. सज्जन सिंह - (कनिष्ठ लेखाकार)

2018 में RPSC ने 1051 पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की थी. RPSC में कार्यरत सज्जन सिंह ने आरएएस भर्ती में इंटरव्यू में ज्यादा अंक दिलाने के नाम पर घूस मांगी थी. सज्जन सिंह ने यह रिश्वत आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर के नाम पर मांगी थी. अभ्यर्थी ने इसकी शिकायत एसीबी से की. तब एसीबी ने कैंडिडेट को 1 लाख रुपए के असली नोट एवं 22 लाख रुपए के डमी नोट देकर अभ्यर्थी को सज्जन सिंह के घर भेजा. 

सज्जन सिंह - (कनिष्ठ लेखाकार)

सज्जन सिंह ने जैसे ही पैसे लिए, एसीबी की टीम वहां पहुंच गई. सज्जन ने नोट पड़ोसी के छत पर फेंकने शुरू किए लेकिन एसीबी से बच नहीं पाया. दिलचस्प यह भी कि इसी सज्जन सिंह गुर्जर को RPSC ने 2019 में उनकी कुशलता, कर्त्तव्यपरायणता और योग्यता के लिए सम्मानित किया गया था. 

5. राजकुमारी गुर्जर - (RPSC सदस्य)

सज्जन ने राजकुमारी गुर्जर के नाम पर ही रिश्वत ली थी. हालांकि राजकुमारी गुर्जर पर आरोप सिद्ध नहीं हो पाए थे. आरोपों के बाद राजकुमारी गुर्जर को इंटरव्यू से दूर कर दिया गया था. बाद में एसीबी ने राजकुमारी गुर्जर को क्लीन चिट दे दी थी. तब एसीबी ने आयोग से उन कैंडिडेट की सूची मांगी थी, जिनका इंटरव्यू राजकुमारी ने किया था. लेकिन आयोग ने नियमों का हवाला देते हुए इसकी सूचना देने से इनकार कर दिया था. 

6. संगीता आर्य, 7. मंजू शर्मा, 8. केसरी सिंह, 9. शिव सिंह राठौड़ पर भी उठे सवाल

पिछले साल एसीबी ने घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रहे गोपाल केसावत सहित 4 लोगों को 18 लाख रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था. आरोपियों ने एक परीक्षार्थी से ईओ परीक्षा पास कराने के एवज में रिश्वत मांगी थी. इस मामले में आयोग की सदस्य संगीता आर्य और मंजू शर्मा का नाम भी आया था. हालांकि बाद में दोनों  को क्लीन चिट मिल गई. 

किरोड़ी लाल मीणा ने RPSC के कार्यवाहक अध्यक्ष रहे शिव सिंह राठौड़ पर धांधली के आरोप लगाए थे. पिछले साल केसरी सिंह की नियुक्ति भी विवादों में रही थी. तब उनके पुराने वीडियो वायरल हुए थे. RPSC के इन सभी पदाधिकारियों पर अलग-अलग समय में आरोप लगे, जिसकी जांच हुई. जांच के बाद कुछ को क्लीन चिट मिल गई. लेकिन कई अभी भी जांच के दायरे में है.  

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