
Health News: सफेदभाटी जिसे ‘बेयरबेरी' के नाम से भी जाना जाता है, एक झाड़ीनुमा सदाबहार पौधा है. इसका वैज्ञानिक नाम ‘अर्क्टोस्टेफिलोस यूवा-उर्सि' है. यह उत्तरी गोलार्ध के ठंडे इलाकों में पाया जाता है. इसकी हरी-भरी पत्तियां और फैलने वाली प्रकृति इसे बागानों में जमीन ढकने के लिए लोकप्रिय बनाती है.
वसंत में इसके छोटे-छोटे घंटी जैसे फूल, जो सफेद से गुलाबी रंग के होते हैं, खूबसूरती बिखेरते हैं. इसके बाद चमकदार लाल या नारंगी जामुन जैसे फल लगते हैं, जो भालुओं को बहुत पसंद हैं. यही वजह है कि इसे ‘बेयरबेरी' कहा जाता है.
सेहत के लिए वरदान
सफेदभाटी की पत्तियों में अर्बुटिन नामक तत्व होता है, जो शरीर में हाइड्रोक्विनोन में बदलकर मूत्र पथ के बैक्टीरिया से लड़ता है. यह यूरीन इंफेक्शन, जैसे सिस्टाइटिस, और मूत्राशय की सूजन में राहत देता है. यह मूत्र के पीएच को संतुलित करता है और पथरी को बनने से रोकने या बाहर निकालने में मदद करता है. इसके सूजन-रोधी गुण जोड़ों के दर्द और अन्य सूजन की समस्याओं में फायदेमंद हैं.
पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व
कुछ अमेरिकी जनजातियां इसकी सूखी पत्तियों को ‘किनिकिनिक' नाम से धूम्रपान मिश्रण के रूप में इस्तेमाल करती थीं. यह तंबाकू का एक प्राकृतिक विकल्प था. इसके औषधीय गुणों के कारण इसे पारंपरिक चिकित्सा में भी खास जगह मिली है.
सावधानियां जरूरी
सफेदभाटी का उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए, खासकर अगर गुर्दे की गंभीर समस्या हो. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इससे बचना चाहिए.
बागानों की शान
यह पौधा न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि बागानों और पार्कों में सजावट के लिए भी इस्तेमाल होता है. इसकी सदाबहार पत्तियां और फैलने वाली प्रकृति इसे ग्राउंडकवर के लिए आदर्श बनाती है.
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