
Kotputli News: जहां एक ओर सरकार हर घर नल, हर घर जल के दावे कर रही है, वहीं ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कह रही है. कोटपूतली शहर के लक्ष्मी नगर इलाके में पानी की किल्लत ने लोगों की कमर तोड़ दी है. संस्कृत स्कूल के पीछे बसे परिवारों की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि अब एक-एक बूंद पानी के लिए संघर्ष रोज़ की कहानी बन चुकी है.
चार साल से एक ही रट – "पानी दो, पानी दो!"
लोगों का कहना है कि पिछले चार साल से इस इलाके में जल संकट बना हुआ है, लेकिन न तो जनप्रतिनिधियों की आंखें खुल रही हैं, और न ही प्रशासन कोई ठोस कदम उठा रहा है. तंग आकर गुस्साए ग्रामीणों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और जिम्मेदारों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
500 रुपए में बिक रही 'प्यास'
स्थानीय निवासी बताते हैं कि उन्हें मजबूरी में निजी टैंकर मंगवाने पड़ रहे हैं, जिसकी कीमत 500 रुपए तक पहुंच चुकी है. मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए हर दिन इतना खर्च करना नामुमकिन है. महिलाएं कहती हैं कि बच्चों और बुज़ुर्गों को हर दिन प्यासा देखना अब सहा नहीं जाता.
सरकार के दावों की खुली पोल
एक तरफ़ जल जीवन मिशन जैसे योजनाओं में करोड़ों खर्च हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ़ लक्ष्मी नगर के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. स्थानीय लोग अब स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर एक ट्यूबवेल भी लगवा दिया जाए, तो संकट से बड़ी राहत मिल सकती है.
सवाल ये है – कब जागेगा प्रशासन?
क्या स्थानीय प्रशासन और नेता इस दर्द को सुनेंगे? या फिर कोटपूतली की जनता यूं ही हर साल गर्मियों में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसती रहेगी? फिलहाल तो हालात साफ कहते हैं – पानी नहीं, तो चैन नहीं!
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